7 नवंबर की शाम 'भारत जोड़ो यात्रा' महाराष्ट्र के नांदेड़ जिले में पहुंची और राहुल गांधी का भव्य स्वागत किया गया. महाराष्ट्र में कांग्रेस एक समय सबसे मजबूत पार्टी थी, लेकिन फिलहाल वह नंबर 4 की पार्टी बन चुकी है.
राहुल गांधी की इस यात्रा में बड़े पैमाने पर भीड़ इकट्ठा होती नजर आई. कांग्रेस कार्यकर्ता जो पिछले कई समय से सोए हुए थे, या फिर हताश थे, वह एक बार फिर सड़कों पर लौट आए हैं. बड़े समय बाद कांग्रेस के कार्यकर्ता और लगभग सभी नेता एक साथ एक समय पर देखे गए.
इस यात्रा को पिछले कुछ दिनों तक कवर करने के बाद यह समझ आया कि 'भारत जोड़ो यात्रा' से राहुल गांधी को फायदा तो है, लेकिन कांग्रेस को अगर फायदा चाहिए तो उन्हें और मेहनत करने की जरूरत है.
राहुल गांधी 2 महीने से ज्यादा समय से लगातार चल रहे हैं. कन्याकुमारी से शुरू हुआ उनका यह सफर कश्मीर जाकर रुकेगा और इस बीच वह कई जगहों से गुजरेंगे. जहां हर तबके के लोगों से वह मिल रहे हैं. पिछले कुछ वर्षों में राहुल गांधी की जो छवि सरकार और सोशल मीडिया ने टीवी मीडिया के साथ मिलकर बनाई है, उसे बहुत हद तक खत्म करने के लिए यह यात्रा फायदेमंद रहेगी. गांव-गांव में अब भी लोग इंदिरा गांधी और राजीव गांधी के बारे में बात करते हैं और राहुल गांधी को इंदिरा गांधी के पोते के तौर पर लोग उत्सुकता से देखना चाहते हैं. लगातार सड़कों पर चलते रहना आसान नहीं है, ऐसे में राहुल गांधी पर जो आरोप लगते रहे हैं कि वह छुट्टी मनाने बाहर चले जाते हैं या वह गंभीर नेता नहीं है, ये सारे आरोप इस यात्रा की वजह से खत्म हो जाएंगे या कांग्रेस को जवाब देने का एक मौका मिलेगा.
लेकिन अगर कांग्रेस पार्टी को इस यात्रा से फायदा चाहिए तो उनके जो स्थानीय नेता हैं, उन्हें और मेहनत करने की जरूरत है. ग्रामीण महाराष्ट्र के लोग राहुल गांधी को तो पसंद करते हैं लेकिन उनकी दिक्कत कांग्रेस के स्थानीय नेताओं से है. लोगों की शिकायत है कि ये नेता उनके यहां पर आते-जाते नहीं है. ऐसे में अगर कांग्रेस इस यात्रा से अपना फायदा चाहती है तो उनके स्थानीय नेताओं को अब एक्टिव होकर एक बार फिर लोगों के बीच जाना होगा और उनकी समस्याओं को विधानसभा, लोकसभा या फिर दूसरे मंच से बार-बार उठाते रहना होगा.
कांग्रेस पार्टी को फायदा यह हुआ है कि कार्यकर्ता सड़कों पर लौट आए हैं और कार्यकर्ता काम करना चाहते हैं. एक ऐसे समय में जब महंगाई बढ़ी हुई है और साथ ही पेट्रोल-डीजल के दाम भी बढ़े हुए हैं. जनता विकल्प ढूंढ रही है. इस यात्रा के जरिए कांग्रेस के पास एक बहुत अच्छा मौका है, अपने आप को एक बार फिर विकल्प के तौर पर स्थापित करने का. लेकिन इसके लिए राहुल गांधी को भी ये सारे मुद्दे लगातार उठाते रहना होगा. राष्ट्रीय स्तर की राजनीति के बारे में तो राहुल गांधी बात कर रहे हैं, लेकिन जरूरत है कि जो स्थानीय नेता है, जो राज्य के नेता है. वह उन्हें अपने राज्य की परेशानियों के बारे में भी बताएं, ताकि जो लोग उनकी सभाओं में आ रहे हैं. वह सुने और अपने आप को इस यात्रा से जुड़ा पाएं.
कांग्रेस के नेताओं को दो काम और करने हैं. पहला यह कि आपस में चल रहे मनमुटाव और झगड़े को खत्म कर साथ में आएं, ताकि वह अपने आप को एकसाथ और मजबूत बता पाएं. दूसरा काम यह करना होगा कि अब यह नेता अपने परिवार को राजनीति में ना बढ़ाते हुए कार्यकर्ताओं पर फोकस करें, ताकि वह भी बढ़-चढ़कर इसमें हिस्सा लें.
अगर महाराष्ट्र की बात करें तो जिस तरह से एनसीपी और शिवसेना के नेता राहुल गांधी के साथ चलते नजर आए, इससे महाराष्ट्र में एकजुट विपक्ष की तस्वीर फैली हुई है और शिवसेना एनसीपी के कार्यकर्ता भी राहुल गांधी की इस यात्रा के बारे में चर्चा कर रहे हैं. जिस तरह से राज्य में सरकार बदली, इस यात्रा से सरकार के सामने महा विकास आघाडी अपने आप को मजबूत और एकत्रित विपक्ष के तौर पर पेश करती हुई दिख रही है और आने वाले शीतकालीन सत्र में क्या इसका असर विधानसभा में भी दिखा पाएंगे, यह देखना अहम होगा.
साथ ही राहुल गांधी कितना भी ना चाहें उन्हें मीडिया से बात करनी होगा और इंटरव्यू देना होगा, क्योंकि तब ही घर-घर तक उनकी आवाज पहुंच पाएगी और जो बार-बार आरोप लग रहे हैं कि मीडिया उन्हें कवर नहीं कर रही है, उस पर भी विराम लगेगा.
- सोहित राकेश मिश्रा एनडीटीवी के संवाददाता हैं.
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