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This Article is From Jan 20, 2020

लखनऊ में घर तलाश रही हैं प्रियंका गांधी वाड्रा, बढ़ती जा रही हैं कांग्रेस की उम्मीदें...

Swati Chaturvedi
  • ब्लॉग,
  • Updated:
    जनवरी 20, 2020 15:47 pm IST
    • Published On जनवरी 20, 2020 15:45 pm IST
    • Last Updated On जनवरी 20, 2020 15:47 pm IST

छह महीने की तलाश के बाद प्रियंका गांधी वाड्रा ने लखनऊ में एक ऐसा पता तय कर लिया है, जहां से वह कांग्रेस की महासचिव (पूर्वी उत्तर प्रदेश) होने के नाते अपनी ज़िम्मेदारियों का निर्वाह कर सकें. प्रियंका गांधी वाड्रा पर आलोचक यह आरोप लगाते रहे हैं कि उत्तर प्रदेश की राजनीति में उनकी रुचि कभी-कभी जागती है, सो, अब चुनावी राजनीति के लिए मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ पर निशाना साधने के लिए लखनऊ प्रवास में यह किराये का आवास काम आएगा.

प्रियंका गांधी वाड्रा के भाई और तत्कालीन कांग्रेस अध्यक्ष राहुल गांधी लोकसभा चुनाव 2019 में अपनी परम्परागत अमेठी सीट केंद्रीय मंत्री स्मृति ईरानी से मुकाबले में गंवा चुके हैं, सो, अब कांग्रेस के थिंक टैंक ने सुझाया है कि प्रियंका के लिए लखनऊ का एक पता ज़रूरी है, ताकि देश के सबसे ज़्यादा आबादी वाले सूबे में पार्टी के पुनरुद्धार की उनकी मंशा के स्पष्ट संकेत जा सकें. अमेठी से कई बार सांसद रहने के बावजूद राहुल गांधी ने कभी अपने संसदीय क्षेत्र या उसके आसपास कोई घर खरीदने या किराये पर लेने की ज़रूरत महसूस नहीं की थी.

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कांग्रेस का तर्क है कि प्रियंका गांधी वाड्रा द्वारा उत्तर प्रदेश में किए काम का असर दिखने लगा है - सबूत के तौर पर वह बहुजन समाज पार्टी (BSP) की मुखिया तथा पूर्व मुख्यमंत्री मायावती द्वारा हाल ही में प्रियंका पर किए हमले को पेश करते हैं. इसके अलावा प्रियंका की योगी आदित्यनाथ से भी झड़प हो चुकी हैं. क्षेत्रीय महत्व रखने वाले एक ही राजनेता ने अब तक प्रियंका का विरोध नहीं किया है, और वह हैं समाजवादी पार्टी (SP) के प्रमुख तथा पूर्व मुख्यमंत्री अखिलेश यादव.

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पिछले दो दशक से राज्य में लगभग हाशिये पर चल रहे होने के बावजूद कांग्रेस का वोट प्रतिशत नौ प्रतिशत पर लगातार बना हुआ है. राष्ट्रीय स्तर पर बहुत धूमिल पड़ चुकी स्थिति को सुधारने के लिए पार्टी को उत्तर प्रदेश में अपनी अपील बढ़ानी होगी, जहां से किसी भी अन्य राज्य से कहीं ज़्यादा 80 सांसद चुनकर लोकसभा में पहुंचते हैं. इसी मिशन का नेतृत्व करना गांधी भाई-बहन का सपना रहा है. राज्य विधानसभा की 11 सीटों पर अक्टूबर में हुए उपचुनाव में कांग्रेस ने 11.49 फीसदी वोट हासिल किए. किसी भी सीट पर कांग्रेस को जीत नहीं मिली, लेकिन कुछ सीटों पर उनका प्रदर्शन काफी बेहतर रहा. गंगोह सीट पर तो जहां विजेता BJP को 30.41 फीसदी वोट मिले, वहीं कांग्रेस ने भी कड़ी टक्कर देते हुए 28 प्रतिशत वोट हासिल किए.

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पार्टी को मिल रहे वोटों में आए इस उछाल का श्रेय प्रियंका गांधी वाड्रा को दिया जा रहा है. कांग्रेस की ओर से ऐसा होने पर कोई हैरानी नहीं होती, क्योंकि लम्बे अरसे से किसी भी सकारात्मक परिवर्तन का श्रेय गांधी परिवार को दिए जाने की परम्परा यहां रही है.

योगी आदित्यनाथ ने प्रियंका गांधी वाड्रा के उत्तर प्रदेश में किए कामों को राजनैतिक ड्रामा करार दिया है - वह एक दोपहिया वाहन के पीछे बैठकर उस पूर्व IPS अधिकारी के परिवार से मुलाकात करने गई थीं, जिन्हें नागरिकता संशोधन कानून (CAA) के खिलाफ प्रदर्शनों के दौरान गिरफ्तार किया गया था. कांग्रेस के राज में राजस्थान के एक अस्पताल में बहुत-से बच्चों की मौत को लेकर मायावती ने प्रियंका गांधी वाड्रा को ताना भी दिया, और कहा कि प्रियंका को उत्तर प्रदेश में धावा मारने के स्थान पर राजस्थान के प्रशासनिक मुद्दों पर ध्यान देना चाहिए. यहां ध्यान देने लायक बात यह है कि जिस घर में प्रियंका गई थीं, वहां मायावती ने जाने की कोशिश भी नहीं की, जिसकी वजह से उन्हें शर्मिन्दा होना पड़ा.

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हालांकि कांग्रेस उन सुर्खियों से बेहद उत्साहित दिखी, जो प्रियंका गांधी वाड्रा को स्कूटर की सवारी करने पर हासिल हुईं. कम से कम प्रदेश के सभी चुनिंदा राजनेताओं ने हमलावर होने के लिए कांग्रेस को ही चुना. कांग्रेस में माना जा रहा है कि इससे पहले कोई उनके अस्तित्व को भी कबूल नहीं करता था. एक कांग्रेस नेता ने मुझसे बातचीत में कहा, "मायावती राज्य में किसी भी दूसरी महिला नेता को नहीं चाहती हैं... उन्हें सोनिया गांधी से डर नहीं लगता था, क्योंकि उन्होंने खुद को पहले अमेठी और फिर रायबरेली तक सीमित रखा... प्रियंका गांधी वाड्रा समूचे उत्तर प्रदेश में कांग्रेस की खोई ज़मीन वापस पाने की कोशिश कर रही हैं, जिसकी वजह से मायावती को गुस्सा आ रहा है..."

मायावती इस बात से इतना ज़्यादा गुस्से में हैं कि सूत्रों का दावा है कि मायावती और उनके लेफ्टिनेंट सतीश मिश्रा मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ और अमित शाह के संपर्क में रहे हैं. दूसरी ओर, प्रियंका गांधी वाड्रा का दलितों के अधिकारों के लड़ने वाली भीम आर्मी प्रमुख चंद्रशेखर आज़ाद तक बार-बार पहुंचना भी इसी के पलटवार के रूप में देखा जा सकता है, हालांकि उनके 'संदेश' पर फिलहाल गर्मजोशी से जवाब नहीं मिला है.

उत्तर प्रदेश में दो साल में चुनाव होने हैं, और कांग्रेस का साफ-साफ संदेश है कि प्रियंका लम्बे समय तक यहीं रहने वाली हैं. लेकिन मतदाता गांधी परिवार को लेकर काफी चौकन्ना रहने लगा है, क्योंकि उसे उत्तर प्रदेश में पर्याप्त समय बिताने या यहां बस जाने को लेकर उनके इरादों में मज़बूती का अभाव दिख रहा है.

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योगी आदित्यनाथ को नागरिकता संशोधन कानून (CAA) के खिलाफ हुए प्रदर्शनों की कतई उम्मीद नहीं थी, और इसी कारण उन्होंने पुलिस कार्रवाई का निर्देश दे डाला था. अब BJP इस मुद्दे पर हिन्दू वोटों के ध्रुवीकरण की उम्मीद कर रही है. यहां तक कि मुस्लिम वोटों पर खासी पकड़ का दावा करने वाली SP के मुखिया अखिलेश यादव भी नए कानून को लेकर उम्मीद से बेहद कम आक्रामक रहे हैं.

मोदी सरकार के पास इस वक्त यह ताकत है कि वह अखिलेश यादव और मायावती के खिलाफ चल रहे भ्रष्टाचार के केसों को धीमा कर सके, या उनकी गति को बढ़ा सके. इसके अलावा, BJP समूचे देश में CAA के पक्ष में रैलियां भी करने जा रही है. उत्तर प्रदेश में रक्षामंत्री राजनाथ सिंह, स्मृति ईरानी और केंद्रीय मंत्री नितिन गडकरी CAA को लेकर समर्थन जुटाने के लिए रैलियों को संबोधित करेंगे, जिसे लेकर सरकार पर मुस्लिमों के साथ भेदभाव करने का आरोप लगाया जा रहा है.

अब इस मुद्दे पर उत्तर प्रदेश में विपक्ष की क्या प्रतिक्रिया होती है, इसी से तय हो पाएगा कि अगले विधानसभा चुनाव में CAA मुद्दा बनेगा या नहीं. कांग्रेस ने इस कानून को आड़े हाथ लिया है, और घोषणा की है कि उसकी सत्ता वाले राज्यों में इस कानून को लागू करने की हर कोशिश को रोका जाएगा. BJP के एक नेता ने उत्साहित सुर में कहा, "पिछले साल लोकसभा चुनाव से पहले प्रियंका गांधी वाड्रा को कांग्रेस का 'ब्रह्मास्त्र' कहा गया था, लेकिन उत्तर प्रदेश अब तक उनके प्रति रूखा ही रहा है... मतदाता बदल चुका है... युवा मतदाताओं के लिए गांधी परिवार में कोई आकर्षण नहीं बचा है... उत्तर प्रदेश BJP के साथ है, और प्रियंका गांधी वाड्रा को मिल सकने वाला दो फीसदी वोट कांग्रेस की मदद नहीं कर पाएगा..."

स्वाति चतुर्वेदी लेखिका तथा पत्रकार हैं, जो 'इंडियन एक्सप्रेस', 'द स्टेट्समैन' तथा 'द हिन्दुस्तान टाइम्स' के साथ काम कर चुकी हैं...

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