हरियाणा के आईएएस अफ़सर अशोक खेमका ने तबादले में अर्धशतक बनाया है. 51वीं बार उनका तबादला हुआ है. एक तबादले से दूसरे तबादले के बीच एक अफसर कैसे जीता है, नए और पुराने विभागों के उसके मातहत या मंत्री उसके आने और जाने को किस निगाह से देखते हैं, मुझे यह सब समझने में दिलचस्पी हो रही है. मैं चाहता हूं कि अशोक खेमका के साथ होने जा रही यह बातचीत आईएएस और आईपीएस या किसी भी स्तर के लोकसेवक का इम्हतान देने जा रहे नौजवानों के लिए कोचिंग मैन्युअल का काम करे. क्या तबादला किसी ईमानदार अफसर को तोड़ देता है, क्या उसके परिवार वाले उसी से तंग आ जाते हैं, उसके परिवार पर क्या असर पड़ता है, क्या ईमानदार अफसर को मध्यमार्ग होना चाहिए, मसलन कुछ को कमाने देने चाहिए और कुछ को कमाने नहीं देना चाहिए.
बहुत से अफसर ये भी कहते पाए जाते हैं कि खुद मत कमाओ मगर कमाने से किसी को रोको भी मत. सिस्टम तो हम बदल नहीं सकते. अगर नहीं बदल सकते हैं तो फिर यूपीएससी के रिज़ल्ट को हम इतना सेलिब्रेट क्यों करते हैं. क्या सिर्फ दहेज़ लेने के लिए या टीवी पर आने के लिए. अगर यह यथास्थितिवादी व्यवस्था है तो इसके लिए चुने जाने वालों का स्वागत किसी क्रांतिकारी की तरह क्यों होता है. उसके चुने जाने पर हम अफसोस क्यों नहीं करते कि एक और नौजवान सिस्टम के पिंजड़ें में तोते की तरह प्रवेश कर रहा है. बहुत से अफसर हुए हैं जिन्होंने लोगों का जीवन बदल दिया है मगर उस सिस्टम को वो बदल क्यों नहीं पाते हैं, सिस्टम ही उन्हें क्यों बदल देता है. यह सब कई सवाल हैं जिनका जवाब मैं अशोक खेमका से जानना चाहता हूं.
रिसर्च के दौरान हमें कुछ जानकारी मिली है कि 1973 बैच के मंजोय नाथ का 39 साल की नौकरी में 40 बार तबादला हुआ था. तमिलनाडु में एक आईएस अफसर का तबादला 48 घंटे में दो बार कर दिया गया. यू साग्याम का 27 साल की नौकरी में 25 बार तबादला हुआ है. कर्नाटक काडर के एमएन विजयकुमार का 32 साल में 27 बार तबादला हुआ है. एम एन विजयकुमार ने ऊर्जा, गृह और उद्योग मंत्रालय में घोटालों को उजागर किया था. आंध प्रदेश में पूनम मलाकोंडिया का 24 साल की नौकरी में 26 बार तबादला हुआ है. पूनम में स्वास्थ्य और शिक्षा विभाग में व्याप्त भ्रष्टाचार को उजागर किया है. राजस्थान काडर की मुग्धा सिन्हा का 15 साल की नौकरी में 13 बार तबादला हुआ है. मुग्धा भी किसी दबाव में आकर काम नहीं करती हैं.
VIDEO : वरिष्ठ आइएएस अशोक खेमका का फिर तबादला
तो आपने देखा कि जो अफसर अपना सब कुछ दांव पर लगाकर सिस्टम के भीतर के भ्रष्टाचार के ख़िलाफ़ लड़ते हैं वो कितने अकेले पड़ जाते हैं. हमें नहीं पता कि उनके काडर या बैच के लोग उन अफसरों के साथ किस तरह का रिश्ता रखते हैं, हौसला बढ़ाते हैं, सपोर्ट करते हैं या किनारा कर लेते हैं. बहुत से योग्य अफसरों को तो तबादले का मौका भी नहीं मिलता, सरकार बदलती रहती है मगर कोई उनसे काम नहीं लेता. उन्हें किसी अच्छी जगह पोस्टिंग नहीं होती है. ऐसा क्या किया जाए कि जो अफसर सिस्टम से लड़ते हैं उन्हें कोई इतनी आसानी से तोड़ न पाए. अशोक खेमका से बात करेंगे.
This Article is From Nov 14, 2017
ईमानदार अफ़सरों के लिए व्यवस्था में गुंजाइश कहां? रवीश कुमार के साथ प्राइम टाइम
Ravish Kumar
- ब्लॉग,
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Updated:नवंबर 14, 2017 22:59 pm IST
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Published On नवंबर 14, 2017 21:06 pm IST
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Last Updated On नवंबर 14, 2017 22:59 pm IST
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