बैंकों का असली इम्तिहान अब होने वाला है. 28 से 7 तारीख के बीच करोड़ों लोगों की सैलरी अलग-अलग दिनों पर आती है, पेंशन आती है. नोटबंदी का आज 23 वां दिन है. नवंबर का महीना तो लोगों ने पुरानी सैलरी के पैसे को बदलवाने और उधार पर घर चलाने में गुज़ार दिया, लेकिन दिसंबर कैसे कटेगा. 1 दिसंबर से 7 दिसंबर के बीच अगर लोगों के हाथ में सैलरी नहीं मिली तो क्या होगा. केंद्र सरकार के कई विभागों के कर्मचारियों को हफ्ते भर पहले से 10 हज़ार रुपया अडवांस मिलने लगा था, लेकिन उन्हें भी ये राशि दो हज़ार और सौ के नोट में मिली है. पूरी सैलरी कब मिलेगी, कब खाते में आएगी और कब तक निकाल सकेंगे ये तो कर्मचारी ही बतायेंगे. 10 हज़ार से कितना खर्चा चलेगा ये भी वही बतायेंगे लेकिन हम अंदाज़ा लगा सकते हैं कि 10 हज़ार कैश से कितना काम चला सकेंगे. उसे भी तो इस 10 हज़ार में से अखबार वाले से लेकर दूध वाले तक को देना होगा. खासकर छोटे स्तर के कर्माचारियों को खासी दिक्कत होगी. हमारे तमाम संवाददाता जब भी बैंक जाते हैं एक ही कहानी लेकर लौट रहे हैं कि 12 बजे तक कैश खत्म हो जाता है. 23 दिन बाद भी बैंकों के पास कैश की स्थिति में तथाकथित सुधार की यही कहानी चल रही है.
हमारे सहयोगी रवीश रंजन शुक्ला नई दिल्ली के संसद मार्ग स्थित पंजाब नेशनल बैंक गए. 11 बजे वहां तीन लाइनें थीं. एक जमा करने की लाइन, एक एटीएम की लाइन और एक पैसा निकालने वालों की लाइन. लोगों को तीन तरह के टोकन बांटे जा रहे हैं. इनमें आम खातेदार भी कतार में हैं. रवीश रंजन ने बताया कि 9 बजे से लाइन लगने के बाद भी 12 बजे तक कैशियर के काउंटर तक नहीं पहुंच सके. जब देश की संसद और केंद्र सरकार के ठीक बगल के ब्रांच की ये हालत है तो आप दूर दराज़ के ग्रामीण इलाकों का हाल समझ सकते हैं, जो अपनी तकलीफ ट्वीट भी नहीं कर सकते हैं.
इसके बाद रवीश रंजन पहुंचे यमुनापार के प्रीत विहार. कॉरपोरेशन बैंक में एमसीडी कर्मचारी और पेंशनर के खाते हैं. यहां एक सज्जन ने रवीश रंजन को बताया कि 28 नवंबर को ही वेतन आ गया था मगर वे निकाल नहीं पा रहे हैं. एमसीडी के कर्मचारी ने कहा कि 1 दिसंबर को स्थिति और खराब हो सकती है, क्योंकि यहां 12 बजे तक ही कैश खत्म हो जाता है.
इसके बाद दोपहर पौने दो बजे के करीब रवीश रंजन पहुंचे यमुनापार के एक्सिस बैंक के बाहर. लक्ष्मीनगर के इस बैंक के बाहर लाइन लगी थी मगर कैमरा देखते ही मैनेजर साहब लोगों को अंदर बुलाने लगे ताकि कैमरे को लाइन न लगे. कई लोगों ने कहा कि 10 बजे ही यहां कैश खत्म हो जाता है. सवाल है कि क्या 1 दिसंबर को सबको कैश मिलेगा.
सैलरी आएगी ये सवाल है, आएगी तो कितनी मिलेगी, क्या उसके लिए फिर से बैंकों के बाहर लाइनों में दिन रात एक करना होगा. सरकार शुरुआती हफ्तों में तो रोज़ बता रही थी कि इतने एटीएम को नए नोटों के लायक सेट कर दिया गया है. इसके बाद भी कई जगहों पर एटीएम में पैसा नहीं है. हमारे सहयोगी अखिलेश शर्मा ने जानकारी दी है कि वित्त मंत्रालय भारतीय रिज़र्व बैंक से नियमित संपर्क में है. वेतन के लिए पर्याप्त नगदी है. 8 नवंबर के दिन जितनी संख्या में 100 के नोट थे, उससे डेढ़ सौ फीसदी 100 के नोट अधिक हैं. आपको याद दिला दें कि नोटबंदी के रोज़ जितनी मुद्रा चलन में थी उसका 86 फीसदी हिस्सा 500 और 1000 के नोट के थे. बाकी के 14 फीसदी में 100 से लेकर दस रुपये के नोट को आप गिन सकते हैं. सरकार ने कहा है कि वेतन के लिए 30 नवंबर से 7 दिसंबर तक का वक्त रखा है और काफी नगदी है. वैसे हर महीने 30 से 7 के बीच ही सैलरी आती है और बंटती है. सरकार ने कहा है कि बुधवार शाम से 500 के नोट और ज्यादा मिलेंगे.
भारतीय रिज़र्व बैंक के गवर्नर और वित्त मामलों के सचिव शक्तिकांत दास और वित्त मंत्री अरुण जेटली बार-बार कह रहे हैं कि कैश की कोई कमी नहीं है लेकिन महानगरों में ही मांग के अनुसार कैश की सप्लाई नहीं हो पा रही है. गांवों औ सुदूर इलाकों की क्या हालत होगी जहां दस पंद्रह गांवों पर मुश्किल से एक ही बैंक है. गांव के लोग टीवी और अखबार में सुन ही रहे हैं कि कैश की कोई कमी नहीं है लेकिन ज़्यादातर बैंकों की शाखाओं से उन्हें निराशा हाथ लग रही है. बैंकों के मैनेजर कैश कम होने की बात कर रहे हैं और उसी में से थोड़ा थोड़ा अधिक से अधिक लोगों के बीच बांट रहे हैं. हमारे सहयोगी शरद शर्मा, यूपी के मुरादनगर के जलालाबाद गांव गए. दिल्ली से बहुत दूर नहीं है ये गांव.
जलालादाबाद का सिंडिकेट बैंक खुला हुआ है. यहां शरद को भीड़ नहीं मिली क्योंकि सबको टोकन दे दिया गया है. इस बैंक ने 28 नवंबर से 500 से अधिक लोगों को टोकन दिया है. टोकन मिलने के बाद भी करीब चार सौ लोगों को अभी तक पैसे नहीं मिल पाए हैं. गांव के कुछ लोग इस उम्मीद में बैंक आ जाते हैं कि शायद अब पैसा आ गया होगा. बैंक से पैसा न मिलने के कारण लोग इस चर्चा में लगे रहते हैं कि पास के किस बैंक में पैसा मिल रहा है. यहां कुछ लोगों ने बताया कि पास के स्टेट बैंक में पैसा मिल रहा है तो अब वे सोच रहे हैं कि यहां का खाता बंद कर वहां खोल लें. लोगों को इस बात की नाराज़गी है कि जब शहरों में पैसा मिल रहा है तो गांव वालों से भेदभाव क्यों हो रहा है।
नोटबंदी के कारण बैंक के कर्माचारियों की हालत खराब ही होगी. वे मेहनत तो कर रहे हैं लेकिन अब मैनेजरों का भी सब्र टूट रहा है. उनसे भी लोगों की तकलीफ नहीं देखी जा रही है. अखबार में एक खबर छपी थी कि जब एक व्यक्ति के अंतिम संस्कार के लिए पैसे नहीं थे तो बैंक मैनेजर ने अपनी जेब से पैसे दे दिये. मगर वे भी कब तक इस तरह से लोगों को मायूस होते देख सकते हैं. बैंकों के बाहर नोटिस की भाषा बदलने लगी है. कहीं ईमानदार है तो कहीं सख्त हो चुकी है और कहीं चेतावनी भी है.
गाजियाबाद के बसंतपुर सैथंली के इलाहाबाद बैंक के प्रबंधक ने साढ़े आठ बजे सुबह ही नोटिस चिपका दिया. इसका मतलब है कि बैंक के खुलने से पहले ही ये नोटिस चिपका दिया गया है. इस पर ये लिखा है कि बैंक में कैश नहीं है. 30 नवंबर की तारीख भी है. मतलब मैनेजर ने ईमानदारी और साहस का परिचय देते हुए कह दिया है कि नोट का इंतज़ार न करें.
बाग़पत ज़िले के पंजाब नेशनल बैंक की शाखा के बाहर नैतिक शिक्षा भी दी गई. सभी को पैसे नहीं मिल रहे, जितने मांग रहे हैं उससे कम ही मिल रहा है, मगर ये लेक्चर सबके लिए है. इसमें लिखा है कि 'कुछ दिन ज़रूरतों पर ख़र्च कीजिए, शौक पर नहीं. कुछ दिन समझौता कीजिए, शिकायत नहीं. कुछ दिन समझदारी दिखाइये, गुस्सा नहीं, बस कुछ दिन ही की तो बात है दोस्तों. अपना देश बदल रहा है.' दोनों तरफ तिरंगे की तस्वीर है.
इस बैंक के भीतर मैनेजर साहब ने एक और बात लिख दी है- पेमेंट भारत सरकार द्वारा कैश की उपलब्धता पर निर्भर होगा. कृपया संयम बनाए रखें- शाखा प्रबंधक
बैंकों को आशंका है कि कहीं लोग संयम न खो बैठें इसलिए संयम को लेकर नैतिक शिक्षा दी गई है. दिल्ली में आईसीआईसीआई बैंक की एक शाखा के बाहर टंगे नोटिस बोर्ड में लिखा है कि महत्वपूर्ण सूचना, आईपीसी सेक्शन 332, 352 और 353, यदि कोई व्यक्ति बैंक कर्मचारियों से दुर्व्यवहार और मारपीट करता है, यह भारतीय दंड संहिता के अंतर्गत एक जुर्म है, जिसके लिए तीन साल की जेल या जुर्माना अथवा दोनों हो सकते हैं. ये ग़ैरज़मानती अपराध है. कई बैंकों के बाहर इस तरह के नोटिस लगाए गए हैं.
बैंक याद दिला रहे हैं कि आपने कर्मचारियों के साथ दुर्व्यवहार किया तो तीन साल की जेल हो सकती है. बैंक यह नहीं बता रहे हैं कि किस कानून के तहत वे लोगों का पैसा लोगों को नहीं दे रहे हैं. कई जानकारों ने इस बात को लेकर सवाल उठाये हैं कि लोगों का पैसा है, उन्हें किस कानून के तहत नहीं मिल रहा है. बैंकों को अपनी तरफ से भी इसके बारे में जानकारी देनी चाहिए.
हावड़ा के जगदीशपुर एसबीआई ब्रांच में पैसे नहीं मिले तो लोगों ने हंगामा शुरू कर दिया. काफी देर तक ग्राहक इंतज़ार करते रहे. एटीएम मशीन को नुकसान पहुंचा दिया. बैंक ने गेट बंद कर लिया और कहा कि न तो काउंटर पर पैसे हैं और न ही एटीएम में. ऐसी स्थिति न आ जाए इसलिए दिल्ली के एक बैंक के बाहर लिखा है कि कर्मचारियों के साथ मारपीट की तो तीन साल की जेल हो सकती है.
हमारे सहयोगी श्रीनिवासन जैन ने स्टेट बैंक ऑफ इंडिया के प्रबंध निदेशक रजनीश कुमार से बात की. रजनीश कुमार ने कहा कि यह कोई सामान्य स्थिति तो नहीं है लेकिन उतनी भी बुरी नहीं है जितनी पेश की जा रही है. अगर यही सही है तो बैंकों के बाहर खड़े सभी लोगों को पैसे क्यों नहीं मिल रहे हैं. उतने क्यों नहीं मिल रहे हैं जितने वो मांग रहे हैं.
रजनीश कुमार ने श्रीनिवासन जैन से कहा कि सैलरी दिवस को ध्यान में रखते हुए लाइन में खड़े लोगों को बिठाने से लेकर पानी पिलाने तक की तैयारी हो चुकी है. दूसरे बैंकों के बाहर सुरक्षा की क्या स्थिति है उसकी जानकारी तो नहीं लेकिन स्टेट बैंक की सभी शाखाओं में व्यवस्था बनी हुई है. एसबीआई हर दिन 6000 करोड़ रुपये बांट रहा है. पिछले 20 दिनों से बैंक के सभी कर्मचारी 100 प्रतिशत क्षमता पर काम कर रहे हैं. जब श्रीनिवासन ने पूछा कि ऐसी खबरें आ रही हैं कि भारतीय रिज़र्व बैंक कैश की राशनिंग कर रहा है तो इसके जवाब में रजनीश कुमार ने कहा कि ऐसी कोई बात नहीं है. उन्होंने माना कि ये कोई सामान्य स्थिति नहीं है लेकिन उतनी भी बुरी नहीं है जितनी पेश की जा रही है. मैं देश का पचास फीसदी पैसा मैनेज कर रहा हूं. मैं यह नहीं कह रहा कि सब कुछ नॉर्मल हो गया है, लेकिन जब भी ज़रूरत हो रही है हम भारतीय रिज़र्व बैंक को सूचित कर रहे हैं. सभी एटीएम सौ फीसदी काम नहीं कर रहे हैं. रजनीश कुमार ने समझाया कि पहले स्टेट बैंक एटीएम के ज़रिये हर दिन 26 से 28 हज़ार करोड़ बांट रहा था. अब 1800 से 2000 करोड़ ही बांट रहा है.
पहले की तुलना में 20,000 करोड़ कम बांटे जा रहे हैं तो दिक्कत तो होगी ही. जितना पैसा बांटा जा रहा था, उसमें तीस प्रतिशत की गिरावट आई है. इस बीच ख़बर ये आई है कि भारत की जीडीपी दूसरी तिमाही में 7.3 प्रतिशत रही है. दूसरी तिमाही 30 सितंबर को समाप्त होती है. भारतीय रिज़र्व बैंक ने कहा है कि जनधन खाते से दस हज़ार से ज्यादा की रकम नहीं निकाली जा सकती है. दस हज़ार से अधिक निकालने पर दस्तावेज़ देने होंगे कि क्यों निकालना चाहते हैं. बैंक मैनेजर तय करेगा कि दस हज़ार से अधिक जनधन से निकाल सकते हैं या नहीं. भारतीय रिज़र्व बैंक की अधिसूचना में कहा गया है कि मासूम किसानों और ग्रामीण खाताधारकों की सुरक्षा के लिए ये फैसला लिया गया है, ताकि उनके खातों का इस्तेमाल मनी लाउंड्रिंग वाले न करें, काला धन को सफेद करने में न करें. इसलिए ऐसे खातों के संचालन पर कुछ सीमा लगाने का फैसला किया गया है. इन खातों में जिनका केवाईसी है वो एक महीने में दस हज़ार निकाल सकेंगे. और जिनकी के वाई सी नहीं है वे पांच हज़ार ही निकाल सकेंगे. यह फैसला अस्थायी तौर पर किया गया है मतलब कुछ समय के लिए ही है.
उधर अब कंपनियों ने अपने कर्मचारियों का खाता खुलवाना शुरू कर दिया है, जिससे सैलरी उनके खाते में ही चली जाए. नोएडा की रेडियंट एक्सपोर्ट कंपनी को 7 तारीख को सैलरी बांटनी है. नोटबंदी के चलते कैश में सैलरी देना मुमकिन नहीं इसलिए बैंक के कर्मचारी कैंप लगाकर खाता खोल रहे हैं. यहां 1500 लोग काम करते थे मगर 200-300 लोगों का ही बैंक अकाउंट है. हमारे सहयोगी मुकेश सिंह सेंगर ने अपनी रिपोर्ट में कहा है कि ग्रेटर नोएडा की 9000 कंपनियों में 7 लाख से ज्यादा कर्मचारी काम करते हैं. बैंकों के साथ-साथ इम्पलाइज़ प्रोविडेंट फंड के कर्मचारी भी ईपीएफ अकाउंट खोल रहे हैं. गौतमबुद्ध नगर के ईपीएफ कमिश्नर मनोज यादव ने दावा किया है कि नोटबंदी के बाद अब तक पूरे देश में दस लाख ईपीएफ खाते खोलने का दावा किया जा रहा है.इस कवायद से कर्मचारियों को भविष्य निधि का लाभ भी मिलेगा.
प्रधानमंत्री मोदी ने मंगलवार को कहा था कि कैशलेस सिस्टम की शुरुआत संसद से होनी चाहिए. बुधवार को ही संसद की कैंटीन में स्वाइप मशीन आई. फूलों से ऐसे सजा कर रखी गई है जैसे डोली में दुल्हन बैठी हो. नोटबंदी के तमाम अच्छे बुरे प्रभावों के बीच स्वाइप मशीन का विस्तार भी एक रोचक दस्तावेज़ है. ऐसा नहीं है कि ये मशीन पहली बार आई है बल्कि कई वर्षों से कई दुकानों पर हम इसे देख ही रहे थे, बहुत लोग इस्तेमाल कर ही रहे थे मगर नोटबंदी के दौर में फूलों की सेज़ पर रखी इस मशीन से पता चलता है कि इस वक्त इसकी अहमियत क्या है. इस मशीन का उद्घाटन स्पीकर सुमित्रा महाजन ने किया. यह वो मशीन है जो एक दिन एटीएम को बेरोज़गार कर देगी तब जब लोग कैश का इस्तमाल बंद नहीं, तो कम से कम कर देंगे. कैशलेस व्यवस्था में एटीएम का क्या काम रह जाएगा. हमारे जीवन में मशीनें आती हैं और जाती रहती हैं. जैसे पेजर गया तो मोबाइल फोन आ गया.
29 नवंबर के टाइम्स ऑफ इंडिया में छपी मयूर शेट्टी की खबर के अनुसार सरकार बैंकों से कह रही है कि वे तीन महीने में दस लाख क्रेडिट कार्ड स्वाइप मशीन लगा दे. स्टेट बैंक ऑफ इंडिया को छह लाख मशीनें लगानी है. इसके लिए सरकार ने इन मशीनों पर लगने वाले 12.5 प्रतिशत उत्पाद कर माफ कर दिया है. 4 प्रतिशत का विशेष उत्पाद शुल्क भी माफ कर दिया गया है. भारत में इस वक्त 14.6 लाख प्वाईंट ऑफ सेल टर्मिनल हैं. 8 नवंबर के दिन 14 लाख करोड़ की मुद्रा चलन में थी. बहुत से दुकानदार रेहड़ी पटरी वाले इस मशीन को ला रहे हैं.
कोई भी यह मशीन नहीं ले सकता है. इसके लिए किसी बैंक में मर्चेंट अकाउंट खुलवाना होता है. इसके बाद बैंक में पीओएस मशीन के लिए अप्लाई करना होता है. बैंक बिजनेस मैन का इतिहास देखता है, जगह की जांच करता है फिर पीएसओ मशीन जारी करता है. इसके लिए बिजनेस मैन को एक पिन नंबर दिया जाता है. यह मशीन बैंक के आनलाइन सर्वर से जोड़ दी जाती है. स्वाइप मशीन तीन तरह की होती है. एक जीपीआरएस से चलती है, एक लैंडलाइन फोन से चलती है, तीसरी मोबाइल प्वाइंट ऑफ सेल से चलती है. जीपीआरएस वाली मशीन को आप शहर के भीतर कहीं ले जा सकते हैं. लैंडलाइन वाली मशीन उसी जगह पर होती है.
टाइम्स ऑफ इंडिया की खबर के अनुसार पेरिस और अमरीका की कंपनियां सबसे ज्यादा स्वाइप मशीन की निर्यात करती हैं. भारत में पाइन लैब प्वाइंट ऑफ सेल मशीनों की प्रमुख सर्विस प्रोवाइडर मानी जाती है. इस कंपनी का दावा है कि दिल्ली और आसपास के इलाकों में इसी का वर्चस्व है.
सर्विस प्रोवाइर कंपनी जब आपको यह मशीन देगी तो आपसे 600 रुपया महीना सर्विस चार्ज लेगी. मशीन की अपनी कोई कीमत नहीं ली जाती है. जो सेवा दी जाती है उसी का छोटा सा हिस्सा कंपनी को देना होता है. पाइन लैब मशीन में हर बैंक का कार्ड चल जाता है. कुछ बैंक अपनी मशीन देते हैं उससे अगर आप दूसरे बैंक के कार्ड का इस्तेमाल करेंगे तो अधिक चार्ज देना पड़ जाएगा. आप जानते हैं कि क्रेडिट कार्ड से लेनदेन करने पर ढाई प्रतिशत सेवा शुल्क लगता है. फिलहाल 30 दिसबंर तक माफ है. हम आपको बताने की स्थिति में नहीं है कि स्वाइप मशीन की सेवा देने वाली कंपनियां बैंकों से सेवा शुल्क ले रही हैं या नहीं. मतलब ग्राहक के लिए तो माफी है लेकिन क्या ये घाटा बैंक उठा रहे हैं. 1 जनवरी से क्या होगा जब हर लेन देन पर ढाई प्रतिशत सेवा शुल्क देना होगा. इस तरह से आपकी हर खरीदारी पर कुछ न कुछ जुड़ता चला जाएगा. आपकी जेब से निकलने वाले पांच सौ के भी सेवा शुल्क से कितने करोड़ का व्यापार खड़ा हो जाएगा. कैशलेश इकोनोमी एक व्यापारिक व्यवस्था है, जिसमें आप नोट का इस्तमाल नहीं करेंगे, मशीन का करेंगे तो किसी और की भी कमाई होगी.
केंद्र सरकार ने नोटबंदी के असर का मूल्यांकन करने के लिए 13 मुख्यमंत्रियों की एक कमेटी बनाई है. आंध्र प्रदेश के मुख्यमंत्री चंद्रबाबू नायडू इसके अध्यक्ष होंगे. इस कमेटी में नोटबंदी का समर्थन करने वाले बिहार के मुख्यमंत्री नीतीश कुमार का नाम नहीं है. ओडिशा के मुख्यमंत्री नवीन पटनायक और पुडुचेरी के मुख्यमंत्री वी नारायणसामी का नाम है.
This Article is From Nov 30, 2016
प्राइम टाइम इंट्रो : जैसे-तैसे कटा नवंबर, पर दिसंबर?
Ravish Kumar
- ब्लॉग,
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Updated:नवंबर 30, 2016 21:42 pm IST
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Published On नवंबर 30, 2016 21:38 pm IST
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Last Updated On नवंबर 30, 2016 21:42 pm IST
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