जिस दिन बिहार के माननीय मुख्यमंत्री नीतीश कुमार ने अपने पद और अपने पावर को बरकरार रखने के लिए आरजेडी प्रमुख लालू प्रसाद यादव से हाथ मिलाया था, उसी दिन से यह समझा जाने लगा था कि बिहार में एक बार फिर से वही दिन देखने को मिलेंगे जो आज से 11 साल पहले सहे जा रहे थे। इस बात को हम सब जानते हैं कि आरजेडी के शासन के वक्त बिहार का क्या हाल था और एक बार फिर से वही बिहार हमारे सामने आकर खड़ा हो गया है।
बिहार में आज फिर से गुंडा राज शुरू हो चुका है। किडनैपिंग और मर्डर जैसी वारदातें होनी शुरू हो गई हैं। आज बिहार गर्मी से नहीं, बल्कि अपराधों से तपता हुआ दिखाई पड़ रहा है और आलम यह है कि मंत्री दूसरे राज्यों में राजनीति करते नजर आ रहे हैं। इसी महीने राज्य के गया जिले में गाड़ी ओवरटेक करने पर एक छात्र की गोली मारकर हत्या कर दी गई थी। हत्या का आरोप सत्ताधारी जेडीयू की विधायक मनोरमा देवी के बेटे रॉकी यादव पर है जो फिलहाल हिरासत में हैं।
गया में उस मृत छात्र के परिवारवालों के अभी आंसू भी नहीं थमे थे कि बिहार के सिवान जिले में हिन्दुस्तान अखबार के ब्यूरो चीफ राजदेव रंजन की गोली मारकर हत्या कर दी गई और आरोपी अब भी पुलिस की गिरफ्त से बाहर हैं। सिर्फ शराब पर पाबंदी लगा देने से अपराध को राज्य से हटाया नहीं जा सकता। अगर ऐसा होता, तो पूरे देश में शराब पर पाबंदी लगा दी जाती और दुनिया में हमारा देश 'क्राइम फ्री कंट्री' कहलाता। जरूरी है कि बिहार में कानून व्यवस्था को दुरुस्त किया जाए और मुख्यमंत्री को इधर-उधर की बातों को नजरअंदाज करते हुए अपने राज्य के उन सभी लोगों की बातों पर ध्यान देना शुरू करना चाहिए जिन्होंने उन पर भरोसा करके आरजेडी पर भी भरोसा करने की कोशिश की है।
वैसे, मेरा शुरू से यही मानना है कि बिहार में जदयू और आरजेडी कभी भी एक साथ एक ही नाव में ज्यादा दूर तक सफर नहीं कर सकते। आरजेडी से हाथ मिलाना सिर्फ नीतीश कुमार की एक मजबूरी थी और कुछ नहीं। जेडीयू और आरजेडी ज्यादा दिनों तक कदम से कदम मिलाकर नहीं चल सकते। इन दोनों की सोच और दोनों के विचार में अंतर है, क्योंकि आरजेडी ने बिहार से सिर्फ लिया है और नीतीश ने बिहार को बहुत कुछ दिया है। बिहार में वर्तमान स्थिति पर अगर काबू नहीं पाया गया, तो शायद नीतीश पर से बिहारवासियों का विश्वास टूट जाएगा और यह पूरी तरह से जायज होगा।
बिहार के माननीय मुख्यमंत्री जी से मेरा सिर्फ एक सवाल है कि आपके ही राज में बिहार में एक बड़ा बदलाव आया था। जहां लोग रात 10 बजे के बाद गया और जहानाबाद जैसे कई शहरों में घर से बाहर निकलने से डरते थे, वहीं आप के ही राज में रात के चाहे एक ही क्यों न बज रहे हों, ट्रेन पकड़ने स्टेशन निकल पड़ते थे। लड़कियां आप ही के राज में खुद को सुरक्षित महसूस करती थीं। लेकिन आज बिहार की हालत फिर से क्यों पुरानी जैसी होती जा रही है, जहां सिर्फ ओवरटेक करने पर हत्या कर दी जा रही है। मुझे आपसे बस इसी एक सवाल का जवाब जानना है।
(प्रतीक शेखर एनडीटीवी ख़बर में कार्यरत हैं)
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This Article is From May 16, 2016
बिहार गर्मी से नहीं, क्राइम से तप रहा है...
Pratik Shekhar
- ब्लॉग,
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Updated:मई 16, 2016 12:12 pm IST
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Published On मई 16, 2016 10:32 am IST
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Last Updated On मई 16, 2016 12:12 pm IST
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