कांग्रेस के वरिष्ठ महासचिव और 10 साल तक एक राज्य के मुखिया रहने वाले एक बड़े नेता अपनी सफलता का गुर कुछ नेताओं और पत्रकारों के बीच सुना रहे थे। उन्होंने कहा कि वह जब पहली बार विधायक बने तो उनके परिवार में आए दो बुज़ुर्गों ने उन्हें सलाह दी कि यदि तुम जीवन में कुछ चीजों का पालन करोगे तो तुम इस राज्य के मुख्यमंत्री बन सकते हो। उन बुज़ुर्गों ने उन्हें सलाह दी कि जबरियाना, जुर्माना और नजराना… इन तीन शब्दों का अपने जीवन में उन्हें विशेष ध्यान रखना चाहिए।
बुज़ुर्गों ने उन्हें समझाया कि अपने राजनीतिक करियर में किसी से जबरन कोई चीज़ या पैसा मत लेना... किसी पर ज़ुर्माना करके पैसा ऐंठने की कोशिश मत करना और अगर कोई कुछ नज़राना दे तो उसे दोनों हाथ से कबूल कर लेना…।
उस बड़े नेता ने पत्रकारों को बताया कि वह अभी तक इस सिद्धांत पर अमल करते आए हैं और आज तक उनपर कोई दाग नहीं लगा है… और न ही पैसे के हेर−फेर को लेकर कोई आरोप लगा है।
नजराना तो बड़े-बड़े राजाओं के दरबार में सबके सामने दिए जाते थे… और अभी भी भारत में कोई किसी के घर खाली हाथ नहीं जाता है… यही वजह है कि नजराने को वह कभी मना नहीं करते।
This Article is From Sep 07, 2012
नजराने से नहीं है परहेज...!
Manoranjan Bharti
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Updated:नवंबर 20, 2014 15:15 pm IST
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Published On सितंबर 07, 2012 22:18 pm IST
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Last Updated On नवंबर 20, 2014 15:15 pm IST
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