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रिपोर्टर की डायरी... किस्सा पावर बैंक का!

Jaya Kaushik
  • ब्लॉग,
  • Updated:
    फ़रवरी 23, 2025 22:58 pm IST
    • Published On फ़रवरी 23, 2025 22:28 pm IST
    • Last Updated On फ़रवरी 23, 2025 22:58 pm IST
रिपोर्टर की डायरी... किस्सा पावर बैंक का!

आप सोचते होंगे एंकर या रिपोर्टर जो टीवी पर दिखते हैं, अपने सब्जेक्ट के बारे में जानकारी जुटाते हैं और बड़ी आसानी से वो आप तक पहुंचा देते हैं. लेकिन कई बार कहानी बताते हुए उसके पीछे रिपोर्टर को जो मशक्कत करनी पड़ती है, उसकी कहानी आप तक नहीं पहुंच पाती. ऐसे में मैंने सोचा क्यों न आज आपसे एक किस्सा शेयर किया जाए. ये बताने के लिए मुझे भी थोड़ा फ्लैश बैक में जाना होगा. तो सुनिए, हुआ ये कि 19 फरवरी बुधवार को मैं किसी भी सामान्य दिन की तरह मॉर्निंग एंकरिंग शिफ़्ट खत्म करके घर शाम को पहुंची थी.

उस दिन एक खबर शाम को डेवलप हो रही थी. हर किसी की निगाह इस बात पर अटकी थी कि दिल्ली का अगला सीएम कौन होगा? क्या इस बार किसी महिला को कमान मिलेगी? कई नाम चर्चा में थे. इस बीच शाम तक बीजेपी विधायक दल की बैठक चल रही थी, उसमें रेखा गुप्ता के नाम पर मुहर लगी कि वो अगले सीएम के तौर पर 20 फरवरी को रामलीला मैदान में शपथ लेने जा रही हैं, साथ ही कुछ और मंत्री भी.

फिर क्या था ये खबर चैनलों पर ब्रेकिंग न्यूज़ बनकर चलने लगी, इसी बीच रात क़रीब 8 बजे मुझे ऑफिस से फोन आया कि रेखा गुप्ता का घर शालीमार बाग में है. क्या आप उनके घर चली जाएंगी? वहां से लाइव रिपोर्टिंग थी, खबर बड़ी थी मैंने कहा- हां. मैं फटाफट निकलती हूं क्योंकि घर से शालीमार बाग पहुंचने में कम से कम पौना घंटा तो लगेगा ही, रिंग रोड का ट्रैफिक और उस पर पीक आवर का समय जोड़ लें तो एक घंटा भी लग सकता है.

फिर क्या था ऑफिस से कैमरापर्सन को सीधे शालीमार बाग पहुंचने को कहा और मैंने घर से बुक की ओला कैब. निकलने से पहले मैंने अपने बैग में डाली एक पानी की बोतल, मेरा मोबाइल चार्जर, मेरी पैन-डायरी बाकि कुछ ज़रूरी सामान लेकिन कहानी में यहा है ट्विस्ट क्योंकि इस वक्त सबसे ज़्यादा किसी चीज़ की अगर ज़रूरत थी तो वो था पावर बैंक. क्योंकि फोन की बैटरी थी सिर्फ़ 12 परसेंट. 

सोचा कार में फोन थोड़ी देर चार्ज कर लूंगी तो काम हो जाएगा. लेकिन ये क्या घर में पावर बैंक ढूंढ रही हूं मिलने का नाम नहीं ले रहा. अक्सर जिस चीज़ की हमें सबसे ज़्यादा ज़रूरत होती है वो वक्त पर नहीं मिलती, ऐसा ही था, वक्त बीत रहा था ओला कैब पहुंचने वाली ही है लेकिन पावर बैंक न जाने कहां है. इस बीच ओला के ड्राइवर का फोन आ गया, सोचा चलिए घर से तो निकल पड़ते हैं देखेंगे वहां पहुंचकर कुछ जुगाड़ खोज लेंगे.

रात 8.30 बजे शालीमार बाग रेखा गुप्ता के घर पहुंचने के लिए अपने घर से निकली, लेकिन ये क्या जो पता बताया गया था वहां तो सन्नाटा था, कुछ देर में समझ आ गया कि पता गलत है. इस बीच ऑफिस लगातार पूछ रहा था आप कब तक पहुंच जाएंगी. आपका 9 बजे लाइव करना है. मैंने बताया जो पता मुझे ऑफिस से बताया गया है वो तो गलत है, मैं ढूंढ रही हूं उनका घर और ट्रैफिक जाम भी लगा है तो थोड़ा वक्त लग सकता है. 

मैंने ये भी कहा जैसे ही मैं पहुंचती हूं तो बताती हूं. ओला के ड्राइवर के साथ मिलकर मैं रात में कई जगह रुक कर एड्रेंस ढूंढ रही थी, उधर ऑफिस से कैमरापर्सन के साथ निकली गाड़ी भी अभी तक शालीमार बाग नहीं पहुंच पाई थी. ट्रैफिक के कारण उसे भी वक्त लग रहा था. बहरहाल कहानी थोड़ी लंबी हो रही है सीधा प्वाइंट पर आते हैं, कैसे-तैसे पता मिल गया और मैं पहुंच गई रेखा गुप्ता के घर की तरफ़. 

देखा जश्न का माहौल था, जिस गली में उनका घर है वहां चारों तरफ लोगों और गाड़ियों की भरमार है. इतना समझ आ गया था मैं नई सीएम जो बनने जा रही हैं उनके घर के आसपास ही हूं, ट्रैफिक जाम के बीच मैंने ओला छोड़ी पैदल निकल पड़ी. एक ढोल वाले भईया मिले. मैंने पूछा रेखा जी के घर जा रहे हो. उन्होंने बताया- हां, वहीं से बुलावा आया है, जा रहे हैं उनके घर. मैं भी पीछे-पीछे चल दी. 

जब पहुंचे उनके घर के बाहर तो लोगों के खुशी से चहक रहे चेहरे दिखे, ढोल बज रहे थे, मिठाइयां बांटी जा रही थी. लेकिन मेरा सारा ध्यान इस बात पर था कि कुछ देर में लाइव करना है और मेरे फोन की बैटरी मुझे कब धोखा दे जाए कहना मुश्किल था. इसलिए अब कुछ तो जुगाड़ खोजना ही था. कैमरापर्सन सुशील भी कुछ देर में पहुंचने वाले थे और वक्त हो रहा था रात के पौने दस बजे का. 

एक दो लोगों से पूछा कि आपके पास क्या पावर बैंक है. अपनी मस्ती में घूम रहे कुछ को लगा ये क्या सवाल है, मना करके आगे बढ़ चले. मज़े की बात है मुझे पावर बैंक भी चाहिए था और मेरे आईफोन को चार्ज करने वाली वो केबल भी जो पावर बैंक में लगकर मेरा फोन चार्ज कर पाए. 

मैं मन ही मन सोच रही थी कि जया वक्त की नज़ाकत को देखते हुए ये डिमांड थोड़ी ज़्यादा है. लेकिन क्या करें कोशिश तो करनी ही थी. फिर क्या था भीड़ में मेरी नज़र दूर से एक  6 फीट लंबे, चौड़े कंधे, बियर्ड और मुस्टैच रखे 28-30 साल की उम्र के एक ऐसे नौजवान पर पड़ी जिसके हाथ में न सिर्फ़ पावर बैंक था, बल्कि वो खुद अपना आईफ़ोन उससे चार्ज कर रहा था. 

फिर क्या था मेरी खुशी का कोई ठिकाना नहीं था, मैं उस शख्स के पास पहुंची ऐसा लगा था वो भी शायद कहीं आसपास का ही रहने वाला है. मैंने उस शख्स से रिक्वेस्ट की प्लीज़ आप मुझे थोड़ी देर के लिए अपना पावर बैंक दे सकते हैं, मेरा फोन बंद हो जाएगा और मुझे यहां से लाइव रिपोर्ट करना है. 

उसने एक सेकंड नहीं सोचा और मुझे पावर बैंक और करीने से काली तार से लिपटी आईफोन की केबल के साथ वो मेरे सुपुर्द कर दी और फिर उस जुगाड़ को पाकर मेरी खुशी ऐसी थी मानो पावर बैंक नहीं कोई पूरा बैंक मेरे हाथ लग गया हो.

बस इतनी देर में देखा सामने से हमारे कैमरापर्सन सुशील भी आ पहुंचे और फिर वहां से रात 10 बजे शुरु हो गया लाइव रिपोर्टिंग का सिलसिला… भीड़ रेखा गुप्ता को सीएम बनाए जाने की खबर से खुशी में झूम रही थी. लाइव के दौरान बातचीत के वक्त कोई गा रहा था कोई अपनी शायरी ऑन एयर सुना रहा था, तो कोई ये बता रहा था कि रेखा जी से हमारा कितना पुराना नाता है.

तभी आतिशबाज़ी भी शुरू हो गई और लोगों को इंतज़ार था रेखा गुप्ता के घर पहुंचने का क्योंकि इसी इलाक़े से वो कई बार एमएलए का चुनाव लड़ीं लेकिन विधायक चुनी गईं पहली बार.

वहां से लगातार लाइव का सिलसिला जारी था इस बीच मेरी नज़र इस पर थी कि मेरा फोन चार्ज हो भी रहा है या नहीं. फ़ोन चार्ज तो हो रहा था लेकिन थोड़ा स्लो, लेकिन बड़ी राहत मेरे लिए यही थी फ़ोन बंद नहीं हुआ. गौर करने पर पता चला कि पावर बैंक भी ज़्यादा चार्ज नहीं है. 

बहरहाल रेखा जी के पति,सासू मां समेत परिवार के बाकि लोगों के इंटरव्यू के साथ-साथ वहां के रंगों को दिखाते लाइव चालू था. इस बीच मेरी निगाह के सामने एक बार फिर वही शख्स था जिसने मुझे पावर बैंक दे रखा था, मैंने दूर से भरोसा दिलाते हुए कहा आपका पावर बैंक मेरी हिफ़ाज़त में है, सेफ़ है. 

रेखा गुप्ता की सास से बातचीत.

रेखा गुप्ता की सास से बातचीत.

उस शख्स ने भी हाथ से इशारा कर कहा आप अपना काम कर लीजिए. ढोल तेज़ी से बजने लगे, गुलाबों की पंखड़ियां रेखा जी के घर के बाहर ऊपरी मंज़िल से बरसाई जा रही थीं , ये पूरा नज़ारा हम स्टूडियो के एंकर द्वारा पूछे गए तमाम सवालों के साथ-साथ दिखाते जा रहे थे. 

भीड़ बढ़ रही थी. पता चल गया था कि रेखा जी, जो 20 फरवरी को दिल्ली की मुख्यमंत्री के तौर पर शपथ लेने जा रही हैं किसी भी पल पहुंचने वाली हैं. रेखा जी के साथ पूरा हुजूम था, पुलिसकर्मी भी थे, लेकिन भीड़ की धक्का मुक्की बढ़ गई थी. ऐसे में उनके पास तक पहुंचना आसान नहीं था. 

नई सीएम बनने जा रहीं रेखा जी के बैठने और मीडिया को संबोधित करने के लिए घर की स्टेल्थ पार्किंग में तमाम गुलदस्तों के बीच, टेबल कुर्सी की व्यवस्था की हुई थी. लेकिन लोगों की बढ़ती भीड़ को देखते हुए कुर्सियां बाहर निकाल ली गईं और वहां के स्थानीय लोगों को माइक के ज़रिए रेखा जी ने संबोधित कर धन्यवाद दिया. 

लेकिन घर के बाहर उस वक्त पांव रखने तक की जगह नहीं थी, लेकिन हर मीडियाकर्मी की कोशिश थी उनका इंटरव्यू मिल जाए या कम से कम वो उनका एक सवाल ले लें. कुछ सवालों के खड़े-खड़े उन्होंने जवाब भी दिए. 

मैं भी उसी भीड़ में थी पीछे से ज़ोर का धक्का लगा, दाहिने कंधे में झटका आया और वहां खड़े कई लोगों का बैलेंस बिगड़ा, खुद को संभालते हुए मैं भी डटी रही. कुछ देर में रेखा गुप्ता का एक्सक्लूसिव इंटरव्यू भी मिल गया, मेरे तीनों सवालों के जवाब जो उन्होंने दिए चैनल पर ऑन एयर थे. अब लगा चलो काम खत्म हुआ. 

लेकिन एक काम तो अभी बाकि था और वो था उस भीड़ में उस शख्स को खोजना जिसका ना तो नाम पता था, ना मोबाइल नंबर (हड़बड़ी में लेना भूल गई) ना ही घर का पता. अफ़सोस हो रहा था कि कम से कम मोबाइल नंबर ले लिया होता,अब इतनी भीड़ में ढूंढे भी तो कैसे, रात के करीब 12.45 हो रहे थे. रात सवा एक बजे तक हर तरफ़ उस शख्स को खोजने की कोशिश जारी थी . उसे शुक्रिया कहना था, उसे उसकी अमानत लौटानी थी..

उस पावर बैंक की बदौलत उस दिन सब काम संभव हो पाया था.उस इलाके को एक छोर से दूसरे छोर तक छान मारा. लेकिन वो कहीं नहीं था. बस था तो मेरे हाथ में वो पावर बैंक और काली तार से लिपटी वो चार्जर की केबल..अगले दिन तक यही सोच रही थी घर-दफ़्तर की क्या किया जाए कि जिसने इतनी मदद की उसे उसकी अमानत लौटा दी जाए और तहे दिल से शुक्रिया भी कहा जाए..

तभी दिमाग की बत्ती जली सोचा क्यों न एक छोटा सा वीडियो बनाकर उसे पोस्ट कर दिया जाए कि अगर ये मेरा वीडियो आप तक पहुंच पाया है तो मुझे कॉन्टैक्ट करें, मीडिया में हूं तो सोशल मीडिया अकाउंट पर लोग अक्सर डीएम कर देते हैं. वीडियो बनाकर मैं तैयार थी पोस्ट करने को, बस उसी सेकंड मेरे मोबाइल पर एक मैसेज आया अन-नोन नंबर से जिसमें लिखा था.

हेलो मैम, गुड ईवनिंग, आई फॉरगॉट टू टेक बैक पावर बैंक..

इस मैसेज में उन्होंने ये भी बताया कि वो भी मीडिया में हैं और कवर करने के लिए पहुंचे थे और वो मुझे पहचान गए थे कि मैं एनडीटीवी में हूं. जिस वक्त ये मैसेज आया एक बहुत बड़ी राहत की सांस ली क्योंकि अब यकीन था कि पावर बैंक और उससे लिपटी काली तार सही जगह अब पहुंच जाएगी...

लेखक परिचय- जया कौशिक, NDT India में Associate News Editor और Anchor हैं.

डिस्क्लेमर (अस्वीकरण) : इस आलेख में व्यक्त किए गए विचार लेखक के निजी विचार हैं.

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