विज्ञापन
Story ProgressBack
This Article is From Sep 27, 2022

गहलोत और पायलट दोनों का भविष्य लगा है दांव पर

Manoranjan Bharati
  • ब्लॉग,
  • Updated:
    September 27, 2022 17:19 IST
    • Published On September 27, 2022 17:19 IST
    • Last Updated On September 27, 2022 17:19 IST

कांग्रेस में राजनीतिक संकट का फिलहाल कोई हल निकलता नहीं दिख रहा है. लेकिन कुछ ऐसी भी चीजें हैं जो धीरे-धीरे साफ हो रही हैं. एक बात तो तय है कि राजस्थान के कुछ कांग्रेस विधायकों के खिलाफ अनुशासनहीनता की कार्रवाई हो, मगर इसमें मुख्यमंत्री अशोक गहलोत को नहीं घसीटा जाएगा. कांग्रेस आलाकमान का मानना है कि मुख्यमंत्री जयपुर में थे नहीं और वो फोन नेटवर्क से भी बाहर थे. इसलिए उनकी जिम्मेवारी नहीं बनती है. मगर, शांति धारीवाल और महेश जोशी जैसे नेताओं ने विधायक दल की बैठक ठीक ढंग से नहीं होने दी. 

बैठक के लिए जो दो पर्यवेक्षक अजय माकन और मल्लिकार्जुन खड़गे जो जयपुर में थे. उन्हें विधायकों से एक-एक कर अकेले में मिलने नहीं दिया गया. उल्टे एक ऐसे प्रस्ताव को पास करवाने की कोशिश की गई जिसके अनुसार अशोक गहलोत ही राष्ट्रीय अध्यक्ष बनने के बाद राजस्थान के मुख्यमंत्री का फैसला करते. ये सारी बातें कांग्रेस पर्यवेक्षकों को नागवार गुजरी और अब वो अपनी रिर्पोट सोनिया गांधी को सौंपने वाले हैं.

अब यह तय है कि कांग्रेस के कुछ विधायकों पर अनुशासन तोड़ने के मामले में कार्रवाई होगी. लेकिन सबसे बड़ा सवाल है कि अशोक गहलोत का क्या होगा? क्या वो कांग्रेस के राष्ट्रीय अध्यक्ष का चुनाव लड़ेगें या फिर राजस्थान का मुख्यमंत्री ही बने रहेंगे. यदि कांग्रेस के सूत्रों की माने तो अशोक गहलोत के भविष्य का फैसला अब सोनिया गांधी या कहें गांधी परिवार के हाथ में है. 

कई नेता यह मानते हैं राजस्थान के संकट के पीछे अशोक गहलोत का ही हाथ है तो कई नेता यह भी मानते हैं कि कल तक जो अशोक गहलोत 10 जनपथ के इतने करीबी और विश्वत थे वो एकाएक दुश्मन कैसे हो सकते हैं. लेकिन कांग्रेस में ऐसे भी नेता हैं जिनका मानना है कि अशोक गहलोत का कांग्रेस अध्यक्ष बनाना सौ फीसदी तय था मगर आज के दिन यह बात कहना सही नहीं होगा. 

कांग्रेस के सूत्रों की माने तो कांग्रेस की कोशिश अभी भी होगी कि राजस्थान में विधायक दल की बैठक हो और सभी विधायकों से एक-एक कर बात कीजाए. इस बात से भी इंकार नहीं किया जा सकता कि सोनिया गांधी सभी विधायकों से बात करें या मुलाकात करें. 

ऐसे में सवाल ये उठ रहा है कि सचिन पायलट का क्या होगा? अभी तक जयपुर में डेरा डाले सचिन दिल्ली आ चुके हैं. उनके साथ दिक्कत ये हो रही थी कि वो जयपुर में थे तो विधायक उनसे भी मिलने आते थे और मिलने के बाद मीडिया में बयान भी देते थे, जिससे भ्रम की स्थिति पैदा हो रही थी. तो सचिन ने सोचा होगा कि इससे अच्छा है कि दिल्ली में जाकर रहा जाए. 

इसी बीच शशि थरूर और पवन बंसल ने अध्यक्ष पद के लिए नामांकन का पर्चा लेकर सनसनी फैला दी. शशि थरूर की तो बात समझ में आती है क्योंकि उन्होंने पहले ही घोषणा कर दी थी कि वे चुनाव लड़ेंगे मगर जब पवन बंसल ने पर्चा लिया तो कहा जाने लगा कि बंसल 10 जनपथ के उम्मीदवार हैं. मगर पवन बंसल तुरंत मीडिया में आए और कहा कि वे उम्मीदवार नहीं हैं और ये फार्म उन्होंने प्रदेश कार्यालय के लिया लिया है ताकि आधिकारिक उम्मीदवार के लिए चंडीगढ़ से भरा जा सके.

कांग्रेस अध्यक्ष के उम्मीदवार के लिए पर्चा भरने की आखिरी तारीख 30 सितंबर है. तब तक सबको इस बात का इंतजार करना होगा कि कौन-कौन चुनाव लड़ने के लिए आगे आते हैं. कई नामों की चर्चा हो रही है. अशोक गहलोत यदि आधिकारिक उम्मीदवार नहीं होते हैं तो क्या मल्लिकाजुर्न खड़गे आगे आएंगे या फिर दिग्विजय सिंह. जिन्होंने ये कहा हुआ है कि आप मुझे क्यों इंकार कर रहे हैं. वैसे मध्यप्रदेश के पूर्व मुख्यमंत्री कमलनाथ के नाम की भी चर्चा थी क्योंकि उन्हें भी दिल्ली बुलाया गया था और उन्होंने सोनिया गांधी से मुलाकात की थी मगर बाद में कमलनाथ ने यह साफ किया कि वे मध्यप्रदेश की राजनीति में खुश हैं और राष्ट्रीय अध्यक्ष बनने की उनकी कोई मंशा नहीं है. 

तो कुल मिला कर कांग्रेस के अगले राष्ट्रीय अध्यक्ष ,राजस्थान के मुख्यमंत्री अशोक गहलोत और इंतजार कर रहे सचिन पायलट तीनों पर स्थिति साफ नहीं है. सबको 30 सितंबर तक इंतजार करना होगा. सबसे बड़ा सवाल यह है कि गांधी परिवार क्या सोच रहा है और क्या तय करता है? क्या उनके पास कोई प्लान बी है या नहीं? अशोक गहलोत को वे किस ढंग से लेते हैं? क्या गहलोत के लिए सारे दरवाजे बंद हो जाएंगे या फिर उनकी एंट्री उसी ढंग से 10 जनपथ में जारी रहेगी जैसे कि अब तक थी. लेकिन इतना तो तय है कि 30 सितंबर तक का इंतजार अब सबको करना ही पड़ेगा. कहते हैं ना इंतजार का फल मीठा होता है तो देखना होगा कि कौन राजा बनता है और कौन रंक?

मनोरंजन भारती NDTV इंडिया में मैनेजिंग एडिटर हैं...

डिस्क्लेमर (अस्वीकरण) : इस आलेख में व्यक्त किए गए विचार लेखक के निजी विचार हैं.

NDTV.in पर ताज़ातरीन ख़बरों को ट्रैक करें, व देश के कोने-कोने से और दुनियाभर से न्यूज़ अपडेट पाएं

फॉलो करे:
डार्क मोड/लाइट मोड पर जाएं
Our Offerings: NDTV
  • मध्य प्रदेश
  • राजस्थान
  • इंडिया
  • मराठी
  • 24X7
Choose Your Destination
Previous Article
हमारे एजुकेशन सिस्टम में कहां-कहां 'रॉकेट साइंस' लगाने की जरूरत है?
गहलोत और पायलट दोनों का भविष्य लगा है दांव पर
INDI एलायंस : कोई इधर गिरा, कोई उधर गिरा...
Next Article
INDI एलायंस : कोई इधर गिरा, कोई उधर गिरा...
Listen to the latest songs, only on JioSaavn.com
;