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This Article is From Sep 24, 2018

राफेल पर बवाल : कांग्रेस हमलावर, सरकार हड़बड़ी में

Manoranjan Bharati
  • ब्लॉग,
  • Updated:
    सितंबर 24, 2018 19:19 pm IST
    • Published On सितंबर 24, 2018 19:19 pm IST
    • Last Updated On सितंबर 24, 2018 19:19 pm IST
राफेल का मामला खत्म होने का नाम ही नहीं ले रहा है. रोज कुछ न कुछ ऐसे बयान आ जाते हैं जो मामले को दबने ही नहीं देते..सबसे ताजा बयान फ्रांस के पूर्व राष्ट्रपति ओलंद का है..जिसमें उन्होंने कहा है कि भारत सरकार ने अनिल अंबानी के रिलायंस ग्रुप को पार्टनर के तौर पर नाम सुझाया था जिसके बाद फ्रांस की कंपनी डेसाल्ट के पास कोई विकल्प नहीं बचा था..यह एक ऐसा बयान है जो भारत में कांग्रेस के लिए एक संजीवनी से कम नहीं है..ओलांद उस वक्त फ्रांस के राष्ट्रपति थे जब ये सौदा हुआ था..ओलांद 2012 से 2017 तक फ्रांस के राष्ट्रपति रहे जबकि राफेल का सौदा 2016 में हुआ..

ओलांद ने ये बात एक फ्रेंच बेबसाइट को कही है..ये इंटरव्यू फ्रेंच बेबसाईट पर है, मगर इसे वही लोग पढ़ सकते हैं जिन्होंने इस बेबसाइट की फीस अदा की हुई है ..मगर इस इंटरव्यू के महत्वपूर्ण हिस्सों को कई फ्रेंच पत्रकारों ने ट्वीट किया है...एक पत्रकार ने ट्वीट कर के कहा है कि ओलांद ने कहा है कि हमारे पास कोइ विकल्प नहीं था..हमें जो वार्ताकार दिया गया हमने उसी से बातचीत शुरू कर दी.

कांग्रेस को ओलांद के इस नए बयान से काफी मजबूती मिली है और राफेल सौदे की जांच के लिए कांग्रेस प्रतिनिधिमंडल सीवीसी यानि सतर्कता आयुक्त  से मिला. कांग्रेस का कहना है कि ये देश के इतिहास में सबसे बड़ा रक्षा घोटाला है और बिना प्रकिया का पालन किए प्रधानमंत्री ने ये सौदा किया है. कांग्रेस का आरोप है कि सरकार झूठ बोल रही है और झूठ छुपा रही है. कांग्रेस ने सीवीसी यानि सतर्कता आयोग से सभी कागजात जब्त करने और एफआईआर करने की मांग की है.

राहुल गांधी राफेल को लेकर आक्रामक होते जा रहे हैं. कुछ सवाल हैं जो वे लगातार पूछ रहे हैं सरकार से. जैसे सरकार ने राफेल सौदों में तीन गुना पैसा दिया. राफेल डील पर चौकीदार चुप क्यों हैं...एक निजी कंपनी को फायदा पहुंचाया गया..राफेल की कीमत क्यों नहीं बताई जा रही है. ये कुछ ऐसे जुमले हैं जिसे राहुल गांधी और कांग्रेस लगातार बोल रही है. कांग्रेस राफेल को बोफोर्स बनाना चाहती है और वो इसमें सफल भी होती दिख रही है. कुछ ऐसे सवाल हैं जिसका जबाब सरकार तो देना ही होगा. वो जितना इस मामले को दबाने या टालने की कोशिश करेगी संदेह की हालत बनी रहेगी.

पहले राफेल बनाने वाली डास्सो एविएशन के सीईओ का बयान आता है कि हिन्दुस्तान एयरोनोटिक्स लिमिटेड से बात हो रही है. मार्च 2014 के बीच दोनों के बीच करार हुआ था कि भारत में 108 लड़ाकू विमान बनेगा और 70 फीसदी काम एचएएल को मिलेगा. लेकिन जब सरकार बदली और जो नया समझौता हुआ तो इस डील से हिन्दुस्तान एयरोनोटिक्स लिमिटेड का नाम गायब हो जाता है और एक निजी कंपनी को राफेल बनाने का ठेका मिल जाता है.

अब सबसे बड़ा सवाल ये है कि विपक्ष के नेता होने के नाते राहुल गांधी का हक बनता है सरकार से सवाल पूछना, सरकार को कठघरे में खड़ा करना. लेकिन सरकार लगता है जवाब देने की हड़बड़ी में रहती है. कांग्रेस की तरफ से कुछ गया तो तुरंत बीजेपी की तरफ से भी जवाबी प्रेस कॉन्फ्रेंस होने लगती है. एक तरह की बातें दोनों तरफ से बार-बार कही जा रही हैं. तो क्या समझा जाए कि राफेल को कांग्रेस बोफोर्स बनाने में सफल रही है. इतना तो जरूर हुआ है कि राफेल पर लोगों में चर्चा शुरू हो गई है. अब देखना होगा कि 2019 के लोकसभा चुनाव तक यह मुद्दा कितना गरमाता है. मगर इतना तो तय है कि भले राफेल पर संसद की संयुक्त समिति बने चाहे न बने, भले ही सतर्कता आयोग इसकी जांच करे या न करे, कांग्रेस इसे अगले चुनाव में मुद्दा बनाएगी.



मनोरंजन भारती NDTV इंडिया में 'सीनियर एक्ज़ीक्यूटिव एडिटर - पॉलिटिकल न्यूज़' हैं...

 
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