कांग्रेस नेता कपिल सिब्बल ने राफेल डील को लेकर पीएम मोदी से खुलासा करने की मांग की है.
नई दिल्ली:
राफेल लड़ाकू विमान के सौदे पर प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की चुप्पी को लेकर कांग्रेस ने सवाल उठाए हैं. मंगलवार को कांग्रेस नेता कपिल सिब्बल ने कहा कि मोदी को 'न खाऊंगा-न खाने दूंगा' का नारा बदलकर 'न बताऊंगा-न बताने दूंगा' कर देना चाहिए.
सिब्बल ने एक प्रेस कॉन्फ्रेंस में राफेल लड़ाकू विमान की डील का ब्यौरा देते हुए कहा कि 20 मार्च 2015 को रिलायंस डिफेंस लिमिटेड बना. 25 मार्च 2015 को दसॉल्ट के सीईओ ने बयान दिया कि HAL (हिंदुस्तान एयरोनॉटिक्स लिमिटेड) से समझौता हुआ. 11 मार्च 2015 को बयान आया कि राफेल सौदे में जो विमान दसॉल्ट बनाएगा उनकी गारंटी दसॉल्ट देगा और HAL जो बनाएगा उसकी गारंटी HAL देगा.
उन्होंने बताया कि 8 अप्रैल 2015 को विदेश सचिव ने कहा कि HAL पर चर्चा नहीं होगी. उस वक्त रक्षा मंत्री गोवा में थे. 10 अप्रैल 2015 को प्रधानमंत्री ने नए सौदे का ऐलान कर दिया. अब फ्रांस के पूर्व राष्ट्रपति ओलांद ने कहा कि रिलायंस का नाम भारत सरकार की तरफ से सुझाया गया.
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कपिल सिब्बल ने कहा कि मोदी और ओलांद के बीच क्या बात हुई, यह केवल यही दोनों जानते हैं. डील के बारे में न दसॉल्ट के सीईओ को मालूम था, न पर्रिकर को, न जेटली को, न सीतारमण को और न विदेश मंत्री को. इसलिए मोदी जी को बोलना चाहिए. लेकिन आज भोपाल में उन्होंने इस पर कुछ नहीं बोला. दरअसल वे यह कह नहीं सकते कि ओलांद सच बोल रहे हैं. अगर वे उन्हें झूठा बताएंगे तो भी दिक्कत हो जाएगी, इसलिए मौन हैं.
कांग्रेस के वरिष्ठ नेता ने कहा कि 24 अप्रैल 2015 को रिलायंस एयरोस्ट्रक्चर लिमिटेड का गठन होता है. यानी रिलायंस को मालूम था, लेकिन HAL को नहीं, जिसने कई लड़ाकू विमान बनाए. रक्षा मंत्री कहती हैं कि HAL राफेल नहीं बना सकता था जबकि HAL के पूर्व प्रमुख इसको खारिज कर चुके हैं. राफेल भारत बनाता तो तकनीक ट्रांसफर होती, जो हमने खो दिया. UPA की डील से 22 हजार लोगों को नौकरी मिलती.
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सिब्बल ने कहा कि रक्षा मंत्री कहती हैं कि यह षड्यंत्र है, लेकिन कांग्रेस क्यों षड्यंत्र करेगी? रक्षा मंत्री बताएं कि आपको कैसे मालूम कि ये सब षड्यंत्र है? कृषि मंत्री इस पर बयान देते हैं! वे 'MSP' किसको देना चाहते हैं? पहले के कांट्रेक्ट में हथियारों से लैस विमान का ही जिक्र था. उन्होंने कहा कि 'न खाऊंगा-न खाने दूंगा' के नारे को बदलकर 'न बताऊंगा-न बताने दूंगा' कर देना चाहिए. इसलिए अब तक लोकपाल का गठन नहीं किया. वरना सच्चाई सामने आ जाती.
कपिल सिब्बल ने कहा कि हमें 36 नहीं 126 विमानों की जरूरत है. लेकिन 36 में ही 60 हजार करोड़ खर्च हो गए तो 126 कहां से लाएंगे? ये राष्ट्रीय सुरक्षा से खिलवाड़ है. प्रधानमंत्री जवाब दें कि ऐसा क्यों किया? किसी और का बयान नहीं सुनना चाहते, हम मोदी जी का बयान सुनना चाहते हैं. जून 2016 में डिफेंस सेक्टर में विदेशी निवेश 49 फीसदी कर दिया, 24 अगस्त को CCS की मंजूरी ली, 23 सितम्बर 2016 को इंटर गवर्नमेंट एग्रीमेंट पर हस्ताक्षर हुए, इसी दिन ऑफसेट अग्रीमेंट भी हो गए, 3 अक्टूबर 2016 को रिलायंस और दसॉल्ट का ज्वाइंट वेंचर बन गया...मोदी आने वाले भाषणों में स्पष्टीकरण करें. सिब्बल ने कहा कि राफेल संजय भंडारी ने नहीं, सरकार ने खरीदे हैं. वह कीमत का खुलासा क्यों नहीं करती? राफेल पर हम अदालत नहीं जनता की अदालत में जाएंगे.
VIDEO : रविशंकर प्रसाद ने कहा, राहुल बेशर्म और गैर जिम्मेदार
कपिल सिब्बल ने राजनीति के अपराधीकरण के मामले को लेकर कहा कि हम चाहते हैं कि दागी लोग राजनीति में न आएं, चार्जशीट हो न हो. हम चाहते हैं कि सरकार कानून लाए हम समर्थन करेंगे.
सिब्बल ने एक प्रेस कॉन्फ्रेंस में राफेल लड़ाकू विमान की डील का ब्यौरा देते हुए कहा कि 20 मार्च 2015 को रिलायंस डिफेंस लिमिटेड बना. 25 मार्च 2015 को दसॉल्ट के सीईओ ने बयान दिया कि HAL (हिंदुस्तान एयरोनॉटिक्स लिमिटेड) से समझौता हुआ. 11 मार्च 2015 को बयान आया कि राफेल सौदे में जो विमान दसॉल्ट बनाएगा उनकी गारंटी दसॉल्ट देगा और HAL जो बनाएगा उसकी गारंटी HAL देगा.
उन्होंने बताया कि 8 अप्रैल 2015 को विदेश सचिव ने कहा कि HAL पर चर्चा नहीं होगी. उस वक्त रक्षा मंत्री गोवा में थे. 10 अप्रैल 2015 को प्रधानमंत्री ने नए सौदे का ऐलान कर दिया. अब फ्रांस के पूर्व राष्ट्रपति ओलांद ने कहा कि रिलायंस का नाम भारत सरकार की तरफ से सुझाया गया.
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कपिल सिब्बल ने कहा कि मोदी और ओलांद के बीच क्या बात हुई, यह केवल यही दोनों जानते हैं. डील के बारे में न दसॉल्ट के सीईओ को मालूम था, न पर्रिकर को, न जेटली को, न सीतारमण को और न विदेश मंत्री को. इसलिए मोदी जी को बोलना चाहिए. लेकिन आज भोपाल में उन्होंने इस पर कुछ नहीं बोला. दरअसल वे यह कह नहीं सकते कि ओलांद सच बोल रहे हैं. अगर वे उन्हें झूठा बताएंगे तो भी दिक्कत हो जाएगी, इसलिए मौन हैं.
कांग्रेस के वरिष्ठ नेता ने कहा कि 24 अप्रैल 2015 को रिलायंस एयरोस्ट्रक्चर लिमिटेड का गठन होता है. यानी रिलायंस को मालूम था, लेकिन HAL को नहीं, जिसने कई लड़ाकू विमान बनाए. रक्षा मंत्री कहती हैं कि HAL राफेल नहीं बना सकता था जबकि HAL के पूर्व प्रमुख इसको खारिज कर चुके हैं. राफेल भारत बनाता तो तकनीक ट्रांसफर होती, जो हमने खो दिया. UPA की डील से 22 हजार लोगों को नौकरी मिलती.
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सिब्बल ने कहा कि रक्षा मंत्री कहती हैं कि यह षड्यंत्र है, लेकिन कांग्रेस क्यों षड्यंत्र करेगी? रक्षा मंत्री बताएं कि आपको कैसे मालूम कि ये सब षड्यंत्र है? कृषि मंत्री इस पर बयान देते हैं! वे 'MSP' किसको देना चाहते हैं? पहले के कांट्रेक्ट में हथियारों से लैस विमान का ही जिक्र था. उन्होंने कहा कि 'न खाऊंगा-न खाने दूंगा' के नारे को बदलकर 'न बताऊंगा-न बताने दूंगा' कर देना चाहिए. इसलिए अब तक लोकपाल का गठन नहीं किया. वरना सच्चाई सामने आ जाती.
कपिल सिब्बल ने कहा कि हमें 36 नहीं 126 विमानों की जरूरत है. लेकिन 36 में ही 60 हजार करोड़ खर्च हो गए तो 126 कहां से लाएंगे? ये राष्ट्रीय सुरक्षा से खिलवाड़ है. प्रधानमंत्री जवाब दें कि ऐसा क्यों किया? किसी और का बयान नहीं सुनना चाहते, हम मोदी जी का बयान सुनना चाहते हैं. जून 2016 में डिफेंस सेक्टर में विदेशी निवेश 49 फीसदी कर दिया, 24 अगस्त को CCS की मंजूरी ली, 23 सितम्बर 2016 को इंटर गवर्नमेंट एग्रीमेंट पर हस्ताक्षर हुए, इसी दिन ऑफसेट अग्रीमेंट भी हो गए, 3 अक्टूबर 2016 को रिलायंस और दसॉल्ट का ज्वाइंट वेंचर बन गया...मोदी आने वाले भाषणों में स्पष्टीकरण करें. सिब्बल ने कहा कि राफेल संजय भंडारी ने नहीं, सरकार ने खरीदे हैं. वह कीमत का खुलासा क्यों नहीं करती? राफेल पर हम अदालत नहीं जनता की अदालत में जाएंगे.
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कपिल सिब्बल ने राजनीति के अपराधीकरण के मामले को लेकर कहा कि हम चाहते हैं कि दागी लोग राजनीति में न आएं, चार्जशीट हो न हो. हम चाहते हैं कि सरकार कानून लाए हम समर्थन करेंगे.
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