विज्ञापन
This Article is From Nov 27, 2014

मनीष कुमार की कलम से : दो दिन चले अढ़ाई कोस...

Manish Kumar
  • Blogs,
  • Updated:
    नवंबर 27, 2014 19:07 pm IST
    • Published On नवंबर 27, 2014 19:03 pm IST
    • Last Updated On नवंबर 27, 2014 19:07 pm IST

कुछ ऐसा ही हाल रहा काठमांडू में हुए सार्क सम्मेलन का, जो गुरुवार शाम को ही खत्म हुआ... इस सम्मेलन के दौरान बहुत-से मौके ऐसे आए, जिनकी तस्वीरें माडिया में छाई रहीं, क्योंकि उनसे पूरा सच और वास्तविकता बयान हो रही थी...

भारत और पाकिस्तान के बीच संबंध सामान्य नहीं चल रहे हैं, यह उस वक्त स्पष्ट हुआ, जब पाकिस्तानी प्रधानमंत्री नवाज़ शरीफ अपना भाषण खत्म कर लौट रहे थे, तब भारतीय प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी सार्क सम्मेलन से जुड़ा लिटरेचर पढ़ने में व्यस्त थे... बुधवार शाम को भी नेपाली प्रधानमंत्री सुशील कोइराला द्वारा दिए गए भोज में एक ही मेज पर बैठे होने के बावजूद दोनों नेताओं के चेहरे पर आए भावों से स्पष्ट था कि रिश्ते कितने ठंडे पड़े हुए हैं...

गुरुवार को भी जब बांग्लादेश के प्रधानमंत्री को छोड़कर सभी अन्य नेता रिट्रीट पर धुलीखेल पहुंचे, तब भी सभी निगाहें पीएमओ की वेबसाइट पर थीं, कि मोदी-शरीफ मुलाकात की कोई सूचना या तस्वीर कब आएगी... उसके बाद विदेश मंत्रालय के प्रवक्ता ने जानकारी दी कि दोनों नेताओं के बीच मुलाकात भी हुई, और बात भीस लेकिन साथ ही यह सफाई भी दे डाली कि मुलाकात और बात सबके बीच हुई, द्विपक्षीय नहीं...

...और जब सार्क का समापन समारोह शुरू हुआ, तो शायद किसी ने सोचा भी न था कि एक-दूसरे से लगातार नज़रें चुराते रहे ये दोनों नेता इतनी गर्मजोशी से हाथ मिलाएंगे... लेकिन पाकिस्तान के प्रधानमंत्री नवाज़ शरीफ के रुख में आई नर्मी के कारण ही ऊर्जा क्षेत्र में सहयोग के लिए समझौते पर हस्ताक्षर हो पाए, जिसने न केवल सार्क सम्मेलन, बल्कि सभी नेताओं को एक राहत की सांस दी...

किसी ने तब कहा, "चलो, 'नहीं मामा' से 'काना मामा' अच्छा है..."
 

NDTV.in पर ताज़ातरीन ख़बरों को ट्रैक करें, व देश के कोने-कोने से और दुनियाभर से न्यूज़ अपडेट पाएं

फॉलो करे:
Listen to the latest songs, only on JioSaavn.com