लोकसभा चुनाव (Lok Sabha Elections) अब बस कुछ ही महीने में होने वाले हैं. भारतीय जनता पार्टी को लग रहा है कि राम मंदिर का जबरदस्त फायदा मिलेगा और उसकी सीटें 400 तक भी पहुंच सकती हैं. केंद्रीय गृहमंत्री अमित शाह भाजपा के वोट 10 फीसदी बढ़ाने और सीटों की संख्या 400 पहुंचाने की बात कह रहे हैं. पिछले चुनाव में भाजपा को 37.36% वोट और 303 सीटें मिली थीं. मतलब इस बार भाजपा को करीब 47% वोट और 2019 के मुकाबले 97 और सीटें. गौरतलब है कि 2019 के चुनाव में 2014 के मुकाबले भाजपा को लगभग 6.36% ज्यादा वोट मिले थे और इसकी वजह से 21 सीटें बढ़ी थीं.
आइए, पिछले चुनाव के आंकड़ों का विश्लेषण करते हैं और कोशिश करते हैं इस सवाल का जवाब तलाशने की. स्पष्ट तस्वीर के लिए, आइए, पूरे देश की लोकसभा सीटों को तीन हिस्सों में बांटकर उन पर अलग-अलग नजर डालते हैं. इस श्रंखला की पहली कड़ी में उन 11 राज्यों की बात जहां भाजपा की लगभग तीन-चौथाई सीटें 2019 में आई थीं.
5 राज्यों में बीजेपी ने सभी सीटों पर जीत दर्ज की थी
इन 11 राज्यों में से पांच में भाजपा ने 2019 में सभी सीटें 52 सीटें जीती थीं. इसलिए इन राज्यों में सीट बढ़ने की कोई गुंजाइश नहीं है. ये राज्य हैं - हरियाणा, हिमाचल, उत्तराखंड, गुजरात और दिल्ली. इसके अलावा, राजस्थान में भाजपा ने 2014 में सभी 25 सीटें जीती थीं लेकिन 2019 में एक सीट राष्ट्रीय लोकतांत्रिक पार्टी के हनुमान बेनीवाल को दे दी थी और वे इस एक सीट से भाजपा के समर्थन से चुने गए थे. इसलिए व्यवहारिक रूप से यह माना जाना चाहिए कि राजस्थान में भी सभी सीटें भाजपा ने ही जीत रखी हैं.
बीजेपी को इंडिया गठबंधन की है चुनौती
बाकी राज्यों की कुल 162 सीटों में से 83 फीसदी यानी 135 सीटें भाजपा के पास हैं. ये राज्य हैं - उत्तर प्रदेश, मध्य प्रदेश, छत्तीसगढ़, झारखंड, कर्नाटक और राजस्थान. इन राज्यों में उत्तर प्रदेश और झारखंड में इंडिया गठबंधन है. यह बात इसलिए अहम मानी जानी चाहिए कि 2019 में जब समाजवादी पार्टी (सपा) और बहुजन समाज पार्टी (सपा) ने मिलकर चुनाव लड़ा तो जबरदस्त अनुकूल माहौल के बावजूद भाजपा को यहां 9 सीटों का नुकसान उठाना पड़ा. इस बार चर्चा सपा, रालोद और कांग्रेस वाले इंडिया समूह में बसपा को भी लाए जाने की चर्चाएं हो रही हैं.
यूपी में वोट प्रतिशत बढ़ें लेकिन सीटों में आयी कमी
इन पांच राज्यों में भाजपा को 2014 में 136 सीटें और 46.22% वोट मिला था. 2019 वोट 6.02% बढ़कर 52.24% हो गया लेकिन सीट एक कम हो गई. अगर राज्यवार भी देखें तो भी चौंकाने वाले तथ्य सामने आते हैं. जैसे उत्तर प्रदेश में करीब 7% वोट बढ़े लेकिन सीटें 9 कम हो गईं. इसी तरह, झारखंड में करीब 11% वोट बढ़े लेकिन सीट एक कम हो गई. हिमाचल में 15% और दिल्ली में 9.5% वोट बढ़े लेकिन सीटें तो बढ़ नहीं सकती थीं.
वोट की बढ़ोतरी से सीट बढ़ने की गारंटी नहीं
कुल मिलाकर, इन 11 राज्यों की कुल 241 सीटों में भाजपा ने 2019 में 211 सीटे थीं जबकि 2014 में जीती गई सीटों की संख्या 210 थी. इन राज्यों में भाजपा को 2019 में 2014 के मुकाबले लगभग 11.84 फीसदी ज्यादा वोट मिले थे. यानी वोट लगभग 12 फीसदी बढ़ा लेकिन सीट सिर्फ एक ही बढ़ पाई. यानी राम मंदिर का जबरदस्त माहौल बने और उसके चलते भाजपा का समर्थन और बढ़ जाए तो यहां यह बढ़ा हुआ समर्थन वोट तो बढ़ा सकता है लेकिन सीटें बढ़ पाने की गुंजाइश इन राज्यों में न्यूनतम ही है. इसकी वजह यह है कि भाजपा यहां पर पहले से ही शिखर पर बैठी हुई है.
(राजेंद्र तिवारी वरिष्ठ पत्रकार है, जो अपने लम्बे करियर के दौरान देश के प्रतिष्ठित अख़बारों - प्रभात ख़बर, दैनिक भास्कर, हिन्दुस्तान व अमर उजाला - में संपादक रहे हैं...)
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