सिस्टम की स्वायत्तता और गरिमा को बचाने की आवाज़ अब भीतर से भी उठने लगी है. संस्थानों के प्रमुख सरकारों के इशारे पर मैनेज होते रहे लेकिन कर्मचारियों की यह आवाज़ बताती है कि वे संस्थान को मिटने देने की कीमत पर चुप नहीं रहेंगे. हाल के दिनों में कुछ ऐसी घटनाएं हुईं हैं जो उन निराश लोगों को आश्वस्त कर सकती हैं, जिनका मानना है कि संस्थान का प्रमुख अपनी मनमर्ज़ी करता रहेगा और कोई कुछ नहीं बोलेगा. अर्द्धसैनिक बल और सेना के जवानों ने वीडियो बनाकर पब्लिक को भरोसा दिया है कि वे भीतर से भी पहरेदारी कर रहे हैं. ग़लत के ख़िलाफ़ बोलने की यह बेचैनी सिस्टम को निश्चित रूप से बेहतर बनाने वाली है.
आज के इंडियन एक्सप्रेस में समुद्रगुप्त कश्यप की मेघालय से ख़बर छपी है. मेघालय राजभवन के अस्सी के अधिक कर्मचारियों ने राष्ट्रपति भवन और प्रधानमंत्री कार्यालय को एक पत्र लिखा है. इस पत्र में राज्यपाल पर कथित अय्याशियों के आरोप लगाए गए हैं. इन कर्मचारियों ने तुरंत राज्यपाल वी षण्मुगंथन को हटाने की मांग की है. भारत के इतिहास में यह पहली घटना होगी जब राजभवन के कर्मचारियों ने राज्यपाल को हटाने की मांग की हो. इनका आरोप है कि राज्यपाल की कुछ गतिविधियों के चलते राजभवन की गरिमा और प्रतिष्ठा को ठेस पहुंची है.
गणतंत्र दिवस के दिन संविधान के संरक्षक के बारे में यह ख़बर चिंता में डालती है. राज्यपाल षण्मुगंथन के पास मेघालय ओर अरुणाचल प्रदेश का प्रभार है. कर्मचारियों का राज्यपाल की शिकायत करना सामान्य घटना नहीं है. अगर यह ख़बर सही है और पत्र के ब्यौरे गंभीर हैं तो राष्ट्रपति भवन और प्रधानमंत्री कार्यालय को तुरंत विशेष दूत भेज कर जांच करानी चाहिए. फिलहाल तो राज्यपाल का तत्काल तबादला कर देना चाहिए.
शिलांग के स्थानीय अख़बार हाइलैंड पोस्ट ने लिखा है कि राजभवन के जनसंपर्क अधिकारी के लिए इंटरव्यू देने आई एक अज्ञात महिला ने राज्यपाल पर छेड़छाड़ का आरोप लगाया है. राज्यपाल ने तो बेबुनियाद बता दिया है मगर इस तरह के आरोपों को दोनों तरफ के बयानों के भरोसे नहीं छोड़ा जाना चाहिए. राज्यपाल का कहना है कि जिनका चयन नहीं हुआ है, वे लोग इस तरह की बातें कर रहे हैं. इसके बाद भी अस्सी कर्मचारियों का पत्र सामान्य घटना नहीं है. उन्होंने प्रधानमंत्री कार्यालय को पत्र लिखने का जोखिम यूं नहीं उठाया होगा.
पिछले दिनों जब खादी ग्रामोद्योग के कैलेंडर पर प्रधानमंत्री की तस्वीर छपी तो मुंबई के विले पार्ले स्थित खादी भंडार के कर्मचारियों ने इसका विरोध नहीं बल्कि बाहर आकर प्रदर्शन भी किया भारतीय रिज़र्व बैंक के कर्मचारियों ने भी गवर्नर उर्जित पटेल को पत्र लिखकर संस्थान की स्वायत्तता और गरिमा से खिलवाड़ न होने देने के लिए आगाह किया था. ऐसा शायद ही पहले हुआ हो जब कर्मचारी, अधिकारी अपने गवर्नर को पत्र लिख रहे हैं. यह घटनाएं सरकार के लिए परेशानी का सबब हो सकती हैं लेकिन ये कर्मचारी अपनी नागरिकता का प्रदर्शन कर हम सबको आश्वस्त कर रहे हैं कि संस्थाओं की पारदर्शिता की लड़ाई अब वे भी लड़ेंगे.
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This Article is From Jan 26, 2017
गणतंत्र दिवस और सिस्टम के भीतर से उठती आवाजें
Ravish Kumar
- ब्लॉग,
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Updated:जनवरी 26, 2017 10:43 am IST
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Published On जनवरी 26, 2017 10:21 am IST
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Last Updated On जनवरी 26, 2017 10:43 am IST
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