जब हम गोवा के बारे में सोचते हैं, तो आमतौर पर पार्टियों, नाइटलाइफ और समुद्र तटों की तस्वीर सामने आती है. लेकिन गोवा का असली जादू इसके मैंग्रोव जंगलों में छुपा है. मंडोवी, ज़ुअरी और चापोरा नदियों के किनारों पर फैले ये हरित घने जंगल न केवल जीव-जंतुओं के लिए घर हैं, बल्कि स्थानीय लोगों की जीवनशैली में भी गहराई से जुड़े हैं. यहां के पानी में मछली, केकड़ा और सीप प्रचुर मात्रा में पाए जाते हैं, जो भोजन और परंपराओं का आधार हैं.
गोवा के लिए क्या हैं मैंग्रोव
मैंग्रोव की जड़ें मिट्टी को थामे रखती हैं और तूफानों के समय तटों की सुरक्षा करती हैं. ये जंगल पानी को साफ रखते हैं और प्रदूषण को कम करने में मदद करते हैं. स्थानीय समुदायों के लिए मैंग्रोव सिर्फ पेड़ नहीं हैं- ये भोजन, औषधि और शक्ति के स्रोत हैं. मछुआरे, किसान और कारीगर इन्हीं जंगलों पर निर्भर रहते हैं. चोरा द्वीप पर बने मैंग्रोव बोर्डवॉक पर चलकर आप इस छुपे हुए संसार को करीब से देख सकते हैं. यहां के हर गहरे हरे पत्ते और घने जड़ तंत्र यह याद दिलाते हैं कि ये जंगल न केवल गोवा के लिए जीवनदायिनी हैं, बल्कि पर्यावरण की सुरक्षा में भी अहम भूमिका निभाते हैं.
इसके अलावा, मैंग्रोव पारिस्थितिक तंत्र कार्बन को अवशोषित करने में भी मदद करता है. इससे जलवायु परिवर्तन के असर को कम करने में योगदान मिलता है. कई स्थानों पर स्थानीय समुदायों ने मिलकर इन जंगलों की सुरक्षा के लिए कदम उठाए हैं, जैसे कि वृक्षारोपण और नदी किनारे सफाई अभियान. यह दर्शाता है कि कैसे मनुष्य और प्रकृति मिलकर एक संतुलित और समृद्ध वातावरण का निर्माण कर सकते हैं.
गोवा के मैंग्रोव क्या सिखाते हैं
गोवा के मैंग्रोव हमें यह भी सिखाते हैं कि प्राकृतिक संसाधनों की देखभाल सिर्फ पर्यावरण की जिम्मेदारी नहीं है, बल्कि यह हमारे स्वास्थ्य, हमारी संस्कृति और हमारे अस्तित्व से जुड़ी है. अगली बार जब आप गोवा जाएं, तो समुद्र तटों के चमकते किनारों के पीछे इस हरित दुनिया को नजरअंदाज न करें. ये जंगल, चुपचाप, लेकिन मजबूती से गोवा की रक्षा कर रहे हैं.
स्थानीय समुदाय इन जंगलों की सुरक्षा में भी सक्रिय भूमिका निभा रहे हैं. मछुआरे और पर्यावरण प्रेमी मिलकर वृक्षारोपण करते हैं, नदी किनारे सफाई अभियान चलाते हैं और लोगों को मैंग्रोव के महत्व के बारे में जागरूक करते हैं. यह दिखाता है कि जब मनुष्य और प्रकृति साथ मिलकर काम करते हैं, तो जीवन और पर्यावरण दोनों समृद्ध होते हैं. गोवा के मैंग्रोव केवल हरियाली भर नहीं हैं; ये हमारी सांस्कृतिक धरोहर, सुरक्षा और जीवन का हिस्सा हैं. हमें इन्हें संरक्षित रखना चाहिए ताकि आने वाली पीढ़ियां भी इस छुपी हुई सुंदरता का आनंद ले सकें.
डिस्क्लेमर: लेखिका गोवा में अंग्रेजी साहित्य पढ़ाती हैं. उनकी प्रकृति और पर्यावरण संरक्षण में गहरी रुचि है. इस लेख में व्यक्त विचार लेखक के निजी हैं, इससे एनडीटीवी का सहमत होना या न होने जरूरी नहीं है.
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