अगर ब्रिस्बेन में चौथे दिन सुबह में चेतेश्वर पुजारा और शिखर धवन की सेट जोड़ी ही मैदान में उतरती, तो क्या इस टेस्ट का नतीजा कुछ और हो सकता था?
चौथे दिन का खेल शुरू होने से ठीक पहले ही शिखर धवन को अभ्यास के दौरान दाहिनी कलाई में चोट लग गई थी। चोट के चलते शिखर धवन तुरंत बल्लेबाज़ी करने की स्थिति में नहीं थे, इसे देखते हुए उनकी जगह विराट कोहली, पुजारा के साथ खेलने आए।
अभ्यास के दौरान कोहली को भी बाएं हाथ में चोट लगी थी, लेकिन वह मैदान में उतरे। हालांकि कोहली इस चुनौती पर पूरी तरह से खरे नहीं उतर पाए। 11 गेंदों पर महज एक रन बनाने के बाद मिचेल जॉनसन की गेंद पर वह पैवेलियन लौट गए।
कोहली के आउट होते ही भारतीय पारी लड़खड़ा गई। इसके बाद महज 11 रन के भीतर टीम इंडिया के तीन अन्य बल्लेबाज पैवेलियन लौट गए। दूसरी ओर आर अश्विन के आउट होने के बाद बल्लेबाज़ी के लिए शिखर धवन उतरे तो वो पूरी तरह से सेट नजर आए।
उन्होंने न केवल अपनी हाफ सेंचुरी पूरी की, बल्कि टीम इंडिया को उस स्कोर तक पहुंचाने में कामयाब रहे, जहां से भारतीय गेंदबाज़ों के लिए थोड़े संघर्ष की गुंजाइश बनी।
अपनी पारी के दौरान उन्होंने कलाई का बेहतरीन इस्तेमाल भी किया। इस पारी के साथ ही शिखर धवन ने अपने फॉर्म में वापसी के संकेत भी दे दिए हैं। हालांकि वह खुद से निराश हो रहे होंगे कि शतक के करीब पहुंचकर भी शतक से चूक गए।
ऐसे में एक सवाल यह उठता है कि अगर शिखर धवन चौथे दिन चेतेश्वर पुजारा के साथ ही पारी शुरू करने उतरते, तो क्या टीम इंडिया की तस्वीर दूसरी होती। बहुत संभव है कि भारतीय पारी पहले सत्र में नहीं लड़खड़ाती। मैच समाप्ति के बाद शेन वॉर्न से लेकर भारतीय कप्तान महेंद्र सिंह धोनी तक ने माना है कि शिखर धवन की जगह विराट कोहली के उतरने से भारतीय पारी की लय बिगड़ गई।
ऐसा हुआ हो, ये संभव है। हालांकि गाबा की प्रैक्टिस पिच को लेकर भारतीय टीम प्रबंधन के सवाल को सही नहीं ठहराया जा सकता। भारतीय टीम प्रबंधन के मुताबिक वह पिछले दो दिनों से फ्रेश नेट प्रैक्टिस पिच की मांग करते रहे, लेकिन इसे पूरा नहीं किया गया और पिच क्यूरेटर ने अन-इवन बाउंस पिच ही अभ्यास के लिए दी। इसके चलते ही शिखर धवन और विराट कोहली चोटिल हुए। लेकिन दोनों की बल्लेबाज़ी के दौरान कहीं ये नहीं लगा कि उन्हें कोई गंभीर चोट लगी थी। शायद यही वजह है कि भारतीय टीम प्रबंधन ने कोई ऑफिशियल शिकायत दर्ज नहीं कराई है।