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This Article is From Nov 30, 2015

बाबा की कलम से : पेरिस में मोदी और शरीफ की छोटी सी मुलाकात के मायने बड़े

Manoranjan Bharti
  • ब्लॉग,
  • Updated:
    दिसंबर 23, 2015 14:14 pm IST
    • Published On नवंबर 30, 2015 17:36 pm IST
    • Last Updated On दिसंबर 23, 2015 14:14 pm IST
पेरिस में प्रधानमंत्री मोदी और पाकिस्तान के प्रधानमंत्री नवाज शरीफ की मुलाकात हुई। छोटी सी मुलाकात है मगर इसके मायने बड़े हैं। दोनों अकेले में मिले हैं और उन्हें देखकर लगता है कि गंभीर चर्चा हो रही है। दोनों के हाव-भाव देखकर लगता है शायद यह मुलाकात भारत-पाक संबंधों के बीच एक नया रास्ता खोले।

मुलाकात का पेरिस में होना भी अपने आप में काफी महत्वपूर्ण है, क्योंकि पेरिस अभी-अभी आतंकवाद का शिकार हुआ है। इससे पहले मोदी और शरीफ की मुलाकात जुलाई में ऊफा में हुई थी, फिर न्यूर्याक में दोनों ने केवल हाथ हिलाकर ही एक-दूसरे का अभिवादन किया था। अब सबसे बड़ा सवाल है कि क्या इससे भारत-पाकिस्तान संबंधों पर जमी हुई बर्फ पिघलेगी?

क्रिकेट खेलने को तक तैयार नहीं, बातचीत करेंगे?
अभी तक भारत सरकार दोनों देशों के बीच बातचीत तो छोड़िए, श्रीलंका में पाकिस्तान के साथ क्रिकेट खेलने के लिए भी तैयार नहीं है। इस मुलाकात से यह बात भी साबित की जा सकती है कि भारत बातचीत के लिए गंभीर है क्योंकि नवाज यह संकेत देने में सफल रहे हैं कि पाकिस्तान भारत से बिना शर्त बातचीत करने के लिए तैयार है। हमें इसका जरूर ख्याल रखना होगा कि पाकिस्तान किसी विदेशी दबाव में तो ऐसा नहीं कर रहा है। इतिहास गवाह है कि अभी तक भारत-पाक के बीच की बातचीत कभी सफल नहीं हो पाई, वजह है पाकिस्तान की नापाक हरकतें, जो कुछ ऐसी होती हैं कि बात बिगड़ जाती है।

दुनिया के लिए राजनैतिक संकेत...
पाक मीडिया की मानें तो प्रधानमंत्री मोदी ने पहले पहल की इस मुलाकात की। सही है बातचीत का कौन स्वागत नहीं करेगा, मगर सवाल वही है कि जब सीमा पार से बार-बार सीज फायर का उल्लंघन हो, जिसमें आम लोग मारे जाएं और आतंकवाद से लड़ते-लड़ते जवान और अफसर शहीद हो रहे हों तो क्या यह सही वातावरण होगा बातचीत के लिए? आतंकवाद और बातचीत साथ-साथ चल सकते हैं, क्योंकि पाकिस्तान में नवाज शरीफ से अधिक ताकतवर सेना प्रमुख राहिल शरीफ हैं और पाक सेना का रवैया भारत के प्रति कैसा है यह पूरी दुनिया जानती है। इसलिए यह मुलाकात महज एक राजनैतिक संकेत दुनिया के लिए, क्योंकि मोदी और शरीफ पेरिस में हाथ न मिलाते तो कुछ और ही चर्चा हो रही होती।

डिस्क्लेमर (अस्वीकरण) : इस आलेख में व्यक्त किए गए विचार लेखक के निजी विचार हैं। इस आलेख में दी गई किसी भी सूचना की सटीकता, संपूर्णता, व्यावहारिकता अथवा सच्चाई के प्रति एनडीटीवी उत्तरदायी नहीं है। इस आलेख में सभी सूचनाएं ज्यों की त्यों प्रस्तुत की गई हैं। इस आलेख में दी गई कोई भी सूचना अथवा तथ्य अथवा व्यक्त किए गए विचार एनडीटीवी के नहीं हैं, तथा एनडीटीवी उनके लिए किसी भी प्रकार से उत्तरदायी नहीं है।

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