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This Article is From Oct 16, 2021

सोनिया गांधी का G-23 को शह और मात

Aadesh Rawal
  • ब्लॉग,
  • Updated:
    अक्टूबर 16, 2021 16:41 pm IST
    • Published On अक्टूबर 16, 2021 16:41 pm IST
    • Last Updated On अक्टूबर 16, 2021 16:41 pm IST

दिल्ली मे अखिल भारतीय कांग्रेस कमेटी के दफ्तर में आज कांग्रेस कार्यसमिति की बैठक हुई. इससे पहली रिपोर्ट में हमने आपको बताया था कि कांग्रेस की महत्वपूर्ण बैठक में पार्टी के संगठन चुनाव की तारीख़ों का ऐलान होने वाला है. आज हुआ भी वैसा ही. कांग्रेस अध्यक्ष सोनिया गांधी ने अपने वक्तव्य में बताया कि संगठन चुनाव आप सबके सामने है जिसकी जानकारी संगठन महासचिव के सी वेणुगोपाल आपको देंगे. कांग्रेस के संगठन चुनाव 1 नवम्बर 2021 से लेकर अक्टूबर 2022 तक पूर्ण होंगे, नए अध्यक्ष का कार्यकाल 2022 से 2027 तक होगा. 

सोनिया गांधी का संदेश और फटकार 
कांग्रेस अध्यक्ष सोनिया गांधी ने आज कि बैठक में कहा, अगर आप लोगों की सहमति है तो मैं कांग्रेस की पूर्णकालिक अध्यक्ष हूं और आप सभी लोग मुझसे सीधा संवाद कर सकते है. किसी को भी मीडिया में जाने की आवश्यकता नहीं है. दरअसल, कांग्रेस अध्यक्ष सोनिया गांधी ने यह सीधा संदेश पार्टी के जी-23 समूह को दिया. जी-23 के नेता लम्बे समय से पार्टी के भीतर संगठन चुनाव और पूर्णकालिक अध्यक्ष को लेकर मांग कर रहे थे. जिसकी चर्चा पिछले एक साल से मीडिया में भी हो रही थी. जी-23 का पहला पत्र जो सितंबर 2020 में लिखा गया था. वह भी मीडिया के ज़रिए ही बाहर आया था. इसलिए इसे कांग्रेस अध्यक्ष सोनिया गांधी की फटकारऔर संदेश के रूप में देखा जा रहा है कि संगठन चुनाव की घोषणा करके सोनिया गांधी ने जी - 23 की बात भी मान ली और साथ ही यह भी संदेश दे दिया कि वह अंतरिम अध्यक्ष नहीं बल्कि फुल टाइम अध्यक्ष है. 

G-23 की तरफ से हमेशा राहुल गांधी के फैसलों पर सवाल खड़े किए जाते थे और जी-23 पहले दिन से ही संगठन चुनाव और महत्वपूर्ण फ़ैसलों में हिस्सेदारी की मांग करता रहा है. आज कांग्रेस अध्यक्ष सोनिया गांधी ने खुद को फुल टाइम अध्यक्ष घोषित करके पिछले दो साल के सारे फैसलों पर खुद की मोहर लगा दी. फिर चाहे वह पश्चिम बंगाल में ममता बनर्जी का समर्थन करना हो, केरल और असम में कांग्रेस की हार, कैप्टन अमरिन्द्र सिंह को पंजाब के मुख्यमंत्री पद से हटाना हो या फिर नवजोत सिंह सिद्धू को पंजाब कांग्रेस का अध्यक्ष बनाना. यह सारे फैसले सोनिया गांधी ने एक झटके में अपने बना लिए. दबी आवाज में जी- 23 के नेता कहते थे कि राहुल गांधी और प्रियंका गांधी पीछे से सारे फैसले कर रहे है. हाल ही में जब नवजोत सिंह सिद्धू ने पंजाब अध्यक्ष पद से इस्तीफा दिया तो जी- 23 ने उसी दिन बहन-भाई ने नेतृत्व पर सवाल खड़े किए थे और कहा था 'हम जी हुज़ूर जी -23 नहीं है.'

मैं ही अध्यक्ष हूं
कांग्रेस अध्यक्ष सोनिया गांधी ने खुद को बॉस बताकर जी- 23 को यह साफ संदेश दे दिया है कि अब जो भी बात करनी है, जो भी आपकी आपत्ति है. सब संवाद मुझसे करना होगा. यानि सोनिया गांधी को इस बात का बख़ूबी अंदाजा था कि जब सोनिया गांधी vs जी-23 होगा तो कोई ऐसा नेता नहीं हैं जो कांग्रेस अध्यक्ष के फ़ैसलों को चुनौती दे सके और इसलिए आज की बैठक में गुलाम नबी आजाद को भी यह कहना पड़ा कि "सोनिया गांधी के  नेतृत्व पर कोई सवाल नहीं उठा रहा, उनके नेतृत्व पर सबको विश्वास है”. 

इस बात का अंदेशा सोनिया गांधी को भी था कि जब वह खुद को फ़ुल टाइम अध्यक्ष के रूप कांग्रेस कार्यसमिति के सामने रखेंगी तो कोई नेता उनके नेतृत्व को चुनौती नहीं दे पाएगा. अब जब सोनिया गांधी ने सारे फैसलों पर अपनी मोहर लगा दी है तो क्या यह मान लिया जाए कि जी-23 आने वाले दिनों में नेतृत्व के फैसलों पर सवाल खड़े नहीं कर पाएगा? दरअसल गांधी परिवार को यह समझ आ गया है कि पार्टी पर वर्चस्व बनाए रखने के लिए फिलहाल सोनिया गांधी की ही जरूरत है. राहुल गांधी को पार्टी पर पूरा नियंत्रण बनाने के लिए अभी समय लगेगा और साथ ही कांग्रेस अध्यक्ष सोनिया गांधी ने यह भी साफ कर दिया कि पार्टी के नेताओं और अध्यक्ष में बीच में कोई नहीं है जैसे की पहले राजनैतिक सलाहकार हुआ करते थे. जी-23 पार्टी के भीतर असंतोष का प्रतिनिधित्व कर रहा था. सोनिया गांधी ने उस असंतोष को भी ख़त्म करने की कोशिश की है. संगठन चुनाव की घोषणा कर दी है. खुद को पूर्णकालिक अध्यक्ष घोषित कर दिया और अपने दरवाज़े पार्टी के नेताओं के लिए खोल दिए. 

आज की कार्यसमिति की बैठक का सार यह है कि फ़िलहाल कांग्रेस को बिखरने से रोकने के लिए सोनिया गांधी के नेतृत्व की आवश्यकता है. 

आदेश रावल वरिष्ठ पत्रकार हैं... आप ट्विटर पर @AadeshRawal पर अपनी प्रतिक्रिया भेज सकते हैं...

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