इस पार्टी के पास लोकसभा में एक भी सांसद नहीं है. महाराष्ट्र विधानसभा में इसका एक भी विधायक नहीं है. मुंबई महानगरपालिका जैसी बडी महानगरपालिकाओं में इसका एक भी पार्षद नहीं है. लेकिन इसके बावजूद इसने महाराष्ट्र की तीन बड़ी पार्टियों की नाक में दम कर रखा है. यह पार्टी है प्रकाश अम्बेडकर की वंचित बहुजन अघाड़ी, यानी VBA.
लोकसभा चुनाव 2024 के दौरान महाराष्ट्र में इस बार टकराव दो बड़े गठबंधनों में होने वाला है. एक तरफ सत्ताधारी गठबंधन महायुति है, जिसमें BJP है, एकनाथ शिंदे वाली शिवसेना है और अजित पवार वाली NCP है. दूसरी तरफ महाविकास अघाड़ी है, जिसमें उद्धव ठाकरे वाली शिवसेना है, शरद पवार वाली NCP है और कांग्रेस है. वंचित बहुजन अघाड़ी इसी विपक्षी गठबंधन का घटक दल है.
पिछले महीने औपचारिक तौर पर महाविकास अघाड़ी में शामिल होने के बाद से अम्बेडकर लगातार एक के बाद एक शर्तें रख रहे हैं. पहले उन्होंने कहा कि गठबंधन के चारों घटक दलों को 12-12-12-12 के फार्मूले पर राज्य की सभी 48 सीटें बांट लेनी चाहिए. इसके बाद वह सात सीटों पर उतर आए, लेकिन मांग की कि गठबंधन की ओर से 5 OBC उम्मीदवारों को और दो अल्पसंख्यक उम्मीदवारों को भी टिकट दिया जाना चाहिए. इसके साथ ही उन्होंने शर्त रखी कि सभी उम्मीदवार एक शपथपत्र लिखकर दें कि चुनाव नतीजे आने के बाद वे BJP से नहीं जुड़ेंगे. महाविकास अघाड़ी उन्हें दो सीटों से ज़्यादा देने को तैयार नहीं.
साल 2019 में वंचित बहुजन अघाड़ी ने ओवैसी बंधुओं की पार्टी AIMIM के साथ गठबंधन कर चुनाव लड़ा था. ओवैसी की पार्टी तो एक सीट जीतने में कामयाब रही और औरंगाबाद में उनका सांसद चुना गया, लेकिन वंचित बहुजन अघाड़ी एक सीट भी न जीत पाई. लेकिन इसके उम्मीदवारों ने कांग्रेस-NCP गठबंधन को नुकसान पहुंचाने का काम किया. चूंकि वंचित बहुजन अघाड़ी भी अल्पसंख्यक और पिछड़े मतों को आकर्षित कर रही थी और यही जनाधार कांग्रेस और NCP का भी रहा है, इसलिए वंचित बहुजन अघाड़ी की वजह से वोटों को बंटवारा हुआ, जिसका फायदा अविभाजित शिवसेना और BJP गठबंधन को मिला. शिवसेना-BJP गठबंधन को 48 में से 41 सीटें मिलीं, जबकि कांग्रेस को एक, NCP को 5 और निर्दलीय को 1 सीट मिली थी.
2024 के चुनाव में भी वंचित बहुजन अघाड़ी नुकसान न पहुंचाए, इसलिए महाविकास अघाड़ी ने उसे साथ लेना तय किया, लेकिन प्रकाश अम्बेडकर के लगातार आ रहे बयानों से उनकी मंशा पर शक ज़ाहिर किया जा रहा है. हाल ही में उन्होंने महाराष्ट्र में कांग्रेस के नेताओं को 'सुपारीबाज़' और 'छुटभैये चोर' कहकर संबोधित किया था. प्रकाश अम्बेडकर महाविकास अघाड़ी के साथ टिके रहेंगे, इसे लेकर शक जताया जा रहा है. कुल मिलाकर एक बात पता चलती है कि राजनीति में शून्य की भी ताकत होती है.
जीतेंद्र दीक्षित मुंबई में बसे लेखक और पत्रकार हैं...
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