भारत 295 रनों से पर्थ टेस्ट जीत गया. 5 टेस्ट मैचों की सीरीज में 1-0 की बढ़त बना ली. लेकिन पर्थ टेस्ट का रोमांच और मैसेज इन आंकड़ों से नहीं समझा जा सकता. अगर आपने शिद्दत से पर्थ टेस्ट को गेंद-दर-गेंद देखा और समझा होगा, तो यकीनन उसके संदेशों को भी पढ़ा होगा. पर्थ टेस्ट के ये 7 संदेश पूरी सीरीज की तस्वीर साफ करते नजर आ रहे हैं -
- 150 रन पर सिमटने के बाद भी टीम इंडिया का कमबैक
- बुमराह के आगे पूरी तरह घुटनों पर ऑस्ट्रेलियाई टीम
- बुमराह के सपोर्ट में दमदार सिराज और हर्षित राणा
- दूसरी पारी में टीम इंडिया ने मेजबानों को सिखाई बैटिंग
- कंगारूओं ने दूसरी पारी में मनोबल पाने का मौका खोया
- भारत का पूरा टॉप ऑर्डर पहले ही मैच से लय में
- रोहित शर्मा और शुभमन की गैरमौजूदगी का असर नहीं
बुमराह के आगे घुटनों पर कंगारू
बुमराह पर्थ की पिच पर आग उगल रहे थे. आप उंगलियों पर गिन सकते हैं कि विरोधी टीम ने बुमराह की कितनी गेंदें आत्मविश्वास के साथ खेली. विरोधी टीम के बल्लेबाजों से पूछेंगे तो शायद उनका जवाब होगा- एक गेंद भी नहीं. लेकिन पूरे मैच में बुमराह को सिर्फ 8 विकेट मिले. यकीनन ये ‘सिर्फ' सुनकर आप हैरान हुए होंगे. लेकिन अगर आपने पूरे मैच को देखा होगा और देखने से भी अधिक जिया होगा, तो आप भी इस ‘सिर्फ' से इत्तेफाक करेंगे. जिस गेंदबाज की एक गेंद न खेली जा रही हो उसे 20 में से 8 विकेट ही क्यों? 11-12 विकेट क्यों नहीं? चलिए अब इस सवाल के साथ-साथ पूरे मैच के हिसाब-किताब को समझते हैं.
बुमराह को मिला फुल सपोर्ट
पहली पारी में टीम इंडिया 150 पर सिमट गई. फैंस को बुमराह ने अपने पहले ही ओवर से आश्वस्त कर दिया कि अभी क्लाइमेक्स बाकी है. लेकिन जेहन में सवाल भी था. बुमराह को दूसरे एंड से सपोर्ट कौन करेगा? तभी हर्षित ने हाथ उठाया. सिराज ने भी अपनी गेंदों की धार से हामी भरी. बुमराह ने 30 रन खर्च करके आधों का सफाया किया तो इन दो ने 68 रन खर्चे और बाकियों का बोरिया-बिस्तर बांध दिया. 150 रन पर भारतीय टीम को आउट कर कुलांचे मार रहे कंगारू न सिर्फ 104 पर ढेर हुए, बल्कि टफ सीरीज के लिए जरूरी मनोबल का बड़ा हिस्सा भी यहीं खर्च कर दिया, खो दिया.
भारतीय बल्लेबाजों ने सिखाई बैटिंग
पर्थ पर कंगारुओं के पस्त होने के सिलसिला पहले दिन शुरू हुआ तो थमा नहीं. भारत की दूसरी पारी ऑस्ट्रेलियाइयों के लिए किसी दु:स्वप्न से कम नहीं रही. भारतीय बल्लेबाजों ने कंगारुओं को जैसे चाहा वैसे कूटा. पहली पारी में 0 के बाद यशस्वी की 161 रन की दूसरी पारी. पहली पारी में फेल होने के बाद कोहली की तेज-तर्रार सेंचुरी. राहुल की ठोस हाफ सेंचुरी. रेड्डी का धुआंधार. एक ही पारी में घटी ये सारी घटनाएं मेजबानों को खौफजदा करने के लिए काफी है. ऐसा लगा कि यशस्वी-राहुल-कोहली-नीतीश रेड्डी उन्हें सिखा रहे हों कि उनकी ही पिच पर बैटिंग कैसे की जा सकती है?
मनोबल जुटाने का मौका भी खोया
ऑस्ट्रेलिया की हार तय हो चुकी थी. मैच की चौथी पारी और ऑस्ट्रेलिया की दूसरी पारी यूं तो औपचारिकता जैसी ही थी. लेकिन यहां भी उनके पास एक मौका था. सीरीज के लिए आत्मविश्वास जुटाने का, खुद को जगाने का. लेकिन बुमराह एंड कंपनी ने फिर से दया नहीं दिखाई. 238 पर निपटाकर आगे के मैचों के लिए भी मैसेज दे दिया कि घरेलू टीम इस भारतीय टीम से रहम की उम्मीद न करें.
पर्थ की पिच पर सबसे बड़ा कमबैक
पर्थ टेस्ट में भारत की जीत बहुत बड़ी है और उतनी ही बड़ी है ऑस्ट्रेलिया की हार. लेकिन शायद इस मैच का सबसे बड़ा मैसेज भारत के कमबैक में है. 150 पर आउट होने के बाद टीम इंडिया ने पर्थ जैसे मैदान पर जो वापसी का जज्बा दिखाया और जिस तरीके से विरोधी टीम को रौंदा उसका असर बाकी के 4 मैचों पर पड़ना ही पड़ना है. याद ये भी रखना होगा कि अंतिम इलेवन के दो तय धुरंधर- रोहित शर्मा और शुभमन गिल इस मैच में नहीं थे. ऐसे में जब वे दोनों जुरैल और देवदत्त पडिक्कल (जिनका योगदान पहले टेस्ट में कुछ खास रहा भी नहीं) की जगह टीम में होंगे तो ऑस्ट्रेलियन्स को और कितने बुरे सपने आएंगे. वैसे क्रिकेट में कुछ भी तय नहीं है. लिहाजा टीम इंडिया भी भरोसे और हौसले के जिस अश्वमेघ घोड़े पर सवार है उसकी लगाम कसकर रखनी है. ये कंगारू पलटकर वार करने में कभी पीछे नहीं रहते. इस बार तो वे वैसे भी घायल और आहत बहुत ज्यादा हैं.
(अश्विनी कुमार NDTV इंडिया में कार्यरत हैं.)
डिस्क्लेमर (अस्वीकरण): इस आलेख में व्यक्त किए गए विचार लेखक के निजी विचार हैं.