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This Article is From Nov 24, 2016

नोटबंदी से बिहार की जनता परेशान, केंद्र के अधिकारियों की ग्राउंड रिपोर्ट में मिले संकेत

नोटबंदी से बिहार की जनता परेशान, केंद्र के अधिकारियों की ग्राउंड रिपोर्ट में मिले संकेत
केंद सरकार ने नोटबंदी पर देशभर में कुल 80 अधिकारियों को जनता की राय जानने के लिए भेजा है
  • देशभर में कुल 80 अधिकारियों को जनता की राय जानने के लिए भेजा गया है
  • कल यानी शुक्रवार को सभी अधिकारी वित्त मंत्रालय को रिपोर्ट सौंपेंगे
  • बिहार दौरे के दौरान अधिकारियों से सबसे ज्यादा दुखड़ा किसानों ने रोया
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पटना: बिहार के मुख्यमंत्री नीतीश कुमार ने पीएम नरेंद्र मोदी के नोटबंदी के फैसले का खुलकर समर्थन किया है, लेकिन उनके राज्य में नोटबंदी के बाद हालात सही नहीं है. केंद्र सरकार की ओर से बिहार के हालात का जायजा लेने भेजे गए अधिकारियों ने स्थिति को चिंताजनक बताया है. नोटबंदी से लोगों को बहुत समस्याओं का सामना करना पड़ रहा है. गौरतलब है कि केंद्र सरकार ने देशभर में कुल 80 अधिकारियों को जनता की राय जानने के लिए भेजा है. वे कल यानी शुक्रवार को वित्त मंत्रालय को रिपोर्ट सौंपेंगे.

नाम न बताने की शर्त पर एक अधिकारी ने एनडीटीवी को बताया, "विमुद्रीकरण के बाद हर जगह आम आदमी कई समस्याओं से दो-चार हो रहा है."

अधिकारियों ने कहा कि उनकी प्रतिक्रिया पीएम मोदी द्वारा सर्वे पर दी गई प्रतिक्रिया से उलट है जिसमें जनता को पीएम मोदी के नोटबंदी के फैसले से बहुत खुश बताया गया है. बिहार दौरे के दौरान अधिकारियों से सबसे ज्यादा दुखड़ा किसानों ने रोया. किसानों का कहना है कि को-ऑपरेटिव बैंक हमारे पुराने नोट नहीं स्वीकार कर रहे हैं. सरकार ने फसल बीमा पर बीज खरीदने और एक सप्ताह में 25000 रुपये निकालने की अनुमति दी है लेकिन एटीएम काम नहीं कर रहे हैं और बैंक में कैश उपलब्ध नहीं है. इसके चलते वे समय पर खाद-बीज नहीं खरीद पा रहे हैं और बुआई नहीं कर पा रहे हैं.

इस मामले में बिहार कांग्रेस अध्यक्ष अशोक चौधरी ने कहा, "मैं इन केंद्रीय अधिकारियों द्वारा दी गई प्रतिक्रिया से बिल्कुल भी हैरान नहीं हूं. सच्चाई यह है कि उन्हें बिहार के दूर-दराज इलाकों में और समय देना चाहिए और देखना चाहिए कि हालात किस तरह से बिगड़ रहे हैं. अभी सबसे बड़ी मुसीबत तो आना बाकी है क्योंकि कई व्यापारिक संगठनों ने हड़ताल की धमकी दी है." 

कुछ अधिकारियों ने बताया कि सबसे आम समस्या 24,000 रुपये की प्रति सप्ताह निकासी की सीमा को लेकर है जिसे तत्काल 50,000 रुपये किए जाने की मांग की गई है. कई व्यापारियों ने इस बात के लेकर भी शिकायत की है कि उनका कारोबार ठप हो गया है. ऐसा मांग में कमी के कारण नहीं हुआ बल्कि कर्मचारी चेक से भुगतान लेने से इनकार कर रहे हैं. कुछ अधिकारी व्यापारिक संघों और ट्रेड यूनियनो के प्रतिनिधियों से आज पटना में मिल रहे हैं. दिल्ली वापस लौटकर, वे अपनी रिपोर्ट केंद्र सरकार को सौंपेंगे.

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