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तेजस्वी का वादा- CM बने तो हर परिवार को देंगे सरकारी नौकरी, पर पैसे कहां से लाएंगे पूर्व डिप्टी सीएम?

तेजस्वी यादव ने कहा है कि बिहार के जिस परिवार के पास सरकारी नौकरी नहीं है उसे उनके CM बनने पर सरकारी नौकरी दी जाएगी. बिहार में कितने परिवार हैं और क्या बिहार के पास इतना बजट है कि तेजस्वी हर परिवार को एक सरकारी नौकरी दिला पाएं?

तेजस्वी का वादा- CM बने तो हर परिवार को देंगे सरकारी नौकरी, पर पैसे कहां से लाएंगे पूर्व डिप्टी सीएम?
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  • तेजस्वी यादव ने घोषणा की है कि अगर वो CM बनते हैं तो बिहार के हर परिवार को सरकारी नौकरी दिलाएंगे.
  • नीतीश सरकार ने अगले पांच सालों में (2030 तक) राज्य में एक करोड़ रोजगार पैदा करने का लक्ष्य रखा है.
  • बिहार में कुल परिवारों की संख्या करीब 2.83 करोड़ है, क्या तेजस्वी सरकारी नौकरी देने का वादा पूरा कर सकेंगे?
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बिहार विधानसभा चुनाव से पहले आरजेडी नेता तेजस्वी यादव ने राज्य की जनता से सरकारी नौकरी को लेकर एक बहुत बड़ा ऐलान किया है. तेजस्वी ने घोषणा की है कि जिस भी परिवार के पास सरकारी नौकरी नहीं है उस हर परिवार को एक सरकारी नौकरी दिलाने का काम किया जाएगा. तेजस्वी ने कहा कि उनकी सरकार बनती है तो 20 दिनों के अंदर नोटिफिकेशन जारी किया जाएगा, 20 महीने में ऐसा कोई घर नहीं बचेगा जहां नौकरी नहीं होगी.

तेजस्वी ने पटना में एक प्रेस कॉन्फ्रेंस में इसकी घोषणा करते हुए कहा, "20 साल इस खटारा सरकार को कभी ध्यान ही नहीं था कि बेरोजगारी सबसे बड़ा मुद्दा है. नौकरी और रोजगार के बारे में चर्चा भी नहीं होती थी. वो लोग आज बेरोजगारी भत्ता देने की बात कर रहे हैं, नौकरी की बात आज भी नहीं कर रहे हैं."

"हमने 17 महीने में लोगों को नौकरी दी. बिहार में अब नौकरी का नवजागरण होगा. बिहार के जिस भी परिवार के पास सरकारी नौकरी नहीं है ऐसे हर परिवार को एक नया अधिनियम बनाकर अनिवार्य रूप से उस परिवार में नौकरी दी जाएगी. सरकार बनते ही 20 दिन में अधिनियम बनाएंगे और 20 महीने के अंदर ऐसा बिहार का कोई घर नहीं बचेगा जिसके पास सरकारी नौकरी नहीं होगी."

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तेजस्वी लगातार कर रहे हैं नौकरी का वादा

6 अक्टूबर को तेजस्वी ने अपने फेसबुक लाइव के दौरान कहा था कि बिहार की जनता पढ़ाई, दवाई, कमाई, सिंचाई, सुनवाई और कार्रवाई वाली सरकार चाहती है. मैंने अपने 17 महीने में उप-मुख्यमंत्री काल में जितना काम बिहार की प्रगति के लिए किया वो वर्तमान सरकार 20 सालों में नहीं कर सकी.

उसी दौरान तेजस्वी ने हर घर रोजगार का प्रण लिया था. उन्होंने फेसबुक लाइव में कहा था, "तेजस्वी आपके सामने प्रण लेता है कि जब 14 नवंबर को सरकार बनेगी तब बिहार का ऐसा कोई घर नहीं होगा जहां बेरोजगारी होगी. सबके हाथ नौकरी, रोजगार होगा. पांच साल नहीं केवल 20 महीने का मौका दीजिए. जो काम वर्तमान सरकार ने 20 सालों में नहीं किया उसे हम 20 महीने में करेंगे."

उसके बाद से तेजस्वी इस बात को दोहराते रहे हैं. दो दिन पहले न्यूज एजेंसी एएनआई के साथ बातचीत में भी उन्होंने यही दोहराया. तेजस्वी बोले, "तेजस्वी मुख्यमंत्री बनेगा तो कोई बिहार में ऐसा घर नहीं होगा जहां बेरोजगार हमारे भाई-बहनें रहेगें. तेजस्वी आएगा तो हर एक के हाथ में नौकरी और रोजगार दिलाने का काम करेगा और आने वाला जो बदलाव होगा, बिहार में बेरोजगारी को जड़ से खत्म करने का काम होगा."

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तेजस्वी के नौकरियों के वादे पर नीतीश कुमार

तेजस्वी ने 2020 के विधानसभा चुनाव में वादा किया था कि उनकी सरकार बनी तो वह बिहार में 10 लाख लोगों को सरकारी नौकरी देंगे. तब भी तेजस्वी ने पहली कैबिनेट बैठक में ही 10 लाख नौकरियों की भर्तियां निकालने का वादा किया था. 

उनके इस एलान के बाद नीतीश कुमार चुनावी रैली में बोले थे कि नौकरियों के लिए पैसे कहां से लाएंगे.

नीतीश कुमार ने कटाक्ष भी किया था कि "क्या ये पैसे जेल से लाएंगे या जाली नोट से सैलरी देंगे." तब लालू यादव चारा घोटाला मामले में दोषी ठहराए जाने के बाद जेल में थे.

नीतीश ने जनता से कहा था कि "आप नौकरी के झांसे में मत आइए." साथ ही उन्होंने यह भी सवाल उठाए थे कि "जब 1990 से 2005 तक राज्य में आरजेडी की सरकार थी तब कितनी नौकरियां आई थीं. उनके राज में न सड़क थी न बिजली. तब राज्य में जंगलराज था. जंगलराज का वो दौर आप सबको याद है न?"

हालांकि 2020 में एनडीए गठबंधन के साथ चुनाव जीतने वाले नीतीश दो साल बाद एनडीए से अलग होकर अगस्त 2022 में आरजेडी के साथ बिहार में सरकार बनाए. तब तेजस्वी उप-मुख्यमंत्री बने और शपथ लेने के बाद ही उन्होंने राज्य के मुख्यमंत्री नीतीश कुमार से इस बाबत बात की और एक इंटरव्यू में बताया कि "कम-से-कम चार पांच लाख नौकरियों के लिए कुछ करेंगे." जिसके बारे में वो कहते हैं कि उन्होंने तब नौकरियां दिलाई थीं.

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नीतीश कैबिनेट ने 2030 तक रखा 1 करोड़ नौकरी का लक्ष्य

नीतीश कुमार की कैबिनेट ने इसी साल जुलाई में राज्य में अगले पांच सालों में (2030 तक) एक करोड़ नौकरियां पैदा करने का लक्ष्य रखा है. हालांकि जुलाई में जो फैसले लिए गए हैं उसमें सरकारी और प्राइवेट दोनों तरह की नौकरी की बात की गई है लेकिन इनमें सरकारी नौकरियों की संख्या क्या होगी इस पर कोई नंबर नहीं बताया गया. बता दें कि नीतीश कुमार नियोजित और कॉन्ट्रैक्ट वाली नौकरी की बात करते रहे हैं. कई लोगों को इसके जरिए नौकरियां भी मिली हैं पर जो लोग काम कर रहे हैं उनमें भारी असंतोष है. 

हालांकि इस साल SIR अभियान में करीब 85 हजार बीएलओ (बूथ लेवल ऑफिसर) भाग लिए थे जिन्हें राज्य सरकार ने एक बार का मानदेय ₹ 6000 देने की घोषणा की है. साथ ही मिथिलांचल क्षेत्र में सिचांई के आधुनिकीकरण और बाढ़ नियंत्रण की एक बड़ी परियोजना पश्चिम कोसी नहर परियोजना पर भी काम चल रहा है, जिसके मार्च 2029 तक पूरा होने की संभावना है. साथ ही बिहार सरकार ने गंगा पथ परियोजना के तहत ₹5119 करोड़ मुंगेर (साफियाबाद)-बरियारपुर-घोरघाट-सुल्तानगंज (42 किलोमीटर), और ₹4849 करोड़ सुल्तानगंज-भागलपुर-साबोर (40.80 किलोमीटर) के विकास की भी स्वीकृति मिली है. हालांकि ये हाइब्रिड एन्युटी मॉडल पर आधारित होंगे तो इसमें 60 फीसद जॉब्स प्राइवेट सेक्टर में पैदा होंगे.

कुल मिलाकर बिहार में कई बुनियादी विकास कार्यक्रम चल रहे हैं जिसमें हजारों की संख्या में लोगों को रोजगार मिला हुआ है पर ये सरकारी नौकरी नहीं है.

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बिहार की वर्तमान आर्थिक स्थिति

सच्चाई तो यही है कि इतनी सरकारी नौकरियों के लिए फिलहाल बजट में जगह नहीं है. अगर बिहार के बजट को देखें तो साल 2021-22 में यह 2.17 लाख करोड़ था. तो 2022-23 में बढ़कर ₹ 2,37,691 करोड़ हो गया. बिहार में साल 2025-26 का बजट लगभग ₹ 3,16,000 करोड़ रखा गया. वहीं ₹ 55,737 करोड़ का लोन भी लिया जाना तय किया गया है. राज्य पर ₹ 4,04,107 करोड़ बकाया है. यानी इस पर हर रोज ₹ 63 करोड़ का ब्याज ही दिया जा रहा है.

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क्या तेजस्वी हर परिवार में एक सरकारी नौकरी दिला पाएंगे?

जाति आधारित गणना 2022 के मुताबिक बिहार में कुल परिवारों की संख्या करीब 2.83 करोड़ बताई गई है. ऐेसे में तेजस्वी यादव की 2020 में की गई 10 लाख नौकरियों की घोषणा से यह आंकड़ा कहीं बड़ा होगा. जानकारों की मानें तो बिहार में इतने सरकारी पद ही मौजूद नहीं हैं, जितनी नौकरियां देने का तेजस्वी वादा कर रहे हैं.

हालांकि शराबबंदी के बावजूद बिहार सरकार के राजस्व प्राप्ति में पिछले सालों की तुलना में 2023‑24 में 11.96% की बढ़ोतरी हुई है, जबकि राजस्व व्यय यानी खर्च में बढ़त केवल 3.55% की हुई. ये आंकड़े खुद उप-मुख्यमंत्री सम्राट चौधरी ने विधानसभा में बताए. यानी जितने रुपये आए, उससे कहीं कम खर्च हुए हैं. पर राज्य के कर्ज में भी अच्छी खासी बढ़ोतरी भी हुई है.

जानकारों का यह भी कहना है कि इच्छाशक्ति हो और अगर फिजूलखर्ची (इसमें सौंदर्यीकरण को शामिल किया गया) और अन्य मदों में कटौती की जाए तो कुछ नौकरियों का सृजन संभव है. हालांकि कितने लोगों को नौकरियां दी जानी है यह अनुमान लगा पाना तो फिलहाल संभव नहीं है. लेकिन एक आंकड़े के मुताबिक केवल 10 लाख सरकारी नौकरियों के लिए ही करीब 25 हजार करोड़ रुपये के अतिरिक्त बजट की जरूरत पड़ेगी. ऐसे में तेजस्वी अगर सरकार बनाते हैं तो यह देखना होगा कि वो हर घर सरकारी नौकरी के लिए बजट का इंतजाम कैसे करते हैं.

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