Bihar News: बिहार में महागठबंधन सरकार की ओर से पेश किए गए विश्वास प्रस्ताव का जवाब देते हुए आरजेडी नेता और उप मुख्यमंत्री तेजस्वी प्रसाद यादव (Tejashwi Yadav) ने केंद्र की बीजेपी सरकार पर तीखा हमला बोला. बिहार विधानसभा (Bihar Assembly) के बुलाए गए विशेष सत्र में उन्होंने कहा कि जिस भी राज्य में बीजेपी सरकार में नहीं होती, वहां विपक्षी पार्टियों के खिलाफ सरकारी जांच एजेंसियों का दुरुपयोग करती है. उन्होंने कहा कि किसी भी ऐसे राज्य में जाएं जहां विपक्ष सत्ता में हो या जहां बीजेपी डरी हुई हो, वहां अपने तीन जमाई आगे कर देते हैं-सीबीआई, ईडी और आईटी विभाग. उन्होंने कहा कि जो बीजेपी के खिलाफ हैं, उन्हें ही इन तीन जांच एजेंसियों का सामना करना पड़ रहा है. उन्होंने कहा कि पीएम खुद कहते रहे हैं कि जब तक बिहार आगे नहीं बढ़ेगा, देश आगे नहीं बढ़ेगी लेकिन बिहार को आगे बढ़ने में उन्होंने कोई सहयोग नहीं दिया. उन्होंने कहा कि बीजेपी के साथ रिश्ते खत्म करके नीतीश कुमार ने बेहद साहसिक और ऐतिहासिक फैसला लिया है.
उन्होंने कहा कि जितने भी समाजवादी नेता है सबको एक मंच पर आना होगा. तेजस्वी ने कहा कि कुछ गोदी मीडिया ने चलाया गुरुग्राम में तेजस्वी का मॉल है. जो मेरा है ही नहीं, जबरन मेरा नाम लिया जा रहा हैं. इस मॉल का उदघाटन बीजेपी के सांसद ने ही किया है. मेरे खिलाफ मुक़दमा हुआ क्या हुआ उसमे ... ये तो बताएं. जो रेल को मुनाफे में लाएगा उस पर केस होगा और जो रेल को बेचेगा उसका क्या? 10 लाख करोड़ रुपया इनके मित्र को माफ कर दिया जाता है।इस पर भी जांच होनी चाहिए. हम लोग डरने वाले नही हैं, हम लोग बिहार के लोग हैं. दिल्ली वालों को बिहार अभी समझ मे नही आ रहा है. बीजेपी पर निशाना साधते हुए तेजस्वी ने कहा, "बीजेपी का एक ही फार्मूला जो डरेगा उसे डराओ जो नही डरेगा उसको खरीद लो. हम लोग जो खेत जोते है उस पर फसल हमारी ही होगी, आपकी नहीं. पूरा महागठबंधन नीतीश कुमार के साथ मजबूती के साथ खड़ा है. हमारी जोड़ी घमाल मचाने वाली है. हमारी इनिंग ऐतिहासिक होगी. पूरे देश मे शायद ही ऐसा कोई परिवार होगा जिसके माता-पिता दोनों मुख्यमंत्री बने और बेटा दो बार उपमुख्यमंत्री बना. नीतीश कुमार जी सच्चे समाजवादी नेता हैं."
गौरतलब है कि मुख्यमंत्री नीतीश कुमार की पार्टी जनता दल यूनाइटेड) (जेडीयू ) ने भारतीय जनता पार्टी (बीजेपी) से नाता तोड़कर सात पार्टी के महागठबंधन के साथ मिलकर 10 अगस्त को प्रदेश में नई सरकार बनाई थी. नई सरकार के गठन के तुरंत बाद महागठबंधन के 50 विधायकों ने सिन्हा के खिलाफ अविश्वास प्रस्ताव पेश किया था. महागठबंधन के पास बहुमत के आंकड़े (122) से अधिक यानी 164 विधायक हैं जबकि बीजेपी के पास 76 विधायक हैं. महागठबंधन में राष्टीय जनता दल (राजद), कांग्रेस, भारतीय कम्युनिस्ट पार्टी (मार्क्सवादी-लेनिनवादी) भाकपा माले, भारतीय कम्युनिस्ट पार्टी (भाकपा), भारतीय कम्युनिस्ट पार्टी (मार्क्सवादी) माकपा और पूर्व मुख्यमंत्री जीतन राम मांझी की पार्टी हिंदुस्तानी अवाम मोर्चा के अलावा एक निर्दलीय विधायक तथा मुख्यमंत्री की पार्टी जदयू शामिल है. महागठबंधन के पास 243 सदस्यीय सदन में कुल 164 विधायक है, ऐसे में महागठबंधन के पास सदन अध्यक्ष को पद से हटाने और नया अध्यक्ष चुनने एवं सदन में बहुमत साबित करने के लिए पर्याप्त संख्या बल है.
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