- सिवान विधानसभा सीट राजद और बीजेपी के बीच कड़ा मुकाबला होता रहा है
- 2020 के चुनाव में राजद के अवध बिहारी चौधरी ने बीजेपी के ओम प्रकाश यादव को बहुत कम वोटों के अंतर से हराया था
- सिवान का राजनीतिक महत्व इसके ऐतिहासिक और सांस्कृतिक महत्व से जुड़ा हुआ है
सिवान विधानसभा सीट के नतीजे आ गए हैं और इस बार यहां बीजेपी ने बड़ा उलटफेर करते हुए जीत दर्ज की है. पार्टी उम्मीदवार मंगल पांडे ने मतगणना के बाद 92,379 वोट हासिल किए और अपने नजदीकी प्रतिद्वंद्वी आरजेडी के अवध बिहारी चौधरी को 9,370 वोटों से पराजित किया.
सिवान बिहार की उन हाईप्रोफाइल सीटों में शामिल है, जहां हर चुनाव में कांटे का मुकाबला देखने को मिलता है. यह सीट सिवान लोकसभा क्षेत्र के अंतर्गत आती है और जिले की राजनीतिक धड़कन मानी जाती है. 1951 में हुए पहले विधानसभा चुनाव में यहां कांग्रेस के शंकर नाथ विजेता रहे थे, लेकिन समय के साथ समीकरण बदलते-बदलते आज मुकाबला बीजेपी बनाम आरजेडी पर सिमट चुका है.
2020 में इस सीट पर आरजेडी के अवध बिहारी चौधरी ने बेहद करीबी लड़ाई में बीजेपी के ओम प्रकाश यादव को 1,973 वोटों से हराया था. तब अवध बिहारी को 76,785 वोट, जबकि ओम प्रकाश यादव को 74,812 वोट मिले थे. यह नतीजा साफ संकेत था कि सिवान में वोट-टू-वोट जंग होती है और जनता यहां हर बार नया राजनीतिक संतुलन तय करती है.
सिवान सिर्फ राजनीति नहीं, बल्कि इतिहास और संस्कृति का भी केंद्र रहा है. भारत के पहले राष्ट्रपति डॉ. राजेंद्र प्रसाद का यहां से गहरा संबंध रहा है. दाहा नदी के किनारे बसा यह शहर उत्तर प्रदेश की सीमा से सटा है, जिसकी भौगोलिक और सामाजिक विविधता इसे चुनावी रूप से बेहद खास बनाती है.
NDTV.in पर ताज़ातरीन ख़बरों को ट्रैक करें, व देश के कोने-कोने से और दुनियाभर से न्यूज़ अपडेट पाएं