सीबीआई ने शनिवार को दिल्ली की एक अदालत से कहा कि मुजफ्फरपुर बालिका गृह मामले में कई पीड़िता ने मुख्य आरोपी ब्रजेश ठाकुर के खिलाफ बयान दिया है. साथ ही, उसके खिलाफ बलात्कार, अपहरण और चोट पहुंचाने के आरोप लगाए गए हैं. आरोप तय करने पर दलीलों की शुरूआत करते हुए सीबीआई के विशेष सरकारी वकील ने अदालत से कहा कि 33 पीड़िता के बयान दर्ज किए गए हैं और उनमें से ज्यादातर ने ठाकुर के खिलाफ गवाही दी है. इसके अलावा उन्होंने इस बात का भी खुलासा किया है कि वह (ठाकुर) लड़कियों का बलात्कार करने के लिए बाहर से लोगों को लाया करता था. इस पर, अतिरिक्त सत्र न्यायाधीश सौरभ कुलश्रेष्ठ ने कहा कि आरोपों को आपस में नहीं जाोड़ा जा सकता और जांच एजेंसी को निर्देश दिया कि अदालत को बेहतर तरीके से समझाने के लिए एक सारिणी (टेबल) बनाई जाए, तारीख और स्थान का उल्लेख किया जाए तथा हर आरोपी के अपराध का ब्यौरा दिया जाए.
क्या सीबीआई मुजफ्फरपुर बालिका गृह मामले को गंभीरता से नहीं ले रही?
अदालत ने कहा, "यदि 33 आरोपी हैं तो आरोपों को आपस में नहीं मिलाया जा सकता. उच्चतम न्यायालय ने सात फरवरी को यह मामला बिहार से यहां साकेत जिला अदालत परिसर में स्थित पॉस्को (यौन अपराधों से बच्चों का संरक्षण) अदालत को हस्तांतरित करने का आदेश दिया था. गौरतलब है कि बिहार के मुजफ्फरपुर स्थित बालिका गृह में कई लड़कियों से बलात्कार और यौन उत्पीड़न किया गया था. इस आश्रय गृह का संचालन ठाकुर का एक एनजीओ करता था. टाटा इंस्टीट्यूट ऑफ सोशल साइंसेज (टीआईएसएस) की एक रिपोर्ट के बाद यह मुद्दा प्रकाश में आया था. जांच एजेंसी के मुताबिक ठाकुर के अलावा रवि रौशन (राज्य के समाज कल्याण विभाग अधिकारी) और रामानुज ठाकुर उर्फ मामू लड़कियों से छोटे कपड़ों में अश्लील गीतों पर नृत्य कराते थे.
यह भी कहा गया है कि दो पीड़िता ने बताया कि बालिका गृह के बाहर एक होटल में उनसे बलात्कार किया गया. एजेंसी ने आरोप लगाया है कि रोजी रानी (राज्य की समाज कल्याण विभाग अधिकारी) बालिका गृह में होने वाली इन हरकतों से वाकिफ थी. बहरहाल, अदालत ने मामले की अगली सुनवाई पांच मार्च के लिए तय की है.
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