नीतीश कुमार ने प्रेस कॉन्फ्रेंस में इस्तीफा देने के पीछे रहे कारणों के बारे में बताया.
- कहा- जरूरत तो पूरी हो सकती हैं लेकिन लालच का कोई अंत नहीं
- कभी किसी का इस्तीफा नहीं मांगा लेकिन अब नहीं चल सकता था
- राहुल गांधी से भी बात की लेकिन कोई हल नहीं निकला
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नई दिल्ली:
बिहार के मुख्यमंत्री नीतीश कुमार ने अपने पद से इस्तीफा दे दिया है. राज्यपाल को अपना इस्तीफा सौंपने के बाद नीतीश कुमार ने अपनी प्रेस कॉन्फ्रेंस में कहा कि अब मेरे लिए सरकार चलाना मुश्किल था. मैंने 15 दिनों तक इंतजार किया. नीतीश ने कहा कि जब सरकार में शामिल लोगों के विषय में सरकार के अंदर और बाहर सवाल किए जाने लगे और हम जवाब देने की स्थिति में न हों तो यह मेरे लिए काफी असहज होता है.
कफन में कोई जेब नहीं होता
अपनी प्रेस कांफ्रेंस में नीतीश ने महात्मा गांधी को कोट करते हुए कहा कि धरती पर लोगों की जरूरत तो पूरी हो सकती है लेकिन लालच का कोई अंत नहीं. यह भी कहा कि कफन में कोई जेब नहीं होता, सब कुछ यहीं छोड़कर जाना होता है. ये बात अगर वो (लालू प्रसाद) समझ लेते तो काफी ऊपर उठ जाते, लेकिन ऐसा नहीं समझ पाए.
गठबंधन धर्म निभाने की पूरी कोशिश की
पत्रकारों से मुखातिब नीतीश कुमार का दर्द गठबंधन की मजबूरी पर साफ झलक रहा था. नीतीश ने कहा कि मैंने अपनी तरफ से गठबंधन धर्म निभाने की पूरी कोशिश की. कभी किसी का इस्तीफा नहीं मांगा लेकिन अब नहीं चल सकता था.
नीतीश ने कहा कि अभी जो हालात बने हैं, जो संकट है, यह अपने आप लाया गया संकट है. मैंने अपनी अंतरआत्मा की आवाज पर अपने पद से इस्तीफा दिया है.
विपक्षी एकता का पक्षधर, लेकिन किस शर्त पर?
नीतीश ने कहा कि मैंने राहुल गांधी से भी बात की लेकिन कोई हल नहीं निकला. उन्होंने कहा कि मैं हरदम गठबंधन और विपक्षी एकता का पक्षधर रहा हूं लेकिन किस शर्त पर? राष्ट्रपति के मसले पर न जाने किस-किस प्रकार के आरोपों को झेलना पड़ा. हमनें क्या गलत किया था... बिहार के राज्यपाल के तौर पर उनका कार्यकाल काफी बेहतर रहा था तो हम लोगों ने तय किया कि उनका समर्थन किया जाना चाहिए. नोटबंदी से गरीब खुश थे तो मैंने कहा कि नोटबंदी के साथ-साथ बेनामी संपति पर भी स्ट्राइक हो... तो इसमें क्या गलत था.
उन्होंने कहा कि पिछले 15 दिनों से जनमत में यह सवाल तैर रहा था और अगर अभी अपना स्टैंड नहीं लेते तो यह उचित नहीं होता. मेरे जैसे व्यक्ति के लिए इस प्रकार सरकार चलाना संभव नहीं था. नीतीश ने कहा कि अब हमारे सामने कोई रास्ता नहीं था तो मैंने वह जगह ही त्याग दी और अपने आपको अलग कर लिया.
जो भी होगा बिहार के लोगों के हित में होगा
जब नीतीश से आगे के विषय में पूछा गया तो उनका कहना था... आगे क्या होगा, कब होगा, कैसे होगा यह सब देखते रहिए लेकिन जो भी होगा बिहार के लोगों के हित में होगा, बिहार के हित में होगा. मेरा कमिटमेंट बिहार के प्रति है यहां के लोगों के प्रति है हम उस कमिटमेंट को निभा नहीं सकते तो हमें सरकार में बने रहने का कोई मतलब नहीं है. हमने वन थर्ड पीरियड गठबंधन को चलाया. इस बीच कई तरीकों की कठिनाइयों को झेला है. अब पूरा का पूरा परिदृश्य बदल गया है.
VIDEO: काम करना मुश्किल था
मूल सिद्धांत पर समझौता नहीं करूंगा
क्या बीजेपी के साथ जा सकते हैं? इस सवाल पर नीतीश ने कहा कि आप देखते रहिए जो कुछ होगा उस पर जरूर विचार करेंगे. साथ ही नीतीश ने कहा कि मैं मूल सिद्धांत पर समझौता नहीं करूंगा. नीतीश ने साफ कहा कि मैंने किसी को अंधेरे में नहीं रखा. त्याग पत्र देने के पहले लालू जी और कांग्रेस को भी सूचित किया उसके बाद राज्यपाल के पास गए. इस गठबंधन की तार्किक अंत यही होना था. आज पूरा हो गया.
कफन में कोई जेब नहीं होता
अपनी प्रेस कांफ्रेंस में नीतीश ने महात्मा गांधी को कोट करते हुए कहा कि धरती पर लोगों की जरूरत तो पूरी हो सकती है लेकिन लालच का कोई अंत नहीं. यह भी कहा कि कफन में कोई जेब नहीं होता, सब कुछ यहीं छोड़कर जाना होता है. ये बात अगर वो (लालू प्रसाद) समझ लेते तो काफी ऊपर उठ जाते, लेकिन ऐसा नहीं समझ पाए.
गठबंधन धर्म निभाने की पूरी कोशिश की
पत्रकारों से मुखातिब नीतीश कुमार का दर्द गठबंधन की मजबूरी पर साफ झलक रहा था. नीतीश ने कहा कि मैंने अपनी तरफ से गठबंधन धर्म निभाने की पूरी कोशिश की. कभी किसी का इस्तीफा नहीं मांगा लेकिन अब नहीं चल सकता था.
नीतीश ने कहा कि अभी जो हालात बने हैं, जो संकट है, यह अपने आप लाया गया संकट है. मैंने अपनी अंतरआत्मा की आवाज पर अपने पद से इस्तीफा दिया है.
विपक्षी एकता का पक्षधर, लेकिन किस शर्त पर?
नीतीश ने कहा कि मैंने राहुल गांधी से भी बात की लेकिन कोई हल नहीं निकला. उन्होंने कहा कि मैं हरदम गठबंधन और विपक्षी एकता का पक्षधर रहा हूं लेकिन किस शर्त पर? राष्ट्रपति के मसले पर न जाने किस-किस प्रकार के आरोपों को झेलना पड़ा. हमनें क्या गलत किया था... बिहार के राज्यपाल के तौर पर उनका कार्यकाल काफी बेहतर रहा था तो हम लोगों ने तय किया कि उनका समर्थन किया जाना चाहिए. नोटबंदी से गरीब खुश थे तो मैंने कहा कि नोटबंदी के साथ-साथ बेनामी संपति पर भी स्ट्राइक हो... तो इसमें क्या गलत था.
उन्होंने कहा कि पिछले 15 दिनों से जनमत में यह सवाल तैर रहा था और अगर अभी अपना स्टैंड नहीं लेते तो यह उचित नहीं होता. मेरे जैसे व्यक्ति के लिए इस प्रकार सरकार चलाना संभव नहीं था. नीतीश ने कहा कि अब हमारे सामने कोई रास्ता नहीं था तो मैंने वह जगह ही त्याग दी और अपने आपको अलग कर लिया.
जो भी होगा बिहार के लोगों के हित में होगा
जब नीतीश से आगे के विषय में पूछा गया तो उनका कहना था... आगे क्या होगा, कब होगा, कैसे होगा यह सब देखते रहिए लेकिन जो भी होगा बिहार के लोगों के हित में होगा, बिहार के हित में होगा. मेरा कमिटमेंट बिहार के प्रति है यहां के लोगों के प्रति है हम उस कमिटमेंट को निभा नहीं सकते तो हमें सरकार में बने रहने का कोई मतलब नहीं है. हमने वन थर्ड पीरियड गठबंधन को चलाया. इस बीच कई तरीकों की कठिनाइयों को झेला है. अब पूरा का पूरा परिदृश्य बदल गया है.
VIDEO: काम करना मुश्किल था
मूल सिद्धांत पर समझौता नहीं करूंगा
क्या बीजेपी के साथ जा सकते हैं? इस सवाल पर नीतीश ने कहा कि आप देखते रहिए जो कुछ होगा उस पर जरूर विचार करेंगे. साथ ही नीतीश ने कहा कि मैं मूल सिद्धांत पर समझौता नहीं करूंगा. नीतीश ने साफ कहा कि मैंने किसी को अंधेरे में नहीं रखा. त्याग पत्र देने के पहले लालू जी और कांग्रेस को भी सूचित किया उसके बाद राज्यपाल के पास गए. इस गठबंधन की तार्किक अंत यही होना था. आज पूरा हो गया.
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