बिहार के मुख्यमंत्री नीतीश कुमार (Nitish Kumar) गाहे बगाहे अपनी बचपन की बात सार्वजनिक मंचों से बताना नहीं भूलते. मंगलवार को 'नमामि गंगे' से संबंधित एक कार्यक्रम में उन्हें आख़िर बचपन में गंगा नदी में नहाने के बाद क्यों बाल्टी में पानी लाना पड़ता था, उसकी कहानी बतायी.
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अपने 'हर घर नल का जल' कार्यक्रम जिसका 80 प्रतिशत पूरा हो चुका है और गंगा नदी में नाले के पानी को साफ़ कर प्रवाहित करने के संदर्भ में नीतीश कुमार (Nitish Kumar) ने कहा कि उनका जन्म भी गंगा के किनारे बख़्तियारपुर में हुआ है जो नदी से केवल 50 किलोमीटर दूर है. पिताजी वैद्य थे. लेकिन उनके बचपन में वहां न तो उनके घर न आसपास के किसी कुआं का पानी पीने लायक होता था.
स्कूल में भी इसी समस्या को झेलते, पानी ठीक नहीं मिलता था और पूरे बख्तियारपुर में भी एक-दो कुआं होगा जिसका पानी स्वछ था. और जब रविवार को स्कूल नहीं होता था तो गंगा नदी में स्नान करने जाते थे और लौटने के समय छोटी बाल्टी में पानी ले कर आते थे. और फिर नीतीश ने कहा क्या ख़ुशी होती थी उस पानी को पी कर.
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नीतीश कुमार ने कहा कि फिर उसी गंगा में धीरे-धीरे नालों का पानी जाने लगा और गंगा का पानी दूषित होता चला गया. दरअसल चुनाव के ऐन मौक़े पर केंद्र और राज्य सरकार हर घर नल के जल से सम्बंधित कार्यक्रम को जल्द पूरा कर रही है. प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने भी माना कि बिहार जल्द देश के उन राज्यों में शामिल होगा जहां हर घर को नल का जल लोगों को उपलब्ध होगा.
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