
बिहार के सीएम नीतीश कुमार मीडिया के बर्ताव से नाखुश हैं.
खास बातें
- नीतीश कुमार ने कहा- हम अपना प्रचार नहीं करते
- जो काम नहीं करता वह केवल प्रचार करता है
- मेरी आलोचना करें, लेकिन थोड़ा समाज का भी ख्याल करें
बिहार के मुख्यमंत्री नीतीश कुमार ने गांधी जयंती पर कहा कि हम अपना प्रचार नहीं करते. जो काम नहीं करता वह केवल प्रचार करता है, लेकिन जितनी मेरी आलोचना है, कीजिए. मुख्यमंत्री नीतीश कुमार मीडिया की भूमिका से आहत हैं. नीतीश कुमार का बुधवार को गांधी जयंती के उपलक्ष्य में आयोजित एक कार्यक्रम में गुस्सा झलका.उन्होंने मंगलवार की शाम को कुछ मीडिया चैनलों द्वारा उनके खिलाफ अभद्र भाषा के प्रयोग पर कहा कि उन्हें प्रचार पर भरोसा नहीं, बल्कि काम करते हैं. लेकिन जो लोग काम नहीं करते वे अपना प्रचार ख़ूब करते हैं.
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नीतीश ने कहा कि हम मीडिया वालों से प्रेम करते हैं लेकिन मंगलवार शाम जब एक श्राद्ध के कार्यक्रम में भाग लेने गए तो कुछ मीडिया वाले चिल्लाने लगे और कैसी-कैसी भाषा का प्रयोग किया. उन्होंने साफ किया कि लोगों को उनकी आलोचना का अधिकार है और वे उसका स्वागत भी करते हैं. नीतीश ने कहा कि 'हमारे मीडिया वाले हम उनको प्रणाम करते हैं, क्या-क्या लैंग्वेज है भाई.'
नीतीश ने कहा कि जब मंगलवार को पटना में हुए जल जमाव को लेकर पम्पिंग हाउस का निरीक्षण कर एक श्राद्ध के कार्यक्रम में पहुंचे, चिल्ला-चिल्लाकर सवाल पूछे जाने लगे. नीतीश ने कहा 'तो भाई आखिर इसका क्या अर्थ होने वाला है. कहां ले जाना चाहते हैं समाज को, किस तरह की भाषा का प्रयोग करते हैं. आपको कोई भ्रम है क्या कि आपकी भाषा के प्रयोग करने से कुछ होता है? कुछ नहीं होता है. जनहित में जनता के हित में जो काम किया जाता है हम उसके लिए पूरे तौर पर समर्पित हैं. हम प्रचार के लिए समर्पित नहीं हैं और आज के युग में जो काम नहीं करता है, वो अपना प्रचार खुद करवाता है.'
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नीतीश ने मीडिया से कहा कि 'जितनी मेरी आलोचना करना है, मन से कीजिए, लेकिन थोड़ा समाज का भी ख्याल कीजिए. हम सबसे अपील करेंगे मेरे खिलाफ, मेरे जैसे व्यक्ति को डुबाने के लिए जो कहना है कीजिए लेकिन इतना जरूर है कि समाज में प्रेम का भाव नहीं आना चाहिए. आजकल समाज में जो टकराव की स्थिति और तनाव की स्थिति पैदा की जा रही है, इसमें क्या रोल नहीं है. किस तरीके की भाषा बोल रहे हैं. इस तरीके की भाषा बोलने से क्या समाज सुधर सकता है? समाज आगे बढ़ सकता है? ज़रूर कमियों को उजागर कीजिए इसमें कोई श़क नहीं. समाज में थोड़ा सौहार्द बनाना चाहिए.'
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उन्होंने कहा कि 'आज तक मैंने किसी की मर्यादा पर असर डालने की कोशिश नहीं की है. हम तो यही कोशिश करते हैं कि सब लोगों की मर्यादा रहे. आप दूसरे के विचार से असहमत हों, सबका अपना अधिकार है लेकिन विचार से असहमत होने का मतलब यह नहीं है कि इस तरीके का वातावरण और व्यवहार करना चाहिए कि दोनों के बीच झगड़ा हो. अपने विचारों को जरूर रखें, लेकिन असहमत हैं तो झगड़ा मत कीजिए.'
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