प्रतीकात्मक फोटो
मुजफ्फरपुर:
बिहार में मुजफ्फरपुर जिले के एक सरकारी अस्पताल में कथित तौर पर एंबुलेंस देने से इनकार करने के बाद एक महिला के रिश्तेदारों को उसका शव कंधे पर लादकर घर ले जाने के लिए मजबूर होना पड़ा. इससे पहले भी ऐसे मामले हमें कालाहांडी और वैशाली में देखने को मिले थे. सिविल सर्जन ललिता सिंह ने बताया कि यहां के शिवपुरी इलाके के रहने वाले और श्रमिक सुरेश मंडल की पत्नी को 18 फरवरी को सदर अस्पताल में भर्ती कराया गया था. उनकी हालत खराब होने पर उन्हें मंगलवार रात आईसीयू में ले जाया गया जहां उनकी मृत्यु हो गई.
उन्होंने कहा कि महिला के परिवार के सदस्यों के पास निजी ऐंबुलेंस लेने के लिए पर्याप्त पैसे नहीं थे, तो उन्होंने अस्पताल प्रशासन से अनुरोध किया कि शव को घर ले जाने के लिए उन्हें एक ऐंबुलेंस दी जाए. सिंह ने कहा कि अस्पताल उन्हें एंबुलेंस मुहैया नहीं करा सका और उनके परिवार के सदस्यों को एक किलोमीटर की दूरी तक उनका शव अपने कंधों पर लादकर ले जाना पड़ा.
सिविल सर्जन ने कहा कि उन्हें सूचित किया गया था कि उस वक्त अस्पताल में चालक मौजूद नहीं था, जिस वजह से एंबुलेंस मुहैया नहीं कराई जा सकी. उन्होंने कहा, ‘‘मैंने दुखद घटना की जांच करने को कहा है.’’ उन्होंने कहा कि जो भी दोषी पाया जाएगा उसे सजा दी जाएगी.
(हेडलाइन के अलावा, इस खबर को एनडीटीवी टीम ने संपादित नहीं किया है, यह सिंडीकेट फीड से सीधे प्रकाशित की गई है।)
उन्होंने कहा कि महिला के परिवार के सदस्यों के पास निजी ऐंबुलेंस लेने के लिए पर्याप्त पैसे नहीं थे, तो उन्होंने अस्पताल प्रशासन से अनुरोध किया कि शव को घर ले जाने के लिए उन्हें एक ऐंबुलेंस दी जाए. सिंह ने कहा कि अस्पताल उन्हें एंबुलेंस मुहैया नहीं करा सका और उनके परिवार के सदस्यों को एक किलोमीटर की दूरी तक उनका शव अपने कंधों पर लादकर ले जाना पड़ा.
सिविल सर्जन ने कहा कि उन्हें सूचित किया गया था कि उस वक्त अस्पताल में चालक मौजूद नहीं था, जिस वजह से एंबुलेंस मुहैया नहीं कराई जा सकी. उन्होंने कहा, ‘‘मैंने दुखद घटना की जांच करने को कहा है.’’ उन्होंने कहा कि जो भी दोषी पाया जाएगा उसे सजा दी जाएगी.
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