विज्ञापन

किशनगंज विधानसभा चुनाव: कांग्रेस, एआईएमआईएम और बीजेपी में कौन मारेगा बाजी

किशनगंज पूर्वी हिमालय की तलहटी में बसा हुआ है और महानंदा, मेची और कंकई जैसी नदियों से सिंचित उपजाऊ मैदानों का हिस्सा है. यह बिहार का एकमात्र इलाका है जहां वाणिज्यिक स्तर पर चाय की खेती होती है.

किशनगंज विधानसभा चुनाव: कांग्रेस, एआईएमआईएम और बीजेपी में कौन मारेगा बाजी
  • किशनगंज विधानसभा सीट पर इस बार कांग्रेस ने मोहम्मद कमरुल होदा को चुनावी उम्मीदवार बनाया है.
  • भाजपा से स्वीटी सिंह और एआईएमआईएम से शम्स आगाज भी किशनगंज विधानसभा चुनाव में भाग ले रहे हैं.
  • 2020 के विधानसभा चुनाव में कांग्रेस के इजहारुल हुसैन ने भाजपा की स्वीटी सिंह को हराकर जीत हासिल की थी.
क्या हमारी AI समरी आपके लिए उपयोगी रही?
हमें बताएं।

किशनगंज में कुल 4 विधानसभा सीटें आती हैं. किशनगंज लोकसभा निर्वाचन क्षेत्र के अंदर आती है. इसमें 6 विधानसभा सीटें बहादुरगंज, ठाकुरगंज, किशनगंज, कोचाधामन सीट किशनगंज जिले की है. आमौर और बायसी दो विधानसभा सीट पूर्णिया जिले की है. इस सीट पर सबसे पहले 1952 में चुनाव हुए थे.

कौन-कौन प्रत्याशी

किशनगंज सीट पर इस बार कांग्रेस ने मोहम्मद कमरुल होदा को टिकट दिया है. होदा 2019 में हुए उपचुनाव में यहां से एआईएमआईएम के टिकट पर जीते दर्ज कर चुके हैं. वहीं, भाजपा के टिकट पर स्वीटी सिंह एक बार फिर से मैदान में हैं. वहीं, एआईएमआईएम के टिकट पर शम्स आगाज चुनाव लड़ रहे हैं. किशनगंज विधानसभा सीट पर दूसरे चरण में 11 नवंबर को मतदान है. 2020 के विधानसभा चुनाव में किशनगंज सीट पर INC के कैंडिडेट इजहारुल हुसैन ने 60599 वोट हासिल कर जीत हासिल की थी. उन्होंने BJP प्रत्याशी स्वीटी सिंह को हराया था, जिनके हिस्से 59378 वोट आए थे.

कब कौन जीता

1952 के चुनाव में कांग्रेस के कमलेश्वरी प्रसाद यादव को जीत मिली. 1957 में कांग्रेस के अब्दुल हयात को जीत मिली. 1962 में स्वतंत्र पार्टी के मोहम्मद हुसैन आजाद जीत गए. 1967 में प्रजा सोशलिस्ट पार्टी की एलएल कपूर को जीत मिली. 1969, 1972, 1977 में लगातार कांग्रेस के रफीक आलम ने जीत दर्ज की. 1980 में जनता पार्टी के मो. मुश्ताक को जीत मिली. 1985 में लोकदल के मो. मुश्ताक को जीत मिली. 1990 में मोहम्मद मुश्ताक ने जीत की हैट्रिक लगाई. मुश्ताक इस बार जनता दल के टिकट पर जीते. 1995 में कांग्रेस के रफीक आलम ने किशनगंज सीट से चौथी बार जीत दर्ज की. 2000 में राजद के तस्लीमुद्दीन को जीत मिली. 2005 में राजद के अख्तरुल ईमान को जीत मिली. 2010, 2015 में कांग्रेस के मोहम्मद जावेद यहां से जीते. 2019 के उपचुनाव में एआईएमआईएम के कमरुल होदा जीते. 2020 में कांग्रेस के इजहारुल हुसैन यहां से जीते.

किशनगंज में होती है चाय की खेती 

किशनगंज पूर्वी हिमालय की तलहटी में बसा हुआ है और महानंदा, मेची और कंकई जैसी नदियों से सिंचित उपजाऊ मैदानों का हिस्सा है. यह बिहार का एकमात्र इलाका है जहां वाणिज्यिक स्तर पर चाय की खेती होती है. इस कारण इसे अक्सर दार्जिलिंग और पूर्वोत्तर भारत का प्रवेश द्वार भी कहा जाता है. यहां की अर्थव्यवस्था मुख्यतः कृषि पर आधारित है- धान, मक्का, जूट और केले प्रमुख फसलें हैं. चाय की खेती और व्यापार ने जिले की आर्थिक स्थिति को एक विशिष्ट पहचान दी है.


 

NDTV.in पर ताज़ातरीन ख़बरों को ट्रैक करें, व देश के कोने-कोने से और दुनियाभर से न्यूज़ अपडेट पाएं

फॉलो करे:
Listen to the latest songs, only on JioSaavn.com