- बिहार में पहले चरण के मतदान ने 75 साल बाद रिकॉर्ड बनाया है, जिससे चुनावी माहौल काफी गतिशील हो गया है
- चुनावी विशेषज्ञों के अनुसार पहले चरण के नौ जिलों में मतदान प्रतिशत करीबी मुकाबले का संकेत दे रहे हैं
- वरिष्ठ पत्रकार विजय त्रिवेदी: बंपर वोटिंग के पीछे SIR की भूमिका और प्रशांत किशोर के प्रभाव मुख्य कारण है
बिहार में पहले चरण के बंपर मतदान ने सभी को चौंका दिया है. 75 साल बाद पड़े इस रिकॉर्ड तोड़ मतदान को अब चुनावी चाणक्य और सियासी दल डिकोड करने की कोशिशों में जुटे हैं. आखिर यह भारी मतदान किसे नुकसान पहुंचा रहा है और किसे सत्ता तक ले जा सकता है? NDTV से बातचीत में, चुनावी विशेषज्ञ सतीश के सिंह और वरिष्ठ पत्रकार विजय त्रिवेदी ने इसकी वजहें बताई हैं और अपनी राय साझा की है.
चुनावी विशेषज्ञ सतीश के सिंह की राय
सतीश के सिंह के अनुसार, "बिहार में पिक्चर अभी बाकी है." उनका मानना है कि मोटे तौर पर देखा जाए तो मुकाबला करीबी है, खासकर पहले चरण के 9 जिलों के वोटिंग प्रतिशत इस ओर इशारा कर रहे हैं.
नीतीश फैक्टर कर रहा काम
बंपर वोटिंग के पीछे निश्चित तौर पर नीतीश फैक्टर है. उन्होंने कहा कि महिला वोटरों पर नीतीश कुमार का वर्चस्व रहा है. उनका बूथ तक पहुंचना अहम है.
वहीं, वरिष्ठ पत्रकार विजय त्रिवेदी ने बंपर वोटिंग के पीछे तीन मुख्य कारण बताए हैं:
पहला कारण: 'SIR' से लोगों की उत्सुकता बढ़ी, जिससे वे मतदान के लिए निकले.
दूसरा कारण: 'SIR' से वोटों की संख्या कम हुई, जिसके कारण जाहिर है कि वोटिंग प्रतिशत बढ़ गया.
तीसरा कारण: प्रशांत किशोर का फैक्टर: उन्होंने कहा कि प्रशांत किशोर का फैक्टर भी हो सकता है. यह अलग बात है कि उनके खाते में क्या आता है, लेकिन उन्होंने कितने वोटरों को खींचा है, यह भी देखने वाली बात है.
सीटों का दिलचस्प समीकरण
विजय त्रिवेदी ने कुछ दिलचस्प आंकड़े भी सामने रखे. उन्होंने कहा, "आरजेडी के असर वाली सीटों पर वोटों का इजाफा हुआ है. लेकिन क्या नीतीश कुमार के साथ खड़ी महिला वोटर बूथ तक पहुंची हैं? यह एक महत्वपूर्ण सवाल है. बीजेपी के असर वाली सीटों पर वोट उतना नहीं बढ़ा है. यह आंकड़ा भी दिलचस्प है." त्रिवेदी ने कहा कि अक्सर बढ़ा हुआ मतदान बदलाव के लिए जाना जाता है, लेकिन कई बार वह सत्ता के पक्ष में भी जाता है.
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