
- जनता दल यूनाइटेड ने बिहार विधानसभा चुनाव 2025 के लिए अपनी पहली सूची में 57 उम्मीदवारों के नाम घोषित किए हैं
- जेडीयू ने जातिगत संतुलन पर ध्यान देते हुए गैर-यादव ओबीसी और दलित समुदाय के कई उम्मीदवार चुने हैं
- पार्टी ने बाहुबली नेताओं अनंत सिंह, धूमल सिंह और अमरेन्द्र पांडेय को भी चुनाव मैदान में उतारा है
भाजपा के बाद अब जनता दल यूनाइटेड (जेडीयू) ने भी बिहार विधानसभा चुनाव 2025 के लिए अपनी पहली उम्मीदवार सूची जारी कर दी है. पार्टी ने गहन मंथन के बाद 57 उम्मीदवारों के नाम घोषित किए हैं, जिनमें 3 बाहुबली नेताओं को भी जगह दी गई है. इस बार जेडीयू कुल 101 सीटों पर चुनाव लड़ रही है.
जातीय समीकरण पर नीतीश का फोकस
जेडीयू ने अपनी पहली सूची के जरिए जातिगत संतुलन साधने की पूरी कोशिश की है. पार्टी ने विभिन्न वर्गों और क्षेत्रों से उम्मीदवारों को मौका देकर राजनीतिक संतुलन बनाए रखने की रणनीति अपनाई है. लवकुश यानी गैर-यादव ओबीसी समाज पर विशेष ध्यान दिया गया है. 23 उम्मीदवार इसी वर्ग से हैं. इसके अलावा 9 प्रत्याशी अति पिछड़ा वर्ग से और 12 उम्मीदवार दलित समुदाय से चुने गए हैं.
महिलाओं को भी सीमित परंतु प्रतीकात्मक प्रतिनिधित्व मिला है. 4 महिला प्रत्याशियों को टिकट दिया गया है. वहीं, 27 नए चेहरे पहली बार मैदान में उतरेंगे, जबकि 11 उम्मीदवार वे हैं जो पिछला चुनाव हार चुके थे.
बाहुबली फिर से मैदान में
जेडीयू की इस सूची में बाहुबली नेताओं को भी जगह दी गई है.मोकामा से अनंत सिंह, एकमा से धूमल सिंह, और कुचायकोट से अमरेन्द्र पांडेय को टिकट दिया गया है. अनंत सिंह ने तो 14 अक्टूबर (बुधवार) को ही नामांकन दाखिल भी कर दिया. पार्टी ने उन्हें पहले ही सिंबल दे दिया था, जिससे यह साफ है कि जेडीयू उनके प्रभाव क्षेत्र पर भरोसा कर रही है.
कैबिनेट के साथियों पर भरोसा कायम
मुख्यमंत्री नीतीश कुमार ने अपने पुराने सहयोगियों और मंत्रिमंडल के साथियों पर भी भरोसा बरकरार रखा है. पहली सूची में 5 मंत्रियों को टिकट मिला है- रतनेश सदा, सुनील कुमार, विजय चौधरी, महेश्वर हजारी और श्रवण कुमार. इसके अलावा, बिहार विधानसभा के उपाध्यक्ष नरेंद्र नारायण यादव को भी प्रत्याशी बनाया गया है.
चिराग पर भारी पड़े नीतीश, एनडीए में हलचल
जेडीयू की इस पहली सूची में 4 ऐसी सीटें भी शामिल हैं जिन पर एनडीए के सहयोगी चिराग पासवान दावेदारी जता चुके थे. नीतीश कुमार ने इन सीटों पर अपने उम्मीदवार उतारकर स्पष्ट कर दिया है कि जेडीयू गठबंधन में भी अपनी राजनीतिक सीमाएं तय करेगा.
मुस्लिम प्रतिनिधित्व नदारद, उठे सवाल
इस सूची की सबसे बड़ी चर्चा यह है कि 57 उम्मीदवारों में एक भी मुस्लिम उम्मीदवार शामिल नहीं है. 2020 के विधानसभा चुनाव में जेडीयू ने 115 प्रत्याशियों की सूची में 11 मुसलमानों को टिकट दिया था. इस बार अनुपस्थिति ने नया सियासी संकेत दिया है. हालांकि, उम्मीद जताई जा रही है कि दूसरी सूची में मुस्लिम चेहरों को मौका मिल सकता है.
बीते दिनों जेडीयू नेताओं ललन सिंह और देवेश चंद्र ठाकुर के बयानों ने भी मुस्लिम वोट बैंक पर पार्टी के रुख को लेकर सवाल खड़े किए थे. ललन सिंह ने कहा था “नीतीश सरकार ने मुसलमानों के लिए बहुत कुछ किया, लेकिन वोट नहीं मिलते.” वहीं, वक्फ बोर्ड बिल को लेकर नीतीश की अनुपस्थिति ने इन अटकलों को और बल दिया. हालांकि चुनाव से पहले नीतीश कुमार ने मुस्लिम समुदाय के आयोजनों में सक्रिय भागीदारी कर इन धारणाओं को कमजोर करने की कोशिश की है.
NDTV.in पर ताज़ातरीन ख़बरों को ट्रैक करें, व देश के कोने-कोने से और दुनियाभर से न्यूज़ अपडेट पाएं