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कट्टा से लेकर पप्पू-टप्पू और जंगलराज.. बिहार का चुनावी चक्रव्यूह और नारों का समीकरण

बिहार विधानसभा चुनाव के पहले चरण के प्रचार का आज आखिरी दिन है, जहां नेताओं के तीखे जुमले, रोड शो और सोशल मीडिया प्रचार ने माहौल को गरमा दिया है.

कट्टा से लेकर पप्पू-टप्पू और जंगलराज.. बिहार का चुनावी चक्रव्यूह और नारों का समीकरण
  • बिहार विधानसभा चुनाव के प्रथम चरण के प्रचार का अंतिम दिन मंगलवार को है, शाम तक प्रचार बंद होगा
  • प्रधानमंत्री मोदी ने लालू राबड़ी राज पर चुनाव प्रचार के दौरान जमकर हमला बोला
  • यूपी के मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ ने महागठबंधन पर निशाना साधा, उन्होंने राहुल, अखिलेश और तेजस्वी पर हमला बोला
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पटना:

मंगलवार को बिहार विधानसभा चुनाव के प्रथम चरण के प्रचार का आख़िरी दिन है. आज शाम प्रचार का शोर खत्म हो जाएगा. हर चुनाव की तरह इस चुनाव भी अनोखे जुमले नेताओं ने अपने भाषण में लाये है . लालू राबड़ी राज के जंगलराज पर प्रहार करते हुए प्रधानमंत्री मोदी ने ‘ के ‘ शब्द से बने कई शब्द निकाले जैसे ‘ करप्शन , किडनैपिंग, क्रूरता , कुशासन , कटुता ‘ . वो इन शब्दों को लालू राबड़ी और अब तेजस्वी के लिए प्रयोग कर रहे हैं. वहीं यूपी के सीएम योगी आदित्यनाथ ने पप्पू, टप्पू, अप्पू कहकर महागठबंधन पर हमला बोला. 

लेकिन ऐसे जुमले और अनोखे शब्दों का प्रयोग कोई नया नहीं है . आपातकाल के बाद सन 1977 के चुनाव में विपक्ष ने कड़ा प्रहार करते हुए एक जुमला उछाला था ‘ आधी रोटी तावा में , इंदिरा गांधी हवा में ‘ . सन 1980 के लोकसभा चुनाव में कांग्रेस पार्टी में पिछली जनता पार्टी सरकार को ‘ खिचड़ी सरकार ‘ कह कर मतदाताओं के बीच उछाला था . 

बीजेपी ने क्यों बदली है रणनीति?

सत्ता पक्ष हमेशा अपने काम को चुनावी जुमला बनाता आया है लेकिन इस बार एंटी इनकंबेंसी के संभावित भय से भाजपा पहले दिन से ही बीस वर्ष पूर्व के लालू राबड़ी राज के खिलाफ हमलावर रही . अगर मोकामा में घटना नहीं हुई होती तो भाजपा का यह प्रयोग काफी सफल होता. 

चुनाव में क्यों होता है जुमलों का प्रयोग?

आख़िरकार चुनाव में ऐसे तीखे जुमले या शब्द क्यों प्रयोग में लाए जाते हैं . मेरी नज़र में यह युद्ध के बिगुल ध्वनि की तरह होते हैं. सोए हुए अपने समर्थकों में जोश लाया जाये और फ्लोटिंग वोट को अपनी तरफ़ खींचा जाये. चुनाव उदासीन होने पर मतदाता घर में ही सोए रह जाते हैं. जैसे पटना शहर में पिछले कुछ चुनाव में मत का प्रतिशत घटता जा रहा है , जिसे बढ़ाना चुनाव आयोग के वश के बाहर है तो प्रधानमंत्री स्वयं भाजपा के मजबूत गढ़ सेंट्रल पटना में रोड शो से एक उत्साह पैदा किए. 

जनसभा से अधिक रोड शो पर है जोर

सिर्फ चुनावी नारे या जुमले ही नहीं बल्कि इस बार हर क्षेत्र में रोड शो हो रहे हैं. परसों प्रधानमंत्री रोड शो किए तो कल लालू जी रोड शो किए . सिर्फ लालू प्रसाद ही नहीं बल्कि मोकामा में केंद्रीय मंत्री ललन सिंह कई गाड़ियों के काफिले के साथ अपने प्रत्याशी के समर्थन में रोड शो किया .मंगलवार को गोपालगंज में दिल्ली की मुख्यमंत्री रेखा गुप्ता रोड शो करेंगी .  इसमें कोई शक नहीं कि आम युवा मतदाता में रोड शो और तीखे नारे / जुमले जोश भरते हैं जिसका फल यह होता है की सोए हुए मतदाता मतदान केंद्र तक पहुंचते हैं . तीखे शब्द , रोड शो के साथ सोशल मीडिया पर भी घनघोर प्रचार ने इस चुनाव को काफ़ी रोमांचक बना दिया है . अब देखना है कि इनका असर मतदान में कितना होता है . 

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