 
                                            बिहार के मुख्यमंत्री नीतीश कुमार (फाइल फोटो)
                                                                                                                        
                                        
                                        
                                                                                पटना: 
                                        बिहार के मुख्यमंत्री नीतीश कुमार ने केंद्र सरकार से 'आइडिया ऑफ नालंदा' की मूल भावना के साथ छेड़छाड़ नहीं करने का अनुरोध करते हुए संबंधित अधिनियम में बिना संशोधन के नए शासी निकाय का गठन करने का आग्रह किया.
विदेश मंत्री सुषमा स्वराज को 5 दिसंबर को लिखे एक पत्र में नालंदा विश्वविद्यालय के कुलाधिपति जॉर्ज यो द्वारा उनके त्यागपत्र में विश्वविद्यालय की स्वायत्तता में केंद्र के हस्तक्षेप का जिक्र किए जाने का हवाला देते हुए नीतीश ने कहा, "केंद्र सरकार को आइडिया ऑफ नालंदा की मूल भावना के साथ छेड़छाड़ नहीं करनी चाहिए."
नीतीश ने कहा कि जॉर्ज यो ने शिकायत की है कि विश्वविद्यालय के पुराने शासी निकाय के विघटन और नए शासी निकाय के गठन संबंधी फैसलों पर उन्हें विश्वास में नहीं लिया गया. ऐसे में कुलाधिपति से बिना विचार-विमर्श के निर्णय लेना दिक्कत का मामला है और उक्त विश्वविद्यालय की स्वायत्तता को लेकर प्रश्न खड़ा करता है.
उन्होंने कहा कि ऐसा महसूस किया गया कि नालंदा विश्वविद्यालय अधिनियम 2010 में शासी निकाय के गठन को लेकर प्रावधान त्रुटिपूर्ण था और केंद्र सरकार का दायित्व था कि उक्त अधिनियम में संशोधन करती. ऐसे में केंद्र सरकार को संशोधन के पूर्व नालंदा मेंटर ग्रुप से अनुरोध करना चाहिए था कि वे शासी निकाय में बने रहें.
नीतीश ने कहा कि नालंदा विश्वविद्यालय अधिनियम 2010 में अबतक संशोधन नहीं होने तथा बिना सलाह-मश्विरा के केंद्र सरकार द्वारा नए शासी निकाय का गठन कर दिए जाने से विश्वविद्यालय की प्रतिष्ठा और विश्वसनीयता प्रभावित हुई है.
उन्होंने कहा कि जिस प्रकार से नालंदा विश्वविद्यालय का नेतृत्व किया जा रहा है, उसको लेकर उससे संबंधित रहे सभी लोग परेशान हैं. नालंदा विश्वविद्यालय अभी भी अपने बाल्यावस्था में है, ऐसे में उसकी शैक्षणिक गतिविधियों के सतत जारी रहने और उसके विकास के लिए उसकी स्थापनाकाल के समय से उससे जुडे हुए लोगों का मार्गदर्शन और संरक्षण आवश्यक है.
(इस खबर को एनडीटीवी टीम ने संपादित नहीं किया है. यह सिंडीकेट फीड से सीधे प्रकाशित की गई है।)
                                                                        
                                    
                                विदेश मंत्री सुषमा स्वराज को 5 दिसंबर को लिखे एक पत्र में नालंदा विश्वविद्यालय के कुलाधिपति जॉर्ज यो द्वारा उनके त्यागपत्र में विश्वविद्यालय की स्वायत्तता में केंद्र के हस्तक्षेप का जिक्र किए जाने का हवाला देते हुए नीतीश ने कहा, "केंद्र सरकार को आइडिया ऑफ नालंदा की मूल भावना के साथ छेड़छाड़ नहीं करनी चाहिए."
नीतीश ने कहा कि जॉर्ज यो ने शिकायत की है कि विश्वविद्यालय के पुराने शासी निकाय के विघटन और नए शासी निकाय के गठन संबंधी फैसलों पर उन्हें विश्वास में नहीं लिया गया. ऐसे में कुलाधिपति से बिना विचार-विमर्श के निर्णय लेना दिक्कत का मामला है और उक्त विश्वविद्यालय की स्वायत्तता को लेकर प्रश्न खड़ा करता है.
उन्होंने कहा कि ऐसा महसूस किया गया कि नालंदा विश्वविद्यालय अधिनियम 2010 में शासी निकाय के गठन को लेकर प्रावधान त्रुटिपूर्ण था और केंद्र सरकार का दायित्व था कि उक्त अधिनियम में संशोधन करती. ऐसे में केंद्र सरकार को संशोधन के पूर्व नालंदा मेंटर ग्रुप से अनुरोध करना चाहिए था कि वे शासी निकाय में बने रहें.
नीतीश ने कहा कि नालंदा विश्वविद्यालय अधिनियम 2010 में अबतक संशोधन नहीं होने तथा बिना सलाह-मश्विरा के केंद्र सरकार द्वारा नए शासी निकाय का गठन कर दिए जाने से विश्वविद्यालय की प्रतिष्ठा और विश्वसनीयता प्रभावित हुई है.
उन्होंने कहा कि जिस प्रकार से नालंदा विश्वविद्यालय का नेतृत्व किया जा रहा है, उसको लेकर उससे संबंधित रहे सभी लोग परेशान हैं. नालंदा विश्वविद्यालय अभी भी अपने बाल्यावस्था में है, ऐसे में उसकी शैक्षणिक गतिविधियों के सतत जारी रहने और उसके विकास के लिए उसकी स्थापनाकाल के समय से उससे जुडे हुए लोगों का मार्गदर्शन और संरक्षण आवश्यक है.
(इस खबर को एनडीटीवी टीम ने संपादित नहीं किया है. यह सिंडीकेट फीड से सीधे प्रकाशित की गई है।)
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                                        नीतीश कुमार, नालंदा विश्वविद्यालय, सुषमा स्वराज, बिहार, जॉर्ज यो, Nitish Kumar, Nalanda University, Sushma Swaraj, Bihar
                            
                        