
- बिहार चुनाव के मद्देनजर युवाओं और महिलाओं के लिए रोजगार और कौशल विकास पर कई घोषणाएँ और पहल की जा रही हैं.
- पटना डिबेट सर्किल ने चाणक्य नेशनल लॉ यूनिवर्सिटी में रोजगार के अवसरों पर एक कार्यक्रम आयोजित किया.
- जिसमें शिक्षा और उद्योग के बीच समन्वय बढ़ाकर बेरोजगारी कम करने की जरूरत पर जोर दिया गया है.
बिहार विधानसभा चुनाव जैसे-जैसे नजदीक आ रहे हैं, वैसे-वैसे युवाओं और महिलाओं को लेकर घोषणाओं और पहलों की बाढ़ आ रही है. NDA सरकार एक ओर युवाओं और महिलाओं के लिए कई योजनाओं की घोषणा कर रही है, वहीं दूसरी ओर सामाजिक संस्थाएं भी रोजगार और कौशल विकास के मुद्दे पर युवाओं को केंद्र में रखकर कार्यक्रम आयोजित कर रही हैं. इसी कड़ी में पटना डिबेट सर्कल का पहला कार्यक्रम चाणक्य नेशनल लॉ यूनिवर्सिटी (सीएनएलयू), पटना में आयोजित हुआ. इस बहस का विषय था युवाओं में कौशल अंतर रोजगार के अवसर और चुनौतियाँ. कार्यक्रम में युवाओं और विशेषज्ञों ने मिलकर यह समझने की कोशिश की कि भारत की सबसे बड़ी पूंजी युवा क्यों नौकरी के अवसरों से वंचित रह जाती है और इस खाई को कैसे पाटा जा सकता है?
कार्यक्रम की शुरुआत NDTV की एंकर नगमा सहर ने की. उन्होंने युवाओं में कौशल की कमी और रोजगार के अवसरों की सीमितता की ओर ध्यान आकर्षित करते हुए इस बहस को दिशा दी. पैनलिस्टों ने अपने-अपने क्षेत्रों के अनुभव साझा किए और युवाओं से सीधा संवाद किया.
मुख्य अतिथि प्रो. फैजान मुस्तफा (वाइस चांसलर, सीएनएलयू) ने कहा कि युवाओं को बेहतर अवसर देने के लिए शिक्षा और उद्योग के बीच की दूरी को खत्म करना होगा. वहीं प्रो. विवेकानंद पांडे (वाइस चांसलर, अमिटी यूनिवर्सिटी पटना) ने युवाओं को उद्योग की मांगों के अनुसार प्रशिक्षित करने पर जोर दिया.

पटना डिबेट सर्किल में मंचासीन अतिथि.
स्वास्थ्य क्षेत्र के विशेषज्ञ डॉ. रवि शंकर (मेडिकल डायरेक्टर, जयप्रभा मेदांता हॉस्पिटल) ने हेल्थ सेक्टर में स्किल गैप की समस्या को विस्तार से समझाया. नीरज अग्रवाल (डायरेक्टर, सिमेज कॉलेज पटना) ने भी यही कहा कि शिक्षा संस्थानों और उद्योगों के बीच समन्वय को मजबूत किए बिना रोजगार की समस्या का समाधान नहीं हो सकता.
करीब 200 से अधिक छात्र सीएनएलयू, एनआईएफटी, सिमेज कॉलेज, पटना यूनिवर्सिटी और अमिटी यूनिवर्सिटी जैसे संस्थानों से इसमें शामिल हुए. उन्होंने सवाल पूछकर पैनलिस्टों से अपने करियर और भविष्य को लेकर दिशा प्राप्त की. खुर्शीद अहमद (फाउंडर एंड सीईओ, एडवांटेज सर्विसेज) ने इस मंच की प्रासंगिकता बताते हुए कहा कि पटना डिबेट सर्कल का उद्देश्य युवाओं और विचारशील व्यक्तियों को एक साथ लाकर रोजगार और अर्थव्यवस्था से जुड़े मुद्दों पर सार्थक संवाद स्थापित करना है.
भारत की युवाशक्ति और चुनौतियाँ
भारत की 1.4 अरब आबादी में से आधे से अधिक लोग 30 साल से कम उम्र के हैं. यह देश की सबसे बड़ी ताकत है, लेकिन नौकरी की कमी और कौशल अंतर इस जनसांख्यिकीय लाभांश को एक चुनौती में बदल रहे हैं.
29% युवा स्नातक 2022 में बेरोजगार थे (ILO रिपोर्ट).
- विश्व बैंक का कहना है कि भारत अपनी कार्यशील आबादी के अनुरूप पर्याप्त नौकरियां नहीं पैदा कर पा रहा.
- अगस्त 2025 में भारत की बेरोजगारी दर 5.1% रही, हालांकि ग्रामीण रोजगार और महिलाओं की कार्यबल भागीदारी में थोड़ी सुधार देखा गया.
सरकारी पहल और वादे
- सरकार ने युवाओं के लिए कई योजनाएँ शुरू की हैं, जिनमें प्रमुख हैं:
- रोजगार मेला – युवाओं को तत्काल नौकरी के अवसर उपलब्ध कराने की कोशिश.
- स्टार्टअप इंडिया योजना – नवाचार और उद्यमिता को बढ़ावा देकर युवाओं को स्वरोजगार के लिए प्रेरित करना.
- कौशल विकास मिशन – युवाओं को उद्योग की जरूरतों के अनुसार प्रशिक्षित करना.
हालांकि, जमीनी स्तर पर इन योजनाओं का कितना असर हो रहा है, यह चुनावी बहस का अहम मुद्दा है.
चुनाव और युवाओं की उम्मीदें
जैसे-जैसे बिहार में चुनावी सरगर्मी बढ़ रही है, वैसे-वैसे युवाओं की उम्मीदें भी नेताओं से जुड़ रही हैं. बेरोजगारी, करियर और जीवन सुरक्षा जैसे सवाल इस चुनाव में अहम भूमिका निभाने वाले हैं. युवाओं को अब केवल वादों की नहीं, बल्कि ठोस कदमों की तलाश है. भारत का भविष्य इस पर निर्भर करेगा कि सरकार और समाज किस तरह से मिलकर युवाओं को कौशलयुक्त बनाते हैं और उन्हें रोजगार के अवसर उपलब्ध कराते हैं.
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