क्या अपनी कुर्सी के लिए नीतीश कुमार ने बिहार को विशेष राज्य के दर्जे की मांग ठंडे बस्ते में डाली?

मुख्यमंत्री नीतीश कुमार ने कहा- बिहार को जो ज़रूरत रहती है उसके लिए डिमांड करते हैं, अभी इसको इशू बनाने से क्या फ़ायदा?

क्या अपनी कुर्सी के लिए नीतीश कुमार ने बिहार को विशेष राज्य के दर्जे की मांग ठंडे बस्ते में डाली?

मुख्यमंत्री नीतीश कुमार ने अपने जनता दरबार के बाद पहले से मंजूर किए गए सवालों के जवाब दिए.

पटना:

विशेष राज्य के दर्जे के बारे में पूछे जाने पर बिहार के मुख्यमंत्री नीतीश कुमार ने सोमवार को कहा कि अभी इसकी चर्चा करने की जरूरत नहीं हैं और उसके बाद उसी वाक्य के दौरान उन्होंने ये भी कहा कि लेकिन इशू बनाने से क्या फ़ायदा. नीतीश कुमार ने सोमवार को पहले से तय सवालों के जवाब दिए. इसी क्रम में जब बिहार को विशेष राज्य के दर्जे के बारे में पूछा गया तो उन्होंने कहा कि “ये सब तो हमारा है ही, लेकिन अभी कोई चर्चा करने की ज़रूरत नहीं है. ये सब हम लोग शुरू से करते ही रहते हैं, काम भी करते रहते हैं..और जो बिहार को ज़रूरत रहती है उसके लिए डिमांड भी करते हैं, और बात भी करते हैं.'' उन्होंने यह भी कहा कि अभी इसको इशू बनाने से क्या फ़ायदा? 

इसके बाद नीतीश से कुछ केंद्रीय मंत्रियों के उस बयान के बारे में पूछा गया कि बिहार केंद्र की योजनाओं का लाभ उठाने में अन्य राज्यों से पिछड़ जाता है या यहां केंद्रीय योजनाओं की काफ़ी धीमी गति होती है. इस पर नीतीश का कहना था कि “चलिए ना कौन क्या स्टेटमेंट देता है. हम लोग, जितना बिहार के लिए जरूरत है, पता ही है ना काम भी करते हैं, मांग भी करते हैं और पूरा ध्यान भी देते हैं.'' फिर उन्होंने पत्रकारों को सलाह भी दे डाली कि इस सब पर ज़्यादा चिंता मत कीजिए. निश्चित रूप से नीतीश विशेष राज्य के मुद्दे पर केंद्र सरकार से अधिक पंगा लेना नहीं चाहते. इसलिए उनके बयान में ऐसी नरमी आई है. 

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वहीं भाजपा के नेताओं का कहना है कि नीतीश ने सही कहा है और उन्हें अब इस वस्तिकवता का ज्ञान हो गया है कि मोदी सरकार में दबाव की राजनीति काम नहीं करेगी. केंद्रीय मंत्रिमंडल का गठन हो या पटना विश्वविद्यालय को केंद्रीय विश्वविद्यालय के दर्जे की मांग हो, उन्हें हमेशा मुंह की खानी पड़ी है. वहीं राष्ट्रीय जनता दल के वरिष्ठ विधायक भाई वीरेंद्र का कहना है कि नीतीश का बयान इस बात का सबूत है कि उन्होंने अपनी गद्दी बचाने के लिए इस मुद्दे को तिलांजलि देना बेहतर समझा. भाई वीरेंद्र का कहना था कि नीतीश जातिगत जनगणना के मुद्दे को भी इसलिए आजकल उलझा कर रखे हुए हैं.