
- बिहार में विधानसभा चुनाव से पहले वोटर लिस्ट पुनरीक्षण अभियान शुरू हुआ है.
- चुनाव आयोग ने गलत नामों को हटाने के लिए दस्तावेज़ प्रस्तुत करने को कहा है.
- विपक्ष ने इस प्रक्रिया को NRC जैसा बताया और आपत्ति जताई है.
- आयोग ने संविधान के अनुच्छेद 326 का हवाला देते हुए अपने तर्क पेश किए हैं.
बिहार में विधानसभा चुनाव से पहले वोटर लिस्ट के पुनरीक्षण अभियान पर बवाल शुरू हो गया है. इस अभियान के तहत चुनाव आयोग ने मतदाताओं को जन्म और नागरिकता से जुड़े डॉक्यूमेंट्स प्रस्तुत करने को कहा है, जिसका मकसद वोटर लिस्ट से गलत नामों को हटाना है. इसको लेकर विपक्षी पार्टियों ने आपत्ति जताई है और चुनाव से पहले इसे NRC जैसा बताया है. विपक्ष की आपत्ति और बवाल के बाद चुनाव आयोग ने बिंदुवार तर्क पेश किए हैं. इसमें आयोग ने संविधान के अनुच्छेद 326 का भी हवाला दिया है.
विपक्ष के आरोपों से इतर चुनाव आयोग ने कहा है कि बिहार में संविधान के दायरे में वोटर लिस्ट का गहन पुनरीक्षण अभियान चल रहा है. जिन वोटर्स के नाम 2003 की वोटर लिस्ट में पहले से ही दर्ज हैं, उन्हें केवल एक फॉर्म भर कर पुष्टि करनी है.
चुनाव आयोग का जवाब:
- बिहार में विशेष गहन पुनरीक्षण अभियान शुरू हो चुका है. यह काम भारतीय संविधान के दायरे में हो रहा है, जिसे हर नागरिक, राजनीतिक दल और खुद चुनाव आयोग मानते हैं.
- संविधान का अनुच्छेद 326 तय करता है कि वोटर कौन बन सकता है. इसके तहत केवल भारतीय नागरिक, जिनकी उम्र 18 साल से ऊपर हो और जो संबंधित विधानसभा क्षेत्र में सामान्य रूप से रहते हों, वही वोटर लिस्ट में नाम दर्ज करा सकते हैं.
- बिहार में यह गहन पुनरीक्षण अभियान राजनीतिक दलों की भागीदारी के साथ सफलतापूर्वक चल रहा है.
- इस अभियान के लिए पहले से 77,895 बूथ स्तर अधिकारी (BLO) काम में लगे हैं. इसके अलावा 20,603 नए BLO की नियुक्ति की जा रही है, ताकि नए मतदान केंद्रों पर भी काम हो सके.
- एक लाख से ज्यादा स्वयंसेवक इस काम में मदद कर रहे हैं, खासकर बुजुर्गों, बीमार लोगों, दिव्यांगजनों, गरीबों और अन्य कमजोर वर्गों की सहायता के लिए.
- सभी मान्यता प्राप्त राष्ट्रीय और राज्य स्तरीय राजनीतिक दलों ने अब तक 1,54,977 बूथ लेवल एजेंट (BLA) नियुक्त किए हैं. वे चाहें तो और एजेंट भी नियुक्त कर सकते हैं.
- बिहार की सभी 243 विधानसभा सीटों पर नए वोटर फॉर्म (EF) की छपाई और घर-घर वितरण का काम शुरू हो चुका है. ऑनलाइन फॉर्म भरने की सुविधा भी चालू है और इसका अच्छा असर देखने को मिल रहा है.
- वर्तमान में बिहार में कुल 7.89 करोड़ मतदाता हैं. इनमें से करीब 4.96 करोड़ मतदाताओं का नाम पहले से ही 2003 की वोटर लिस्ट में दर्ज है. उन्हें बस फॉर्म भरकर अपनी जानकारी की पुष्टि करनी है.
- सभी प्रमंडलीय आयुक्त (Divisional Commissioners) और जिलाधिकारी (DM) इस अभियान में BLO को पूर्णकालिक रूप से लगा रहे हैं.
- 5.74 करोड़ पंजीकृत मोबाइल नंबरों पर SMS भेजकर जानकारी दी जा रही है, ताकि मतदाता समय पर प्रक्रिया पूरी कर सकें.
- वोटर लिस्ट पुनरीक्षण से जुड़ी सारी गतिविधियां तय समय पर अच्छे तरीके से चल रही हैं.
वोटर्स का सत्यापन 27 जुलाई तक
चुनाव आयोग ने बताया है कि बीएलओ आगामी 27 जुलाई तक वोटर्स का सत्यापन करेंगे. इसके लिए हर वोटर को एक फॉर्म भरना होगा. यह फॉर्म बीएलओ, घर-घर जाकर मतदाताओं को उपलब्ध कराएंगे. मतदाता इसे भरकर डॉक्यूमेंट के साथ वापस बीएलओ को देंगे. इस फॉर्म को वोटर्स, निर्वाचन विभाग की वेबसाइट पर ऑनलाइन भी अपलोड कर सकते हैं.
दिखाने होंगे ये डॉक्यूमेंट्स
- केंद्र/राज्य सरकार की ओर से जारी कोई भी पहचान पत्र, नियमित कर्मचारियों या पेंशनभोगियों को मिलने वाला पेंशन भुगतान आदेश
- 1 जुलाई 1987 से पहले जारी कोई भी पहचान पत्र/प्रमाण पत्र/सरकार, स्थानीय निकाय, बैंक, पोस्ट ऑफिस, एलआईसी या PSUs की ओर से कोई भी दस्तावेज
- जन्म प्रमाण पत्र
- पासपोर्ट
- मान्यता प्राप्त यूनिवर्सिटी या बोर्ड की ओर से जारी शैक्षणिक प्रमाण पत्र (जैसे मैट्रिक का सर्टिफिकेट)
- राज्य सरकार की किसी संस्था द्वारा जारी मूल निवास प्रमाण पत्र
- ओबीसी, एससी या एसटी का जाति प्रमाण पत्र
- वन अधिकार प्रमाण पत्र
- राज्य सरकार या स्थानीय निकाय का फैमिली रजिस्टर
- सरकार की ओर से जारी किसी जमीन या घर का प्रमाण पत्र
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