
बिहार की राजनीति में बेगूसराय का अपना एक खास मुकाम है. यह सिर्फ एक विधानसभा क्षेत्र नहीं, बल्कि एक ऐसा रणभूमि है, जहां अक्सर दो धुरंधर आमने-सामने होते हैं. यहां की जंग न सिर्फ पार्टियों की होती है, बल्कि उम्मीदवारों के व्यक्तिगत जनाधार की भी होती है. बेगूसराय का सामाजिक ताना-बाना जितना महत्वपूर्ण है, उतना ही यहां का सियासी समीकरण भी मायने रखता है.
बीजेपी-कांग्रेस का सीधा मुकाबला
बेगूसराय विधानसभा क्षेत्र की सियासी कहानी भारतीय जनता पार्टी और कांग्रेस के बीच सीधे मुकाबले के इर्द-गिर्द घूमती है. 2020 के विधानसभा चुनाव में, बीजेपी के कुंदन कुमार ने इस सीट पर कमल खिलाकर पार्टी के लिए एक बड़ी जीत दर्ज की थी. हालांकि, यह जीत बीजेपी की रही, लेकिन पिछले कुछ चुनावों के इतिहास को देखें तो यह सीट कांग्रेस के लिए भी काफी मजबूत रही है. कांग्रेस की अमिता भूषण ने यहां से जीत दर्ज कर यह साबित किया था कि बेगूसराय की जनता ने हमेशा से ही दोनों दलों को मौका दिया है. यही वजह है कि यहां का हर चुनाव रोमांचक और दिलचस्प होता है.

औद्योगिक पृष्ठभूमि, विकास की भूख
बेगूसराय अपनी औद्योगिक पृष्ठभूमि के लिए जाना जाता है, लेकिन यहां के लोग सिर्फ उद्योग पर ही ध्यान नहीं देते. यहां विकास के मुद्दे भी उतने ही महत्वपूर्ण हैं, जितना जातीय समीकरण. बेगूसराय के प्रमुख मुद्दों में सबसे बड़ा है औद्योगीकरण की कमी, जो कभी इस शहर की पहचान हुआ करती थी. इसके अलावा, शिक्षा संस्थानों की खराब हालत, बढ़ती बेरोजगारी, महिला सुरक्षा और प्रदूषण व सफाई व्यवस्था भी यहां के लोगों के लिए चिंता का विषय हैं. इन मुद्दों पर काम करने वाला ही यहां की जनता का दिल जीत सकता है.

मतदाताओं की संख्या और जाति का गणित
बेगूसराय विधानसभा क्षेत्र में कुल 3.5 लाख मतदाता हैं, जो इसे एक महत्वपूर्ण सियासी क्षेत्र बनाते हैं. इस सीट पर जातीय गणित काफी गहरा है और चुनाव के नतीजों पर इसका सीधा असर पड़ता है. यहां की सियासी बिसात पर भूमिहार (22%), यादव (18%) और मुस्लिम (15%) जैसे बड़े जातीय समूह मौजूद हैं. इसके अलावा, ब्राह्मण (10%) और दलित (20%) मतदाता भी निर्णायक भूमिका निभाते हैं. यह जातीय समीकरण अक्सर पार्टियों को अपने उम्मीदवार चुनने में काफी सोच-विचार करने पर मजबूर करता है.

कौन हो सकते हैं सियासी मैदान में
आगामी विधानसभा चुनाव में बेगूसराय की जनता एक बार फिर से एक रोमांचक मुकाबले की गवाह बन सकती है. बीजेपी की तरफ से कुंदन कुमार और कांग्रेस की तरफ से अमिता भूषण एक बार फिर से आमने-सामने हो सकते हैं. दोनों ही नेताओं का अपने-अपने दलों में मजबूत जनाधार है और वे इस सीट पर जीत के लिए कोई कसर नहीं छोड़ना चाहेंगे.
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