बिहार : वर्ष के अंत तक सभी लोगों को कोरोना टीका देने का लक्ष्‍य लेकिन वैक्‍सीन की कमी बन रही बाधा...

राजधानी पटना से करीब 25 किलोमीटर दूर मनेत हाई स्कूल में बनाया गया वैक्सीन सेंटर, यहां टीका लगवाने के लिए महिलाओं की लंबी क़तार लगी है

बिहार : वर्ष के अंत तक सभी लोगों को कोरोना टीका देने का लक्ष्‍य लेकिन वैक्‍सीन की कमी बन रही बाधा...

बिहार में अब तक तीन करोड़ साठ लाख टीके दिए जा चुके हैं (प्रतीकात्‍मक फोटो)

पटना :

Bihar: बिहार (Bihar) में इस साल के अंत तक सभी लोगों को वैक्सीन देने का लक्ष्य रखा गया है, लेकिन राज्य में वैक्सीन की कमी को देखते हुए यह बेहद मुश्किल नजर आ रहा है.राज्य में अब तक तीन करोड़ साठ लाख टीके दिए जा चुके हैं एनडीटीवी की टीम ने राज्‍य के ग्रामीण इलाक़ों में जाकर वैक्‍सीनेशन का जायजा लिया. राजधानी पटना से करीब 25 किलोमीटर दूर मनेत हाई स्कूल में बनाया गया वैक्सीन सेंटर, यहां टीका लगवाने के लिए महिलाओं की लंबी क़तार लगी है. कतार में खड़े कुछ लोगों में बताया कि दो दिन पहले भी टीका लगवाने इस केंद्र आए  थे लेकिन लौटना  पड़ा था. आज तय करके आए हैं कि कुछ भी हो टीका लगवाकर ही जाएंगे.  आसपास के सारे टीकाकरण केंद्रों में यह  शिकायत आम है कि टीके की कमी की वजह से लोगों को बार-बार आना पड़ता है.
 
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टीका लगवाने के लिए पहुंचे वीरेंद्र कुमार बताते हैं, ‘बहुत दिक़्क़त हो रहा हैं वैक्सीन कभी आता हैं. इस कारण बहुत दिक्‍कत होती है.' एक अन्‍य व्‍यक्ति धर्मेंद्र कुमार कहते हैं, 'लोगों को टीका लगने की राह में बहुत कठिनाई है. हार में अब तक बस छह लाख से कुछ अधिक लोगों को वैक्सीन के दोनो डोज़ मिले है. हालांकि हाजीपुर के इस केंद्र परमौजूद स्‍टाफ  का कहना हैं कि  वैक्सीन की सप्लाई में कोई दिक़्क़त नहीं नहीं है.

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प्रभारी डॉक्‍टर सुरुचि गुप्‍ता कहती हैं, ‘कोई प्रॉब्लम नहीं हैं किसी मरीज़ को कोई दिक़्क़त नहीं हुई. लेकिन कटिहार से 12 KM दूर कोढ़ा प्रखंड के इस वैक्सीन केंद्र पर टीके की कमी की वजह से लोग  बिना वैक्सीन लगवाए लौट रहे हैं. रणविजय सिंह कहते हैं, 'अभी जितना भी डोज था, पूरा खत्‍म हो गया.' टीका लगवाने के लिए पहुंचे शफीक ने कहा, 'हम  दो किमी चलकर आए हैं टीका लगवाने के लिए लेकिन निराश होकर लौटना पड़ा रहा .' हैरानी की बात यह है कि जिन दूरदराज के इलाक़ों का मुख्यमंत्री नीतीश कुमार दौरा करते हैं, वहां बाढ़ के पानी में भी नाव पर टीके का इंतज़ाम हो जाता है लेकिन आम लोगों को अभी भी टीके और अपने किस्‍मत के ' मिलन' का इंतज़ार करना होता है.