विज्ञापन

बिहार में मतदाता सूची से कम हो गए 48 लाख नाम, जानिए किन 3 आधार पर काटे गए वोटर्स के नाम

बिहार में स्पेशल इंटेंसिव रिवीजन (SIR) के बाद लाखों नाम मतदाता सूची से हटाए गए हैं. चुनाव आयोग ने इसके पीछे तीन कारण बताया है.

बिहार में मतदाता सूची से कम हो गए 48 लाख नाम, जानिए किन 3 आधार पर काटे गए वोटर्स के नाम
  • बिहार में स्पेशल इंटेंसिव रिवीजन के दौरान मृतक, डुप्लीकेट और पता बदल चुके मतदाताओं के नाम हटाए गए हैं
  • चुनाव आयोग ने मतदाता सूची की शुद्धता और पारदर्शिता बनाए रखने के लिए कई स्तरों पर जांच और सत्यापन किया है
  • डुप्लीकेट नामों को सॉफ्टवेयर और फील्ड वेरिफिकेशन के जरिए खोजकर सूची से हटाया गया
क्या हमारी AI समरी आपके लिए उपयोगी रही?
हमें बताएं।
नई दिल्ली:

बिहार में स्पेशल इंटेंसिव रिवीजन (SIR) के बाद जारी हुई नई मतदाता सूची ने बड़ा सवाल खड़ा कर दिया है. आखिर इतने सारे नाम क्यों कट गए? चुनाव आयोग का कहना है कि यह प्रक्रिया किसी भेदभाव का नतीजा नहीं, बल्कि मतदाता सूची को सही और पारदर्शी बनाने का प्रयास है. आयोग ने कई स्तर पर जांच और सत्यापन किया, ताकि केवल वही नाम वोटर लिस्ट में बने रहें जिनका अस्तित्व और पता पूरी तरह प्रमाणित हो. मृत लोगों के नाम, डुप्लीकेट एंट्री और पता बदल चुके मतदाताओं के नाम काटे गए हैं. 

मृत व्यक्तियों के कट गए नाम

चुनाव आयोग का पहला और सबसे बड़ा आधार मृत व्यक्तियों के नाम हटाना है. कई बार परिवारजन मृत्यु के बाद मतदाता सूची में नाम कटवाने की औपचारिकता पूरी नहीं करते. परिणामस्वरूप मृत लोगों के नाम लिस्ट में बने रहते हैं. ऐसे नाम न केवल लिस्ट को भारी बनाते हैं बल्कि कभी-कभी इनसे फर्जी वोटिंग की आशंका भी बढ़ जाती है. इसीलिए एसआईआर के दौरान मृत व्यक्तियों के रिकॉर्ड को स्थानीय निकाय और रजिस्ट्रार से मिलान कर उनकी पहचान की गई. आयोग का मानना है कि जब तक मृतकों के नाम हटाए नहीं जाएंगे, तब तक वोटर लिस्ट पूरी तरह शुद्ध और भरोसेमंद नहीं हो सकती. 

एक से ज्यादा जगह पर थे जिनके नाम उन्हें हटाया गया

दूसरा प्रमुख कारण मतदाता सूची में डुप्लीकेट नाम होना है. कई बार लोग नौकरी, पढ़ाई या अन्य कारणों से दूसरी जगह शिफ्ट हो जाते हैं और वहां भी नाम जुड़वा लेते हैं. नतीजा यह होता है कि एक ही व्यक्ति के नाम दो या अधिक जगह दर्ज हो जाते हैं. यह स्थिति लोकतांत्रिक प्रक्रिया की निष्पक्षता पर सवाल खड़े कर सकती है, क्योंकि एक मतदाता एक से ज्यादा जगह वोट देने की कोशिश कर सकता है. एसआईआर अभियान के तहत ऐसे डुप्लीकेट नामों को खोजने के लिए सॉफ़्टवेयर आधारित मिलान और फील्ड वेरिफिकेशन दोनों किए गए. जांच में पाए गए दोहराए गए नामों को तुरंत हटा दिया गया।

जिनके बदल गए एड्रेस उनका भी कट गया नाम 

तीसरा बड़ा कारण पता बदलना है. अक्सर लोग एक विधानसभा क्षेत्र से दूसरे क्षेत्र या किसी अन्य जिले और राज्य में स्थायी रूप से शिफ्ट हो जाते हैं. लेकिन कई बार वे पुराने क्षेत्र की वोटर लिस्ट से नाम कटवाना भूल जाते हैं. इससे मतदाता सूची में ऐसे नाम बने रहते हैं जो अब उस क्षेत्र के पात्र मतदाता नहीं हैं. चुनाव आयोग ने एसआईआर प्रक्रिया में ऐसे नामों की पहचान की और उन्हें सूची से हटाया. आयोग का तर्क है कि मतदाता जहां वर्तमान में रह रहे हैं, उन्हें वहीं नए सिरे से पंजीकरण कराना चाहिए ताकि वोटर लिस्ट क्षेत्रवार सटीक और अद्यतन बनी रहे.

अभी भी है मौका, कैसे करवा जोड़ सकते हैं नाम? 

चुनाव आयोग के अनुसार, अगर आपका नाम किसी भी वजह से वोटर लिस्ट में नहीं है और मतदाता होने की सारी शर्तें पूरी करते हैं तो चुनाव में नामांकन की तारीख के 10 दिनों के पहले तक आप नाम जुड़वा सकते हैं. अगर आपके नाम का मतदाता पहचान पत्र जारी नहीं हुआ है या नहीं हुआ तो भी अन्य आईडी कार्ड के जरिये चुनाव में वोट डाल सकते हैं. चुनाव आयोग के पोर्टल https://voters.eci.gov.in/ पर जाकर सत्यापन प्रक्रिया पूरी करनी होती है. अगर आप ऑनलाइन आवेदन को लेकर सहज नहीं हैं तो बूथ लेवल अफसर से भी संपर्क साध सकते हैं. आपकी एप्लीकेशन का स्टेटस भी आपको पोर्टल पर मिलती रहेगी.

ये भी पढ़ें-: बिहार वोटर लिस्ट में नहीं है नाम? ऑनलाइन या ऑफलाइन ऐसे जुड़वाएं, डायल करें ये हेल्पलाइन नंबर

NDTV.in पर ताज़ातरीन ख़बरों को ट्रैक करें, व देश के कोने-कोने से और दुनियाभर से न्यूज़ अपडेट पाएं

फॉलो करे:
Listen to the latest songs, only on JioSaavn.com