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तो मैं काम छोड़ दूंगा... तेजस्वी यादव को प्रशांत किशोर ने दिया 'GDP' वाला चैलेंज

प्रशांत किशोर ने तेजस्वी पर हमला करते हुए कहा है कि तेजस्वी यादव की पहचान सिर्फ यही है कि वे लालू यादव के बेटे हैं. क्रिकेट खेलने गये तो पानी पिलाते थे.

तो मैं काम छोड़ दूंगा...  तेजस्वी यादव को प्रशांत किशोर ने दिया 'GDP' वाला चैलेंज
पटना:

बिहार विधानसभा चुनाव में अपनी जमीन तलाश रहे चुनावी राजनीतिक रणनीतिकार प्रशांत किशोर बिहार की राजनीति में एंट्री लेने वाले हैं. इसी बीच उन्होंने राष्ट्रीय जनता दल के नेता व बिहार के पूर्व उप मुख्यमंत्री तेजस्वी यादव पर निशाना साधते हुए कहा है कि उन्हें बिहार की बिल्कुल समझ नहीं हैं. 

तेजस्वी पर PK का हमला

प्रशांत किशोर ने तेजस्वी पर हमला करते हुए कहा है कि तेजस्वी यादव की पहचान सिर्फ यही है कि वे लालू यादव के बेटे हैं. क्रिकेट खेलने गये तो पानी पिलाते थे. अभी भी सारे सलाहकारों से राय लेकर भी GDP का मतलब नहीं बता सकते. नौंवी फेल आदमी क्या कर सकता है?

2 अक्टूबर को बनेगी पार्टी

प्रशांत किशोर बिहार चुनाव से पहले राजनीतिक पार्टी बनाने जा रहे हैं. उन्होंने कहा है कि उनकी पार्टी आगामी बिहार विधानसभा चुनाव में सभी 243 सीट पर चुनाव लड़ेगी. पूर्णिया जिले में आयोजित एक संवाददाता सम्मेलन को संबोधित करते हुए किशोर ने कहा कि राज्य में कम से कम एक करोड़ लोगों के सक्रिय समर्थन से पार्टी का गठन दो अक्टूबर को किया जाएगा और इसे किसी से गठबंधन करने की कोई आवश्यकता नहीं होगी.

उन्होंने कहा, ‘‘मैं स्पष्ट कर दूं कि जन सुराज सभी 243 सीट पर चुनाव लड़ेगी, इससे एक भी कम नहीं.''

कौन हैं प्रशांत किशोर?

इंडियन पॉलिटिकल एक्शन कमेटी (आईपीएसी) के संस्थापक किशोर पूर्व में प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी, बिहार के मुख्यमंत्री नीतीश कुमार और आम आदमी पार्टी के संस्थापक अरविंद केजरीवाल जैसे विभिन्न नेताओं के चुनाव अभियानों को संभाल चुके हैं. उन्होंने बिहार में शराबबंदी कानून के बारे में कहा कि पार्टी की सरकार बनने के एक घंटे के भीतर प्रदेश से शराब पर लगी रोक हटा दी जाएगी.

किशोर ने कहा कि बिहार की दुर्दशा के लिए वह नीतीश कुमार और उनके पूर्ववर्ती लालू प्रसाद को मुख्य रूप से जिम्मेदार मानते हैं, हालांकि कांग्रेस और भाजपा भी इसमें दोषी हैं. उन्होंने आरोप लगाया, ‘‘कांग्रेस ने लालू प्रसाद के गलत कार्यो के प्रति आंखें मूंद लीं क्योंकि उनकी राजद पिछली संप्रग सरकार की अहम सहयोगी थी. इससे उन्हें सत्ता में बने रहने में मदद मिली, हालांकि राजद के पास कभी भी विधानसभा में बहुमत नहीं था.''

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