एक हफ़्ते में चार प्रवासी मज़दूरों की श्रीनगर और उसके आसपास के इलाक़े में हत्या के बाद ना केवल प्रभावित परिवार बल्कि इन सभी परिवारों के लोग सदमे में और भयभीत हैं जिनके घर का कोई ना कोई सदस्य जीवनयापन के लिए कश्मीर में काम कर रहा है. सोमवार को मुख्यमंत्री नीतीश कुमार ने खुद आगे आकर अपील कि निहत्थे लोगों को निशाना बनाना सही नहीं है. सोमवार को श्रीनगर में आंतकवादी घटनाओं के शिकार ये तीनों परिवारों के लोग मातम में थे. जहां बांका के अरविंद साह के परिवार वाले उनका शव आने के बाद अंतिम संस्कार किया वहीं रविवार शाम जोगिन्दर ऋषिदेव और चुनचुन ऋषिदेव के परिवार वाले रो रो कर आपबीती बता रहे थे.
हालांकि, अधिकांश परिवार वालों का कहना है कि चूंकि स्थानीय स्तर पर काम नहीं मिल रहा था इसलिए पलायन करने के अलावा और कोई विकल्प नहीं था. एक के बाद एक चार श्रमिकों की हत्या के बाद मुख्यमंत्री नीतीश कुमार, जो विपक्ष के निशाने पर हैं, उन्होंने फिर कहा कि श्रमिकों को टार्गेट करना ठीक नहीं.
उन्होंने कहा, 'जम्मू-कश्मीर में निशाना बनाकर हाल में की गयी हत्या की वारदातों से निश्चित रूप से वहां डर का माहौल कायम हुआ है.'
उन्होंने कहा, 'बिहार के जो लोग जम्मू-कश्मीर में हैं, उनको लाने के बारे में बातचीत कर रहे हैं. हमारे शीर्ष अधिकारीगण इस बारे में वहां के अधिकारियों से बात कर रहे हैं. निरंतर संपर्क में हैं. जो भी आएगा, उसको घर तक पहुंचाने के अलावा और जो मदद दे सकते हैं, इस बारे में करेंगे.'
सीएम ने इसके साथ ही कहा,' किसी को भी बाहर जाने का अधिकार है. कई लोग वहां काम कर रहे हैं. गरीबगुरबा तबका है. जो हालात हैं उसे देखते हुए सचेत रहना होगा.' उन्होंने कहा कि हर आदमी को स्वतंत्रता है, कहीं भी, किसी दूसरे राज्य में काम करना चाहता है तो आजादी है. पूरा देश एक है.
फ़िलहाल इन घटनाओं के बाद श्रमिकों का कश्मीर में काम तलाशना अब अंतिम विकल्प होगा.
कश्मीर में बिहार के लोगों की हत्या पर गर्माई सियासत
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