प्रतीकात्मक फोटो.
पटना:
बिहार सरकार ने बृहस्पतिवार को कई महत्वपूर्ण फैसले लिए. इनमें से एक फैसले के तहत राज्य में भीड़ द्वारा हत्या या अवैध दंड के पीड़ितों या उनके परिवार को घटना के एक महीने के अंदर एक लाख रुपये का मुआवजा दिया जाएगा. यह महत्वपूर्ण फैसला राज्य कैबिनेट ने लिया है. इन मामलों का छह महीने के अंदर फास्ट ट्रैक कोर्ट से निष्पादन करने का भी फैसला लिया गया है.
कैबिनेट की बैठक के बाद पत्रकारों को बताया गया कि सर्वोच्च न्यायालय ने हाल के दिनों में ऐसे मामलों के जल्द निष्पादन के साथ-साथ मुआवजे की नीति बनाने का निर्देश दिया था. यह फैसला इसी का अनुपालन करने के लिए राज्य सरकार ने लिया है. राज्य सरकार इस फैसले को लागू करने के लिए फास्ट ट्रैक कोर्ट का भी गठन करेगी जिससे ट्रायल छह महीने के अंदर ख़त्म हो जाए. बिहार सरकार ने मृतक के परिवार को तीन लाख की सहायता देने का निर्णय भी लिया है, लेकिन वह ट्रायल खत्म होने के उपरांत दिया जाएगा.
VIDEO : भैंस चोरी होने पर भीड़ का हमला
बिहार में हाल के दिनों में मॉब लिंचिंग की घटनाओं में बेतहाशा वृद्धि हुई है. पिछले एक हफ्ते के दौरान राज्य में अलग-अलग घटनाओं में आठ लोगों की भीड़ द्वारा पीट पीटकर हत्या कर दी गई. राज्य सरकार का कहना है कि ये सारे फैसले सर्वोच्च न्यायालय के आदेश के अनुरूप किए गए हैं. दूसरी तरफ इस निर्णय के बाद कई लोगों ने यह सवाल उठाया है कि अपहरण और हत्या जैसे अपराधों को अंजाम देने के लिए आने वालों की हत्या अगर भीड़ द्वारा की जाती है तो क्या उन्हें भी मुआवजा देना सही है? खासकर ऐसे मृतक जिनके ऊपर कई मामले लंबित हों.
कैबिनेट की बैठक के बाद पत्रकारों को बताया गया कि सर्वोच्च न्यायालय ने हाल के दिनों में ऐसे मामलों के जल्द निष्पादन के साथ-साथ मुआवजे की नीति बनाने का निर्देश दिया था. यह फैसला इसी का अनुपालन करने के लिए राज्य सरकार ने लिया है. राज्य सरकार इस फैसले को लागू करने के लिए फास्ट ट्रैक कोर्ट का भी गठन करेगी जिससे ट्रायल छह महीने के अंदर ख़त्म हो जाए. बिहार सरकार ने मृतक के परिवार को तीन लाख की सहायता देने का निर्णय भी लिया है, लेकिन वह ट्रायल खत्म होने के उपरांत दिया जाएगा.
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बिहार में हाल के दिनों में मॉब लिंचिंग की घटनाओं में बेतहाशा वृद्धि हुई है. पिछले एक हफ्ते के दौरान राज्य में अलग-अलग घटनाओं में आठ लोगों की भीड़ द्वारा पीट पीटकर हत्या कर दी गई. राज्य सरकार का कहना है कि ये सारे फैसले सर्वोच्च न्यायालय के आदेश के अनुरूप किए गए हैं. दूसरी तरफ इस निर्णय के बाद कई लोगों ने यह सवाल उठाया है कि अपहरण और हत्या जैसे अपराधों को अंजाम देने के लिए आने वालों की हत्या अगर भीड़ द्वारा की जाती है तो क्या उन्हें भी मुआवजा देना सही है? खासकर ऐसे मृतक जिनके ऊपर कई मामले लंबित हों.
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