
- बिहार में चुनाव से पहले राजनीतिक यात्राओं का एक इतिहास रहा है. चुनाव में इन यात्राओं का असर भी दिखा है.
- राहुल गांधी की वोटर अधिकार यात्रा के बीच राजद ने पटना में 'तेजस्वी संदेश रथ' को हरी झंडी दिखाकर रवाना किया.
- सीएम नीतीश कुमार ने चुनाव प्रचार के लिए हरियाणा से रथ मंगवाया है, वहीं 100 से अधिक टीमें भी बनाई हैं.
राजनीति में यात्राओं का लंबा इतिहास रहा है और इसका बड़ा असर भी देखा गया है. राष्ट्रीय स्तर पर बात करें तो कांग्रेस के दावों के मुताबिक, राहुल गांधी की भारत जोड़ो न्याय यात्रा के बाद कांग्रेस को 6 राज्यों में 30 फीसदी से ज्यादा वोट मिले थे. अब उन्हीं राहुल गांधी ने बिहार में SIR को 'चुनावी हथियार' के तौर पर इस्तेमाल किया और वोटर अधिकार यात्रा निकाली है. ये यात्रा मगध और अंग के बाद अब सीमांचल में है.
इस यात्रा में नेता प्रतिपक्ष राहुल गांधी (लोकसभा) के साथ, नेता विपक्ष तेजस्वी यादव (बिहार विधानसभा) भी साथ हैं. वहीं दूसरी ओर पटना में राजद ने 'तेजस्वी रथ संदेश' को रवाना किया. शुक्रवार को राबड़ी आवास, 10 सर्कुलर रोड से लालू यादव ने इस रथ को हरी झंडी दिखाई, जिसके जरिये पार्टी की नीतियों का प्रचार-प्रसार किया जाएगा.
कुछ दिनों से सीएम नीतीश कुमार का 'निश्चय रथ' भी चर्चा में है, जो हरियाणा से बनकर आया है. बताया गया है कि इसी रथ से नीतीश चुनाव प्रचार करेंगे. जदयू ने प्रचार-प्रसार के लिए 100 टीमों को भी मैदान में उतारा है. टीम के सदस्य अलग-अलग वर्ग से फीडबैक लेंगे और वोट बैंक बढ़ाने की कोशिश करेंगे. पीछे झांककर देखें तो नीतीश 2005 में पहली बार सरकार बनाने के बाद से कई यात्राएं निकाल चुके हैं.
जानकार मानते हैं कि लोगों को अपने पक्ष में करने और अपना वोट बैंक बढ़ाने के लिए इन यात्राओं का अच्छा-खासा असर होता है.
तेजस्वी का संदेश रथ
तेजस्वी की अनुपस्थिति में ही लालू प्रसाद यादव ने 'तेजस्वी संदेश रथ' रवाना कर दिया है. उन्होंने कहा, 'ये गांव-गांव जाकर राजद की नीतियों का प्रचार करेगा. खास तौर से महागठबंधन सरकार में 17 महीने के फैसलों और विकास कार्यों के बारे में बताएगा. ये भी अपील की जाएगी कि एक बार फिर महागठबंधन की सरकार बनाएं, सभी के साथ न्याय होगा, उनके हक और अधिकार में काम किए जाएंगे.' वहीं प्रदेश अध्यक्ष मंगनीलाल मंडल ने कहा कि तेजस्वी यादव ने जो घोषणाएं की थी, उनमें से कई को सीएम नीतीश ने जल्दबाजी में लागू किया है. अब तेजस्वी संदेश रथ' जिले–जिले घूमकर तेजस्वी का विजन बताएगा.

सीएम नीतीश का मास्टर प्लान
नीतीश कुमार ने हरियाणा से जो रथ बनवाकर मंगवाया है, उससे वो चुनाव प्रचार करेंगे. वहीं लोगों से संवाद अलग-अलग 100 टीमें तैयार की गई हैं. युवाओं के साथ संवाद के लिए 21 टीमें, जबकि महिलाओं से संवाद के लिए महिला जदयू की 40 टीमें और अति पिछड़ा वर्ग से संवाद के लिए भी कई टीमें बनाई गई हैं.
साल 2005 में सरकार बनाने के बाद से नीतीश कुमार कई यात्राएं निकाल चुके हैं, जिनके तहत जिलों में रैलियां और जनता से संवाद कार्यक्रम हुए. इनमें कुछ यात्राएं चुनावी थीं तो कुछ प्रशासनिक यात्राएं थीं. हालांकि दोनों के उद्देश्य एक जैसे थे.

नीतीश कुमार की ये यात्राएं मात्र चुनावी रैलियों से बढ़कर थीं. इनमें जनता से सीधा संवाद, विकास कार्यों की समीक्षा, और योजनाओं का मूल्यांकन होता रहा. मगध से लेकर मिथिला तक और अंग से लेकर सीमांचल तक, कई बार ये यात्राएं व्यापक पैमाने पर हुईं. ये यात्राएं उनके सत्ता में टिके रहने के साथ-साथ विकास एजेंडे को भी आगे बढ़ाने में मददगार रहीं.
फिलहाल इन यात्राओं के जरिये पार्टियां अपने जमीन मजबूत करने में जुटी है. देखना दिलचस्प होगा कि 2025 बिहार विधानसभा में किस यात्रा का कितना असर होता है.
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