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परिवार एक, राहें अलग... शिवहर के पूर्व सांसद के दो बेटों में 'राजनीतिक जंग', बिहार चुनाव की ये कहानी है खास

ढाका में मुस्लिम वोटरों की अधिक संख्या को देखते हुए राणा रंजीत सिंह, जो राजपूत समाज से आते हैं, उन्होंने मुस्लिम मतदाताओं के बीच अपनी अच्छी पकड़ बना ली है, जिससे वह काफी लोकप्रिय हो गए हैं.

परिवार एक, राहें अलग... शिवहर के पूर्व सांसद के दो बेटों में 'राजनीतिक जंग', बिहार चुनाव की ये कहानी है खास
  • बिहार चुनाव में शिवहर के पूर्व सांसद स्वर्गीय सीताराम सिंह के दोनों बेटे अलग-अलग सीटों से चुनाव लड़ रहे हैं.
  • बड़े बेटे राणा रणधीर सिंह भाजपा के उम्मीदवार के रूप में मधुबन विधानसभा क्षेत्र से चुनाव में हिस्सा लेंगे.
  • राणा रंजीत सिंह ऑल इंडिया मजलिस-ए-इत्तेहादुल मुस्लिमीन के टिकट पर ढाका विधानसभा सीट से चुनाव लड़ रहे हैं.
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शिवहर:

बिहार विधानसभा चुनाव में इस बार शिवहर के पूर्व सांसद स्वर्गीय सीताराम सिंह के दोनों बेटों का अलग-अलग विधानसभा सीटों से किस्मत आजमाना पूरे इलाके में चर्चा का केंद्र बना हुआ है. बड़े बेटे राणा रणधीर सिंह, जो पूर्व में बिहार सरकार के मंत्री रह चुके हैं, वह इस बार भी BJP के उम्मीदवार के तौर पर मधुबन से चुनाव लड़ेंगे, जिसकी घोषणा आज पार्टी ने कर दी है. दूसरी ओर, उनके छोटे भाई राणा रंजीत सिंह ऑल इंडिया मजलिस-ए-इत्तेहादुल मुस्लिमीन (AIMIM) के टिकट पर ढाका विधानसभा से ताल ठोक रहे हैं और उन्होंने आज अपना नामांकन दाखिल किया है, जहां समर्थकों की भारी भीड़ उमड़ी.

जब राजनीतिक दूरियां बढ़ गईं...

राणा रंजीत सिंह ने नामांकन के दौरान सर्वधर्म सद्भाव का संदेश देते हुए माथे पर तिलक के साथ उज्जवल टोपी और लाल गमछा पहना था. राजनीतिक रूप से दोनों भाइयों की राहें तब अलग हो गईं, जब पिछले लोकसभा चुनाव में विधायक राणा रणधीर सिंह ने अपनी गठबंधन सहयोगी JDU उम्मीदवार लवली आनंद के पक्ष में जमकर प्रचार किया और उन्हें मधुबन से 1000 वोटों की बढ़त भी दिलाई, जबकि अपने भाई राणा रंजीत सिंह (जो उस समय भी ओवैसी की पार्टी से चुनाव लड़े थे) के पक्ष में प्रचार नहीं किया था, जिसके बाद दोनों की राजनीतिक दूरियां बढ़ गईं.

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ढाका में मुस्लिम वोटरों की अधिक संख्या को देखते हुए राणा रंजीत सिंह, जो राजपूत समाज से आते हैं, उन्होंने मुस्लिम मतदाताओं के बीच अपनी अच्छी पकड़ बना ली है, जिससे वह काफी लोकप्रिय हो गए हैं. राजनीतिक पंडितों का मानना है कि जहां एक भाई BJP के कोर वोटरों में पैठ बनाए हुए है, वहीं दूसरा भाई अपनी अलग राह पर चलते हुए एक नए सामाजिक समीकरण को साध रहा है.

स्वर्गीय सीताराम सिंह मधुबन के बारे में

उल्लेखनीय है कि इनके पिता स्वर्गीय सीताराम सिंह मधुबन के बंजरिया गांव निवासी थे और वर्ष 1985 से 2004 तक लगातार मधुबन के विधायक और बिहार सरकार में मंत्री रहे थे और 2004 में शिवहर से सांसद भी बने थे. दोनों भाई अपने पिता की राजनीतिक विरासत को अलग-अलग दलों के माध्यम से आगे बढ़ा रहे हैं, जिससे दोनों के बीच मुकाबला दिलचस्प हो गया है.
 

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