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बिहार चुनाव: 35 साल से लगातार विधायक बन रहे मंत्री बिजेंद्र प्रसाद यादव, सुपौल से इस बार भी मैदान में

Supaul Assembly Seat Profile: सुपौल से नीतीश कुमार के खास बिहार सरकार के मंत्री बिजेंद्र प्रसाद यादव साल 2000 से लगातार जदयू के टिकट पर विधायक बनते आए हैं. इस बार भी बिजेंद्र प्रसाद यादव चुनावी मैदान में हैं. मंगलवार 14 अक्टूबर को उन्होंने अपना नामांकन पत्र भी दाखिल कर दिया है.

बिहार चुनाव: 35 साल से लगातार विधायक बन रहे मंत्री बिजेंद्र प्रसाद यादव, सुपौल से इस बार भी मैदान में
14 अक्टूबर को सुपौल विधानसभा सीट से नामांकन पर्चा दाखिल करते जदयू के कद्दावर नेता और मंत्री बिजेंद्र प्रसाद यादव.
  • सुपौल विधानसभा सीट पर मतदान 6 को होगा और वोटों की गिनती 14 नवंबर को होगी.
  • सुपौल से JDU के बिजेंद्र प्रसाद यादव लगातार 35 साल से विधायक हैं. वो इस बार भी चुनाव लड़ रहे हैं.
  • 2020 में बिजेंद्र प्रसाद यादव ने कांग्रेस के उम्मीदवार को 28 हजार से अधिक वोटों से हराया था.
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सुपौल:

Bihar Assembly Elections 2025: बिहार विधानसभा चुनाव की रणभेरी बज चुकी है. राज्य में दो चरण में 6 और 11 नवंबर को मतदान होना है. वोटों की गिनती 14 नवंबर को होगी. बिहार चुनाव में इस बार मुख्य मुकाबला सत्ताधारी NDA गठबंधन और विपक्षी दलों के इंडिया गठबंधन के बीच होना है. हालांकि इन दोनों मुख्य सियासी गठबंधनों के अलावा प्रशांत किशोर की पार्टी जन सुराज, असदुद्दीन ओवैसी की पार्टी AIMIM, तेज प्रताप की जनशक्ति जनता दल (JJP) सहित कई अन्य राजनीतिक दल भी मैदान में हैं. बिहार में विधानसभा की कुल 243 सीटें हैं. जिसमें सुपौल विधानसभा (Supaul Assembly Seat) भी एक है. सुपौल बिहार के सीमांचल इलाके का एक जिला है. जिसका एक बड़ा हिस्सा साल के कई महीनों तक बाढ़ की जद में रहता है. सालों तक यह राज्य के पिछड़े इलाकों में शुमार किया जाता रहा. लेकिन बीते कुछ सालों में सुपौल की विकास ने रफ्तार पकड़ी है.

सुपौल JDU के बिजेंद्र प्रसाद यादव का गढ़

बात सुपौल विधानसभा सीट की राजनीति की करें तो यह मुख्यमंत्री नीतीश कुमार की पार्टी JDU का एक गढ़ माना जाता है. सुपौल से नीतीश कुमार के खास बिहार सरकार के मंत्री बिजेंद्र प्रसाद यादव साल 2000 से लगातार जदयू के टिकट पर विधायक बनते आए हैं. इस बार भी बिजेंद्र प्रसाद यादव चुनावी मैदान में हैं. मंगलवार 14 अक्टूबर को उन्होंने अपना नामांकन पत्र भी दाखिल कर दिया है.

सुपौल सीट का राजनीतिक इतिहास

देश की आजादी के बाद सुपौल कई सालों तक कांग्रेस का गढ़ रही. सुपौल में पहली बार 1952 में मतदान हुआ, जब कांग्रेस के लहटन चौधरी विजयी रहे. 1967 से 1972 तक यह सीट कांग्रेस के पास रही. हालांकि 1990 से सुपौल से लगातार बिजेंद्र प्रसाद यादव ने विधायक बनते आए. साल 1990 में बिजेंद्र प्रसाद यादव जनता दल के टिकट पर पहली बार इस सीट पर जीत हासिल की, तब से उनकी जीत का सिलसिला कायम है.

1990 और 1995 में वे जनता दल से विधायक चुने गए. हालांकि, 2000 में वे पहली बार जदयू के टिकट से विधायक चुने गए. फिर 2005, 2010, 2015 और 2020 में भी बिजेंद्र प्रसाद यादव सुपौल से विधायक बने. मतलब सपौल की जनता बीते 35 साल से बिजेंद्र प्रसाद को अपना विधायक चुनती आ रही है. वो इस बार भी मैदान में हैं.

मुख्यमंत्री नीतीश कुमार के साथ मंत्री बिजेंद्र प्रसाद यादव.

मुख्यमंत्री नीतीश कुमार के साथ मंत्री बिजेंद्र प्रसाद यादव.

2020 में 28 हजार से अधिक वोटों से जीते थे मंत्री बिजेंद्र प्रसाद यादव

चुनाव आयोग के अनुसार, 2020 विधानसभा चुनाव में बिजेंद्र प्रसाद यादव ने कांग्रेस के मिन्नतुल्लाह रहमानी को 28,099 वोटों से हराया. उस चुनाव में जदयू का वोट प्रतिशत 50 से अधिक था, जबकि कांग्रेस को 33 प्रतिशत से अधिक मत मिले थे. अब देखना होगा कि इस बार सुपौल सीट महागठबंधन के खाते में किस पार्टी को जाता है और यहां से दूसरे खेमे का उम्मीदवार कौन होता है.

सुपौल में 3 लाख से अधिक वोटर, मुस्लिम, यादव और अनुसूचित जाति की संख्या अधिक

चुनाव आयोग के अनुसार, 2020 के विधानसभा चुनाव में सुपौल सीट पर कुल 2,88,703 मतदाता थे, जो 2024 के लोकसभा चुनाव तक बढ़कर 3,07,471 हो गए. 2020 के विधानसभा चुनाव में मतदान प्रतिशत 59.55% रहा. इस सीट के निर्णायक मतदाताओं में मुस्लिम समुदाय की हिस्सेदारी 20% से अधिक, यादव समुदाय 16.5%, अनुसूचित जाति 13.15%, और शहरी मतदाता 15.05% हैं.

बताया जा रहा है कि यह क्षेत्र वैदिक काल से मिथिलांचल का हिस्सा रहा है. कोसी नदी जिले के बीच से बहती है और बाढ़ के दौरान यहां का अधिकांश हिस्सा प्रभावित होता है.

विशेष सहायता प्राप्त जिलों में शामिल है सुपौल

सुपौल के आर्थिक और सामाजिक परिदृश्य पर नजर डालें तो यह क्षेत्र कृषि पर निर्भर है, जहां धान, मक्का और पटुवा प्रमुख फसलें हैं. हालांकि, क्षेत्र को सबसे अधिक नुकसान बाढ़ के कारण होता है. यहां औद्योगिक विकास सीमित है. 2006 में पंचायती राज मंत्रालय ने सुपौल को भारत के 250 सबसे पिछड़े जिलों में शामिल किया, जिसके चलते इसे विशेष सहायता भी मिली.

बिजेंद्र प्रसाद मजबूत, महागठबंधन के उम्मीदवार से तय होगी आगे की रणनीति

NDA के मजबूत गठबंधन और विपक्ष के 'इंडिया गठबंधन' के बीच सुपौल में आगामी चुनावी मुकाबला रोचक होने की उम्मीद है. हालांकि, बिजेंद्र यादव की स्थापित लोकप्रियता और जदयू का मजबूत आधार निरंतरता की ओर इशारा करते हैं, लेकिन विपक्षी एकजुटता नई चुनौतियां पेश कर सकती है. सुपौल से अभी महागठबंधन के उम्मीदवार की घोषणा नहीं हुई है. महागठबंधन के उम्मीदवार की घोषणा यहां की राजनीति का किस करवट मोड़ लेती है, यह देखने वाली बात होगी.

(सुपौल से अभिषेक मिश्रा की रिपोर्ट)

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