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कांग्रेस को कैसे आई सीताराम केसरी की याद, पढ़िए पूरी इनसाइड स्टोरी

पीएम के बयान पर सीताराम केसरी के नाती राकेश केसरी ने कहा कि किसी को भी उनके नाम पर राजनीति नहीं करनी चाहिए. पुरानी बातों को लेकर उन्होंने कहा कि हम राहुल गांधी की कांग्रेस को देख रहे हैं.

कांग्रेस को कैसे आई सीताराम केसरी की याद, पढ़िए पूरी इनसाइड स्टोरी
सीताराम केसरी को लेकर कांग्रेस-बीजेपी में दिख रही टकरार
  • सीताराम केसरी की पच्चीसवी पुण्यतिथि पर कांग्रेस मुख्यालय में श्रद्धांजलि अर्पित की।
  • राकेश केसरी ने कहा कि यह कार्यक्रम बिहार चुनाव से पहले नौ महीने की कोशिश के बाद आयोजित किया गया था।
  • सीताराम केसरी पिछड़ी जाति से थे और 1996 में उन्हें कांग्रेस अध्यक्ष बनाया गया था।
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नई दिल्ली:

बिहार के चुनावी माहौल के बीच कांग्रेस को अपने पूर्व राष्ट्रीय अध्यक्ष सीताराम केसरी की याद क्या आई मामला सियासी हो गया. सीताराम केसरी की पच्चीसवीं पुण्यतिथि के मौके पर कांग्रेस मुख्यालय में उन्हें श्रद्धांजलि दी गई जिसमें मुख्य रूप से राहुल गांधी पहुंचे. राहुल गांधी ने सीताराम केसरी की तस्वीर पर फूल चढ़ाए. इस दौरान सीताराम केसरी के नाती राकेश केसरी भी मौजूद थे. माना गया कि बिहार और खास तौर पर पिछड़े समाज को संदेश देने के लिए कांग्रेस ने यह क़दम उठाया. 

राकेश केसरी ने एनडीटीवी को बताया कि सीताराम केसरी की 25 वीं पुण्यतिथि के मौके पर कार्यक्रम आयोजित करने के लिए उन्होंने कुछ दिनों पहले राहुल गांधी, सोनिया गांधी और कांग्रेस अध्यक्ष को पत्र लिखा था. इसके बाद कांग्रेस नेता गुरदीप सप्पल ने उनसे संपर्क किया और पार्टी की रजामंदी की जानकारी दी.  इस कार्यक्रम को बिहार चुनाव से जोड़ कर देखे जाने पर राकेश केसरी ने कहा कि पच्चीसवीं पुण्यतिथि का मौक़ा ख़ास था इसलिए मैं नौ महीने से इसके लिए कोशिश कर रहा था, तब बिहार विधानसभा चुनाव की तारीखों का अंदाजा भी नहीं था. 

बिहार की राजधानी पटना से सटे दानापुर में जन्मे सीताराम केसरी पिछड़ी जाति से ताल्लुक रखते थे. पीवी नरसिम्हा राव के प्रधानमंत्री बनने के बाद केसरी को सितंबर 1996 में कांग्रेस का राष्ट्रीय अध्यक्ष बनाया गया था.  मार्च 1998 में कांग्रेस वर्किंग कमिटी ने उनकी जगह सोनिया गांधी को पार्टी अध्यक्ष चुन लिया. आरोप लगाया जाता है अध्यक्ष पद से हटाए जाने के बाद सीताराम केसरी के साथ बदसलूकी की गई. इसका जिक्र कांग्रेस पर निशाना साधने के लिए के लिए विरोधी नेता करते आए हैं वरना कांग्रेस ने तो सीताराम को भुला ही दिया था. 

बिहार की रैली में पीएम मोदी ने भी केसरी के अपमान की याद दिला कर कांग्रेस को घेरा. हालांकि, कांग्रेस सांसद और सीताराम केसरी के राजनीतिक सचिव रहे तारिक अनवर ने एनडीटीवी से बात करते हुए कहा कि सीडब्ल्यूसी की बैठक के बाद केसरी अपने घर चले गए थे, बदसलूकी की बातें अफ़वाह हैं. 

पीएम के बयान पर सीताराम केसरी के नाती राकेश केसरी ने कहा कि किसी को भी उनके नाम पर राजनीति नहीं करनी चाहिए. पुरानी बातों को लेकर उन्होंने कहा कि हम राहुल गांधी की कांग्रेस को देख रहे हैं. हमारा नजरिया सकारात्मक है. पहले क्या हुआ उसमें नहीं पड़ना चाहिए. 

पार्टी अध्यक्ष के रूप में केसरी का कार्यकाल और अंत विवादित रहा लेकिन वो लंबे समय तक पार्टी के कोषाध्यक्ष भी थे. तब उनकी ईमानदारी और ख़र्चों पर लगाम लगाने के किस्से कांग्रेस नेता आज भी सुनाते हैं. उस दौर में उनको लेकर एक कहावत कही जाती थी, "ना खाता ना बही, जो चचा केसरी कहें वही सही"! यानी केसरी का जुबानी हिसाब, बही–खाते से भी पक्का रहता था. 

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