
बिहार विधानसभा चुनाव की राजनीतिक सरगर्मी अब झारखंड के गढ़वा जिले तक पहुंच गई है. दीपावली के दिन, सासाराम से आरजेडी प्रत्याशी सत्येंद्र साह की गिरफ्तारी ने राजनीतिक हलकों में हलचल मचा दी है. उनका नाम बिहार और झारखंड के सीमावर्ती जिलों के अधिकारियों के बीच हुई इंटर-स्टेट मीटिंग में सामने आया था, जिसमें दोनों राज्यों ने एक-दूसरे को कुछ वारंटी की सूची सौंपी थी. इस लिस्ट में सत्येंद्र साह का भी नाम था, जिसके बाद बिहार पुलिस ने सासाराम से उन्हें गिरफ्तार कर गढ़वा पुलिस को सौंप दिया. गिरफ्तार प्रत्याशी पर अब तक 37 मामले कई थानों मे दर्ज किए गए हैं, जिसमें एक साल 2004 में बैंक डकैती का मामला भी है.
समर्थक बता रहे चुनावी प्रतिशोध
अब गढ़वा में हर चौक-चौराहे पर यह चर्चा का विषय बन चुका है. सैकड़ों की संख्या में बिहार के विभिन्न हिस्सों से उनके समर्थक गढ़वा पहुंच रहे हैं और जेल के बाहर उनके साथ मुलाकात कर राजनीतिक रणनीतियां बना रहे हैं. समर्थकों का मानना है कि यह गिरफ्तारी राजनैतिक प्रतिशोध का हिस्सा हो सकती है और इसका चुनावी प्रभाव भी पड़ सकता है.
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नेताओं ने उठाए सवाल
इस गिरफ्तारी को लेकर राजनीतिक दलों में तीखी प्रतिक्रियाएं सामने आ रही हैं. बीजेपी जिला अध्यक्ष ठाकुर प्रसाद महतो ने कहा कि बिहार में जेएमएम को विधानसभा चुनाव में टिकट न मिलने के बाद, झारखंड की हेमंत सोरेन सरकार ने यह कदम उठाकर राजनीतिक दबाव बनाने की कोशिश की है. हालांकि उन्होंने माना कि यह एक न्यायिक प्रक्रिया का भी हिस्सा हो सकता है.
बिहार और झारखंड की सीमाओं के पास स्थित गढ़वा जिले में सत्येंद्र साह के समर्थक लगातार जुट रहे हैं. वे जेल के बाहर इकट्ठा होकर अपने नेता के समर्थन में नारे लगा रहे हैं. उनका मानना है कि यह गिरफ्तारी राजनीतिक षड्यंत्र का हिस्सा हो सकती है, और वे सत्येंद्र साह की जल्द रिहाई के लिए आंदोलन की योजना बना रहे हैं.
हो सकता है राजनीतिक घमासान
चुनाव करीब आते ही इस तरह के घटनाक्रमों का बड़ा असर स्थानीय राजनीति पर पड़ सकता है. दोनों राज्यों के चुनावी माहौल में यह गिरफ्तारी एक नई मोड़ ला सकती है. जहां बिहार में विधानसभा चुनाव की तैयारियां जोरों पर हैं, वहीं गढ़वा और सासाराम में यह घटनाएं राजनीतिक समीकरणों को प्रभावित कर सकती हैं. राजनीतिक विश्लेषक मानते हैं कि इस घटना से न केवल बिहार, बल्कि झारखंड की राजनीति में भी हलचल मच सकती है.
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