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बिहार चुनाव: बीजेपी का अभेद किला है बांकीपुर विधानसभा सीट, ऐसा रहा है राजनीतिक इतिहास

Bihar Elections 2025 Bankipur Assembly Seat: बांकीपुर विधानसभा क्षेत्र पटना साहिब लोकसभा सीट का हिस्सा है, यहां बीजेपी को अब तक कोई भी हरा नहीं पाया है.

बिहार चुनाव: बीजेपी का अभेद किला है बांकीपुर विधानसभा सीट, ऐसा रहा है राजनीतिक इतिहास
बांकीपुर विधानसभा सीट की हर जानकारी

पटना शहर के बीचोंबीच स्थित बांकीपुर विधानसभा सीट बिहार की उन चुनिंदा सीटों में से है, जहां चुनाव परिणाम लगभग तय माने जाते हैं. 2008 में परिसीमन के बाद गठित यह सीट अब तक लगभग एकतरफा राजनीतिक मुकाबले के लिए जानी जाती है. यहां बीजेपी ने हर चुनाव में भारी बहुमत से जीत दर्ज की है, हालांकि लगातार घटती वोटर्स की भागीदारी एक चिंता का विषय बनी हुई है. इस बार भी बीजेपी इस सीट पर मजबूती से दावेदारी कर रही है. ऐसे में आइए जानते हैं कि बांकीपुर विधानसभा सीट के समीकरण क्या हैं. 

बांकीपुर का राजनीतिक इतिहास

बांकीपुर विधानसभा सीट का इतिहास पटना वेस्ट नामक पूर्व सीट से जुड़ा है. 2008 के परिसीमन के बाद इसका नाम बांकीपुर रखा गया. इस क्षेत्र में बीजेपी का दबदबा 1990 के दशक से बना हुआ है. नवीन किशोर प्रसाद सिन्हा ने 1995 से पटना वेस्ट से लगातार चार बार जीत दर्ज की. उनके निधन के बाद नितिन नवीन (सिन्हा) ने 2006 के उपचुनाव में जीत हासिल कर पिता की राजनीतिक विरासत को आगे बढ़ाया. नितिन नवीन ने इसके बाद 2010, 2015 और 2020 के चुनावों में लगातार तीन बार जीत दर्ज की, जिससे बांकीपुर बीजेपी का अभेद्य गढ़ बन गया.

कायस्थ समुदाय का है प्रभाव

बांकीपुर विधानसभा क्षेत्र में कायस्थ समुदाय की संख्या सबसे अधिक है. जो चुनावी नतीजों में निर्णायक भूमिका निभाती है. यही कारण है कि बीजेपी को यहां लगातार समर्थन मिलता रहा है. इसके साथ ही वैश्य और ब्राह्मण मतदाता भी बड़ी संख्या में मौजूद हैं, जो बीजेपी की परंपरागत वोट बैंक माने जाते हैं.

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पिता-बेटे की सियासी विरासत

बांकीपुर का राजनीतिक सफर एक पिता-पुत्र जोड़ी की कहानी भी है. नवीन किशोर प्रसाद सिन्हा ने बीजेपी को यहां मजबूत किया. नितिन नवीन ने उस विरासत को आगे बढ़ाते हुए आधुनिक दौर में बीजेपी की पकड़ और मजबूत की.

शत्रुघ्न सिन्हा और कायस्थ प्रभाव का विस्तार

बांकीपुर विधानसभा क्षेत्र पटना साहिब लोकसभा सीट का हिस्सा है. जहां कायस्थ वोट बैंक की निर्णायक भूमिका लोकसभा स्तर पर भी दिखती है. 2009 और 2014 में शत्रुघ्न सिन्हा (बीजेपी) ने इस लोकसभा सीट पर जीत दर्ज की. 2019 में कांग्रेस से लड़े शत्रुघ्न सिन्हा को हार का सामना करना पड़ा और रविशंकर प्रसाद (बीजेपी) ने सीट जीत ली. 2024 में रविशंकर प्रसाद का मुकाबला अंशुल अविजीत (कुशवाहा नेता) से हुआ, लेकिन कायस्थ वोट एक बार फिर निर्णायक साबित हुआ.

विपक्ष के लिए कड़ी चुनौती

अब तक इस सीट पर RJD को कोई जीत नहीं मिली है. कांग्रेस और सीपीआई ने शुरुआती वर्षों में कुछ प्रभाव बनाए रखा था, लेकिन बीजेपी के उभार के बाद विपक्ष का आधार लगभग खत्म हो गया. 2020 के चुनाव में कांग्रेस प्रत्याशी लव सिन्हा दूसरे नंबर पर रहे, जबकि प्लूरल्स पार्टी की नेता पुष्पम प्रिया चौधरी ने 5,189 वोट हासिल कर तीसरा स्थान प्राप्त किया. 

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