लालू-राबड़ी के शासन काल में हत्याएं हुई, अपहरण हुए, जघन्य नरसंहार हुए, जंगलराज ने बिहार को तहस - नहस कर दिया. 2005 में जनता ने उस शासन को विदा कर दिया. लालू राबड़ी वापस आए तो जंगलराज वापस आ जाएगा... बिहार में चुनावी सभाओं को संबोधित करते हुए प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी, मुख्यमंत्री नीतीश कुमार केंद्रीय गृह मंत्री अमित शाह, भाजपा अध्यक्ष जेपी नड्डा सहित एनडीए के दूसरे नेता अक्सर इस तरह के बयान दे रहे हैं. उनकी कोशिश है कि वह जंगलराज को चुनावी मुद्दा बना सकें. BJP को लगता है कि इससे उनका फायदा होगा. इसलिए उनके नेता 90 से 2005 तक के शासन काल के बहाने RJD पर हमला करते दिखते हैं. लेकिन बिहार के 1 करोड़ 77 लाख वोटर ऐसे हैं जिन्होंने उस शासन को देखा ही नहीं है, ऐसे में उन पर इस नैरेटिव का असर पड़ना मुश्किल है.
आंकड़ों में समझिए किस उम्र के हैं कितने मतदाता
आपको बता दें कि बिहार में कुल मतदाता 7 करोड़ 41 लाख 92 हजार 357 है. इनमें 18 से 29 साल के मतदाताओं की संख्या 1 करोड़ 77 लाख 26 हजार 764 है. 30 से 39 साल के 1 करोड़ 92 लाख 74 हजार 808 है. 40 से 49 साल के 1 करोड़ 57 लाख 88 हजार 312 है. 50 से 59 साल के 1 करोड़ 4 लाख 96 हजार 400 वोटर हैं. 60 से 69 साल के 66 लाख 26 हजार 725 है. 70 से 79 साल के 32 लाख 63 हजार 230 मतदाता हैं. 80 साल से अधिक उम्र के 10 लाख 61 हजार 118 मतदाता हैं. करीब 23 % वोटर ऐसे हैं जो 1995 या उसके बाद पैदा हुए हैं. जाहिर हैं इन मतदाताओं की स्मृति में लालू प्रसाद यादव का वह शासन नहीं है जिसकी याद एनडीए के नेता बार - बार दिलाते हैं.
सिवान के रहने 26 वर्षीय ओमप्रकाश उपाध्याय कहते हैं कि लॉ एंड ऑर्डर एक काफी अहम मुद्दा है लेकिन अब किसी भी सरकार को इसे नियंत्रण में रखना ही पड़ेगा. आज टेक्नोलॉजी बेहतर हुई है. इससे क्राइम कंट्रोल करना आसान हुआ है. सोशल मीडिया है, अगर कोई सरकार क्राइम होने देगी तो विद्रोह हो जाएगा, जो पहले नहीं हो सकता था. लेकिन अब असल मुद्दा बेरोजगारी का है. पढ़ाई का है.
पटना की 20 वर्षीय श्रेष्ठा कहती हैं कि 20 साल एक ही सरकार के लिए काफी है. अब चेंज होना चाहिए. हालांकि, RJD के बारे में मैंने कुछ भी अच्छा नहीं सुना है. इसलिए मैं इसे बदलने के लिए RJD को वोट नहीं कर सकती. छपरा के रहने वाले 23 वर्षीय आदित्य की राय दोनों से अलग है. वे कहते हैं कि मैंने खुद नहीं देखा लेकिन मेरे घरवाले बताते हैं कि राजद का शासनकाल कितना बुरा था. लोग घरों से नहीं निकलते थे. ऐसी सरकार के लिए कोई वोट नहीं करेगा. इन युवाओं से बात कर साफ होता है कि एक बड़ी आबादी के लिए जंगलराज बड़ा मुद्दा नहीं है. इतना ही नहीं बल्कि इनमें से अधिकतर ने नीतीश कुमार के शुरुआती शासन का दौर भी नहीं देखा जिसे सबसे बेहतर काल माना जाता है.
पिछले चुनाव में युवाओं ने दोनों गठबंधन को किया था वोट
CSDS के पोस्ट पोल सर्वे से साफ होता है कि पिछली बार 37 फीसदी युवाओं (18- 29 साल) ने महागठबंधन को तो 36 फीसदी ने NDA को वोट किया था. कमोबेश दोनों गठबंधन को बराबर वोट मिले थे, महागठबंधन को 1 फीसदी अधिक वोट मिले थे. इससे साफ पता चलता है कि युवाओं का झुकाव एकतरफा नहीं है. इसलिए जंगलराज के नैरेटिव का 23 % मतदाताओं पर क्या असर होगा, यह परिणाम से साफ होगा.
NDTV.in पर ताज़ातरीन ख़बरों को ट्रैक करें, व देश के कोने-कोने से और दुनियाभर से न्यूज़ अपडेट पाएं