 
                                            बिहार में चुनाव के बीच मोकामा का सियासी शतरंज एक बार फिर चर्चा में है. इस क्षेत्र में दशकों पुरानी रंजिश, संघर्ष और सत्ता-दबदबे की लड़ाई आज नए राजनीतिक दौर में नए स्वरूप में उभर रही है. विशेष रूप से, पूर्व विधायक अनंत सिंह और पूर्व सांसद सूरजभान सिंह के बीच मोकामा विधानसभा क्षेत्र में चल रहे मुकाबला ने फिर सुर्खियां बटोरी है. मोकामा विधानसभा क्षेत्र में 2000 के विधानसभा चुनाव से ही अनंत सिंह और सूरजभान सिंह के बीच विवाद है. उस चुनाव में सूरजभान सिंह ने जीत दर्ज की थी. बाद में अनंत सिंह यहां से लगातार सफलता पाते रहें.
‘छोटे सरकार' के नाम से मशहूर अनंत सिंह के खिलाफ दर्ज आपराधिक मामलों की संख्या अधिक है. अनंत सिंह का इस क्षेत्र में काफी राजनीतिक-सामाजिक प्रभाव है. दूसरी ओर, सूरजभान सिंह भी राजनीतिक और प्रभावशाली व्यक्ति रहे हैं, जिन्होंने मोकामा में अपनी जड़ें जमाए रखी हैं. 2005 से लेकर 2020 तक उन्होंने लगातार सूरजभान सिंह और उनके परिवार के उम्मीदवार से चुनाव जीतकर अपनी राजनीतिक पकड़ मजबूत की.
ललन सिंह जो सूरजभान सिंह के भाई हैं.उन्होने हमेशा जदयू संगठनात्मक स्तर पर अनंत सिंह के प्रभाव को चुनौती देने की कोशिश की. हालांकि, मोकामा सीट पर अनंत सिंह का दबदबा लंबे समय से कायम रहा, लेकिन ललन सिंह के नेतृत्व में जदयू ने धीरे-धीरे वहां अपनी पकड़ बनाई है. वर्तमान राजनीतिक दृश्य में सूरजभान और ललन के रिश्ते राजनीतिक रणनीति और समीकरणों के अनुसार बदलते रहे हैं. इस बार सूरजभान की पत्नी वीणा देवी, अनंत सिंह के खिलाफ RJD से चुनाव में उतरी है और इसलिए ये विषय चर्चा में है.
नया मूड़,नए समीकरण इस विधानसभा चुनाव में यह पुरानी रंजिश ‘नए वर्जन' के रूप में सामने आ रही है. मीडिया रिपोर्ट्स के अनुसार, मोकामा में 2000 के मुकाबले की तर्ज पर अब एक बार फिर अनंत सिंह और सूरजभान सिंह-परिवार के बीच महामुकाबला है. इसके चलते राजनीतिक हलकों में यह चर्चा है कि किसका स्थानीय प्रभाव बना रहेगा. पुराना शक्ति केन्द्र या नए गठबंधनों-चुनावी समीकरणों की जीत होगी.
सामाजिक-राजनीतिक प्रभाव
मोकामा क्षेत्र ‘बहुबली-राजनीति' के लिए जाना गया है. ये इलाका भू-संपत्ति, भूमि विवाद और दौरान दरिया का व्यावसायिक माहौल रहते हुए सामाजिक-आर्थिक संघर्ष का मैदान भी रहा है. ऐसे में अनंत-सूरजभान के मुकाबले को सिर्फ चुनावी लड़ाई नहीं, बल्कि स्थानीय सत्ता और सामाजिक सत्ता संघर्ष के रूप में देखा जाना उचित होगा.
मोकामा में चुनौतियां बढ़ी हैं
अपराध-रुझान और राजनीतिक दबदबे का मिश्रण ने मोकामा में चुनौतियां भी बढ़ा दी हैं. राजनीतिक दलों के भीतर और उनकी रणनीतियों में बदलाव के कारण इस बार चुनाव काफी रोचक रहने वाला है. युवा मतदाता इस बार चुनाव में अहम भूमिका निभाने वाले हैं. पुराने समीकरणों के टूटने-नए बनने की भी संभावना है. अगर ये रंजिश आगामी चुनाव-परिणाम में निर्णायक बनी, तो मोकामा की राजनीति का नया अध्याय लिखा जाएगा.
मोकामा की सीट पर अनंत सिंह और सूरजभान सिंह के बीच दशकों पुरानी रंजिश अब सिर्फ पुरानी याद नहीं रह गई है, बल्कि अब-एक नए राजनीतिक युद्ध में तब्दील हो चुकी है. इस विधानसभा क्षेत्र में यह मुकाबला इस बात का भी प्रतीक है कि किस तरह पुरानी राजनीतिक-सामाजिक शक्तियों को नए राजनीतिक-उपयोग, गठबंधनों और सामाजिक बदलावों के सामने खुद को ढालना पड़ रहा है. चुनावी परिणाम के अनुसार इस रंजिश का अंत नए समीकरणों के साथ हो सकता है. या यह फिर से नए विवाद और गतिरोध को जन्म दे सकती है.
NDTV.in पर ताज़ातरीन ख़बरों को ट्रैक करें, व देश के कोने-कोने से और दुनियाभर से न्यूज़ अपडेट पाएं
